मुक्तेश्वर में जल्द शुरू होगा डॉप्लर रडार सेंटर, जानिए कैसे काम करता है ये रडार
पहला डॉप्लर रडार सेंटर छह से आठ महीने के भीतर कुमाऊं मंडल के मुक्तेश्वर से काम करना शुरू कर देगा। इससे बारिश, हिमस्खलन, बादल फटने, तूफान, ओलावृष्टि की तुरंत मिल पाएंगी।
देहरादून, [अशोक केडियाल]: आपदा की दृष्टि से बेहद संवेदनशील उत्तराखंड में जल्द ही मौसम के पूर्वानुमान पहले से ज्यादा स्टीक होगा। बारिश, हिमस्खलन, बादल फटने, तूफान, ओलावृष्टि की जानकारी विभाग का तुरंत मिल पाएंगी। यह संभव होगा प्रदेश के तीन स्थानों मसूरी, पौड़ी और मुक्तेश्वर में डॉप्लर रडार लगने से। पहला डॉप्लर रडार सेंटर छह से आठ महीने के भीतर कुमाऊं मंडल के मुक्तेश्वर से काम करना शुरू कर देगा। यह रडार करीब 100 किलोमीटर की परिधि (रेडियस) में मौसम में पल-पल होने वाले व्यापक फेरबदल का सूक्ष्म अध्ययन कर पहले ही उसके व्यापक स्वरूप और प्रभाव क्षेत्र की जानकारी देगी। मौसम की सटीक जानकारी से पर्यटन और कृषि के क्षेत्र में लाभकारी बदलाव आने की उम्मीद है।
उत्तराखंड में डॉप्लर रडार की मांग लंबे समय से उठ रही है। वर्ष 2013 के केदारनाथ जलप्रलय के बाद इस मांग ने और जोर पकड़ा। इस बीच केंद्र सरकार ने भी मौसम की सटीक जानकारी के उद्देश्य से देशभर में 55 डॉप्लर रडार स्थापित करने का निर्णय लिया। इसके तहत उत्तराखंड के हिस्से में तीन डॉप्लर रडार आए हैं। इन रडार सेंटरों को स्थापित करने के लिए जमीन एवं बुनियादी सुविधाएं प्रदेश सरकार उपलब्ध कराएगी। रडार सेंटर केंद्र सरकार की मदद से मौसम विभाग स्थापित करेगा।
ऐसे काम करता है डॉप्लर रडार
डॉप्लर रडार के माध्यम से वातावरण में रेडियो तरंगे भेजी जाती हैं, जो पानी की बूंदों व धूल कणों से टकराकर वापस लौटती हैं और कम्प्यूटर इन्हें अंकित कर चित्र बनाता है। इससे बादलों की सघनता, ऊंचाई और गति मापी जा सकती है। इसके आधार पर मौसम का त्वरित पूर्वानुमान लगाया जाता है।
मसूरी साइट का किया निरीक्षण
मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि मुक्तेश्वर के अलावा गढ़वाल मंडल में दो अन्य डॉप्लर रडार मसूरी एवं पौड़ी में लगाए जाने की योजना है। मसूरी में डॉप्लर रडार के लिए चयनित आकाशवाणी की भूमि का भारत मौसम विभाग के अधिकारी निरीक्षण कर चुके हैं। जल्द ही यहां भी काम शुरू होने की उम्मीद है। तीसरा केंद्र पौड़ी में लगाया जाएगा। तीनों डॉप्लर रडार अपने-अपने केंद्रों से 100 किलोमीटर की परिधि में कवर करेंगे।
उत्तराखंड को मिल सकता है एक और डॉप्लर रडार
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