दून में नहीं ग्रेजुएट-पोस्टग्रेजुएट बेरोजगारों की कमी
राजधानी देहरादून में आधे से ज्यादा बेरोजगार वो युवा हैं जो ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन कर चुके हैं। मतलब, यहां के आधे से ज्यादा पढ़े लिखेे युवा बेरोजगार हैं।
देहरादून, [गौरव ममगाईं]: कहते हैं अच्छा पढ़-लिखकर ही जीवन में सफलता मिलती है, लेकिन दून के बेरोजगार युवाओं की तस्वीर इस बात की बानगी है कि आज पढ़ाई-लिखाई कामयाबी की गारंटी कतई नहीं है। दून में में एक लाख 72 हजार से अधिक युवा बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। इनमें करीब आधे युवा ग्रेजुएट-पोस्ट ग्रेजुएट हैं। चौंकाने वाली बात ये भी है कि बेरोजगारों में दसवीं या इससे कम पढ़े-लिखे युवाओं की संख्या कम है।
प्रदेश में बेरोजगारी का आलम किसी से छिपा नहीं है। रोजगार सीमित हैं और उम्मीदवारों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। वहीं, प्रदेश सरकार ने भी इस दिशा में कोई सराहनीय कार्य नहीं किए हैं। नतीजा, आज प्रदेश में बेरोजगारों का आंकड़ा नौ लाख के पार पहुंचने को है। यहां बेरोजगारी की स्थिति को करीब से समझना है तो सबसे शिक्षित जनपद देहरादून हाल बयां करने को मुफीद है।
सेवायोजन विभाग में पंजीकृत बेरोजगारों के आंकड़ों की बात करें तो दून में सबसे अधिक एक लाख 72 हजार 136 बेरोजगार हैं। ये बेरोजगार चार-पांच वर्षों से रोजगार की आस लगाए बैठे हैं। ऐसा भी नहीं है कि ये शिक्षित नहीं हैं। इनकी शैक्षिक योग्यता पर नजर डालें तो इनमें 83 हजार 70, मतलब 48 फीसद बेरोजगार ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट हैं।
10वीं पास से ज्यादा पोस्ट ग्रेजुएट
दून में बेरोजगारी किस कदर हावी है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सबसे शिक्षित जनपद देहरादून में पढ़े-लिखे युवाओं को भी रोजगार नहीं मिल रहा है। देहरादून जनपद में कुल बेरोजगारों में दसवीं पास महज 26380 हैं, जबकि पोस्ट ग्रेजुएट बेरोजगार की संख्या 28993 है।
यह भी पढ़ें: प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना में उत्तराखंड अव्वल
यह भी पढ़ें: जीएसटी: उत्तराखंड ने सबसे पहले राज्य-केंद्र के बीच बांटे कारोबारी
यह भी पढ़ें: एडीबी से ट्रांच एक में 435 करोड़ और ट्रांच दो में 510 करोड़ रुपये स्वीकृत