सड़कों पर सुचारू यातायात का हक मांग रहा ये शहर, जानिए
दून शहर के लोग सड़कों पर सुचारू यातायात का हक खुलकर मांगने लगे हैं। सुव्यस्थित यातायात को लेकर चलाई जा रही जागरण की मुहिम से जुड़ने वाले लोगों की संख्या निरंतर बढ़ रही है।
देहरादून, जेएनएन। अब अपने दून शहर के लोग सड़कों पर सुचारू यातायात का हक खुलकर मांगने लगे हैं। सुव्यस्थित यातायात को लेकर चलाई जा रही जागरण की मुहिम से जुड़ने वाले लोगों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। लोग अब यह समझने लगे हैं कि आए दिन का जाम उनकी नियति से बढ़कर पुलिस और प्रशासन की नीयत पर निर्भर करता है। उनकी इच्छाशक्ति और जिम्मेदारी के ऐहसास पर निर्भर करता है। लोग मांग उठा रहे हैं कि मुख्य सड़कों पर यातायात के साथ-साथ उसे अवरुद्ध करने वाले आयोजनों को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इस वर्ग में रिटायर्ड अधिकारी शामिल हैं, समाजसेवी शामिल हैं, छात्र इसका हिस्सा हैं और शहर के प्रति बेहतर सोच रखने वाला एक सामान्य से नागरिक की चेतना भी जागृत हो रही है। अब सिर्फ अधिकारियों को शहर के लाखों लोगों की भावनाओं के अनुरूप अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना है।
इंजीनियर्स एन्क्लेव के अतुल कुमार गोयल कहते हैं कि शहर की सड़कों पर जो शोभायात्रा, या यूं कहूं कि दिखावा यात्रा निकलती हैं, उन्हें परेड ग्राउंड के अंदर ही निकालने की इजाजत देनी चाहिए। जिस इंसान को धार्मिक श्रद्धा होगी, वह खुद वहां जाकर दर्शन कर सकता है। शहर में जनता को परेशान करना ठीक नहीं। इसी तरह पीक आवर्स में सड़कों पर लोडिंग-अनलोडिंग भी बंद होनी चाहिए।
पूर्व पोस्ट वार्डन नागरिक सुरक्षा ब्रह्म प्रसाद जांगड़ा ने बताया कि शहर में होने वाले धार्मिक, राजनीतिक और अन्य आयोजनों मसलन शोभयात्रा या जुलूस आदि के लिए एक तय स्थान होना चाहिए। या दिन निश्चित कर समय की बाध्यता होनी चाहिए। धार्मिक शोभायात्रा निकालने से पहले ये भी सोचना चाहिए कि कितने लोग इससे परेशान होते हैं और कितनों को लाभ मिलता है। शहर में राजनीतिक जुलूसों पर पूर्णत: प्रतिबंध लगना चाहिए। इस तरह की शोभायात्रा या जुलूसों में सुरक्षा मानकों की जमकर धज्जियां उड़ाई जाती हैं।
अब पुलिस-प्रशासन को इच्छाशक्ति दिखाने की जरूरत
दून को जाम के झाम से मुक्ति दिलाने के लिए दैनिक जागरण की ओर से चलाया जा रहा यह अभियान अभूतपूर्व है। जो भी नागरिक इस शहर से प्यार करते हैं और जिन्हें इसकी चिंता है, वह जागरण की मुहिम से प्रेरित हो रहे हैं। कहीं न कहीं इसका असर पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों पर भी दिख रहा है।
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यही कारण भी है कि पलटन बाजार और आसपास के बाजारों को अतिक्रमणमुक्त करने की कवायद निरंतर की जाने लगी है। इससे बाजारों में सुकून भी लौटने लगा है। हालांकि, अब समय आ गया है कि इससे भी बड़ी इच्छाशक्ति दिखाकर सड़कों को धरना-प्रदर्शन, धार्मिक आयोजनों से मुक्त किया जाए। धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार सभी के पास सुरक्षित है, मगर यह अधिकार वहां सीमित हो जाता है, जहां उससे दूसरे नागरिकों को असुविधा होती है। पुलिस-प्रशासन भी इस बात सा वाकिफ है, मगर उच्च स्तर के अदृश्य और अप्रत्यक्ष दबाव के चलते वह सिर्फ औपचारिकता निभाने का काम कर रहे हैं।
उत्तरांचल बैंक इंप्लाइज यूनियन के महामंत्री जगमोहन मेंदीरत्ता ने कहा कि मैं ऐसे अधिकारियों को आह्वान करता हूं कि वह अपनी जिम्मेदारी को समझें या ऐसे अधिकारियों को दून की कमान सौंपने के लिए आमंत्रित करें, जो वास्तव में सड़कों पर नियमों का पालन करा सकें। यदि निकट भविष्य में पुलिस-प्रशासन के स्तर से ऐसे आयोजनों के लिए कोई नियम बनाए जाते हैं तो यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वह चंद दिनों के लिए न हों। साथ ही आदर्श स्थिति यह भी होगी कि कोई न कोई धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक या छात्र संगठन इस पहल के लिए आगे आए कि वह भविष्य में मुख्य सड़कों पर किसी तरह के आयोजन नहीं करेगा। वैसे भी पढ़े-लिखे दून से इस तरह की उम्मीद तो की ही जानी चाहिए।
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