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दस मई को तुंगनाथ और 21 मई को खुलेंगे मध्यमेश्वर के कपाट

द्वितीय केदार भगवान मध्यमेश्वर और तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ मंदिर के कपाट खोलने की तिथियां घोषित कर दी गई हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 14 Apr 2019 07:00 PM (IST)Updated: Sun, 14 Apr 2019 08:22 PM (IST)
दस मई को तुंगनाथ और 21 मई को खुलेंगे मध्यमेश्वर के कपाट
दस मई को तुंगनाथ और 21 मई को खुलेंगे मध्यमेश्वर के कपाट

देहरादून, जेएनएन। केदारनाथ धाम के मुख्य पड़ाव गौरीकुंड स्थित गौरा माई मंदिर के कपाट बैसाखी पर्व पर सुबह 9.30 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। इसके साथ ही द्वितीय केदार भगवान मध्यमेश्वर और तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ मंदिर के कपाट खोलने की तिथियां भी घोषित कर दी गई हैं। मध्यमेश्वर के कपाट 21 मई और तुंगनाथ के कपाट 10 मई को खोले जाएंगे। उधर, देवी यमुना के शीतकालीन गद्दी स्थल खरसाली गांव में शनि महाराज मंदिर के कपाट भी बैसाखी पर श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। 

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पंचगद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अधिकारियों, तीर्थ पुरोहितों, वेदपाठियों व हक-हकूकधारियों की मौजूदगी द्वितीय केदार भगवान मध्यमेश्वर धाम के कपाट खोलने की तिथि एवं मुहूर्त निकाला गया। मंदिर समिति के कार्याधिकारी एमपी जमलोकी ने बताया कि 17 व 18 मई को बाबा मध्यमेश्वर ओंकारेश्वर मंदिर से बाहर आकर सभामंडप में विराजित रहेंगे। इस दौरान उन्हें नए अनाज के पकवानों का भोग लगाया जाएगा। 19 मई को बाबा की उत्सव डोली ओंकारेश्वर मंदिर से अपने प्रथम पड़ाव रांसी गांव और 20 मई को गौंडार पहुंचेगी। 21 मई की तड़के डोली मध्यमेश्वर के लिए प्रस्थान करेगी और फिर सुबह कर्क लग्न में मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे। इस वर्ष बागेश लिंग मंदिर के पुजारी होंगे।

दूसरी ओर तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के शीतकालीन गद्दीस्थल मक्कूमठ में तुंगनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि एवं मुहूर्त निकाला गया। धाम के कपाट 10 मई  को दोपहर 12 बजे खोले जाएंगे। इससे पूर्व बाबा की चल विग्रह डोली आठ मई को मक्कूमठ मंदिर से बाहर आकर भूतनाथ मंदिर में विराजमान होगी। नौ मई को डोली रात्रि विश्राम के लिए चोपता पहुंचेगी और 10 मई को कर्क लग्न में मंदिर के कपाट खोले जाएंगे।

उधर, देवी यमुना के मायके खरसाली गांव स्थित शनि महाराज मंदिर के कपाट भी रविवार सुबह 7.15 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोले गए। इस दौरान शनि महाराज की मूर्ति का यमुना नदी के जल से अभिषेक कर उनके सिंहासन को फूल मालाओं से सजाया गया। दोपहर 12.15 बजे शनिदेव के पश्वा चंडी प्रसाद उनियाल और पुजारी विशालमणी ने शनिदेव के निसाण (प्रतीक) सिरोही के साथ धर्या चौंरी शिव मंदिर परिसर पहुंचे। यहां भव्य मेले का आयोजन हुआ। यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव रावल कृतेश्वर उनियाल ने बताया कि मान्यता के अनुसार इसी स्थान पर बेखल के पेड़ के नीचे शनि देव प्रकट हुए थे। इस मौके पर यमुनोत्री विधायक केदार ङ्क्षसह रावत, समिति के चेयरमैन राजपाल राणा ,वेद प्रकाश, पुरुषोत्तम उनियाल, घनश्याम उनियाल, मनमोहन उनियाल, मनवीर रावत, अरविंद रावत, पवन उनियाल आदि मौजूद थे।

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