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धरातल पर नहीं उतर सका स्मार्ट सिटी का स्वप्लिन प्लान, जानिए

दून स्मार्ट सिटी का सपना आजतक भी पूरा नहीं हो पाया है। जून 2017 में दून का चयन कर लिया गया। लेकिन फिर भी काम धरातल पर नहीं उतर पाए।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 05:05 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 05:05 PM (IST)
धरातल पर नहीं उतर सका स्मार्ट सिटी का स्वप्लिन प्लान, जानिए
धरातल पर नहीं उतर सका स्मार्ट सिटी का स्वप्लिन प्लान, जानिए

देहरादून, [जेएनएन]: जनवरी 2016 में जब दून को स्मार्ट सिटी प्रतियोगिता की पहली सूची में आखिरी स्थान (98वां) मिला तो बस एक ही ख्वाब था कि किसी तरह से दून का चयन हो जाए। इसके बाद दूसरे और तीसरे चरण में भी दून की उम्मीदों को झटका लगा। हालांकि चौथे राउंड में करीब डेढ़ साल के इंतजार के बाद जून 2017 में दून का चयन कर लिया गया।

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राज्य सरकार से लेकर नगर निगम ने इसका श्रेय लेते हुए कहा कि अब जल्द स्मार्ट दून के ख्वाब को धरातल पर उतारने का काम शुरू कर दिया जाएगा। हालांकि चयन के बाद परियोजना पर काम शुरू करने के लिए जो तेजी दिखाई जानी चाहिए थी, वह कहीं नजर नहीं आई। जुलाई 2017 में जाकर देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनी का गठन किया जा सका है और इसके तीसरे माह बाद अक्टूबर में कंपनी की पहली बोर्ड बैठक बुलाई जा सकी। हालांकि, इसके बाद भी अब तक धरातल पर एक भी काम शुरू नहीं किया जा सका है।

जबकि तब से लेकर अब तक एक साल से अधिक का समय बीत गया है। इतना जरूर है कि विभिन्न कंपनियों के साथ कई दौर की बैठकें जरूर कर ली गई हैं। जैसे-जैसे वक्त बीत रहा है, स्मार्ट दून को लेकर लोगों की उम्मीदें भी धुंधली पड़ती जा रही हैं। गंभीर यह भी कि इस चुनाव में स्मार्ट सिटी को लेकर प्रत्याशी भी खामोश नजर आ रहे हैं। जबकि स्मार्ट सिटी का प्रस्ताव पास कराने में नगर निगम की अहम भूमिका रही है और चयन के बाद योजना के क्रियान्वयन में भी निगम का अहम योगदान रहेगा। क्योंकि महापौर सिटी एडवाइजरी कमेटी के अध्यक्ष हैं और हाई पावर कमेटी में भी उनकी खास भूमिका है। 

हर साल मिलने थे 200 करोड़, मिले 112 करोड़ 

जब देहरादून का चयन स्मार्ट सिटी में किया गया तो वह वित्तीय वर्ष 2017-18 था और अब वित्तीय वर्ष 2018-19 चल रहा है। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया था कि परियोजना में चयनित शहरों को हर साल केंद्र व राज्य स्तर से 100-100 करोड़ रुपये पांच सालों तक मिलते रहेंगे। जबकि अब तक केंद्र व राज्य के 56-56 करोड़ रुपये मिलाकर महज 112 करोड़ रुपये ही मिल पाए हैं। स्वयं राज्य सरकार व नगर निगम स्तर से परियोजना को लेकर उतनी सक्रियता दिखाई ही नहीं जा सकी। 

महज 21 फीसद क्षेत्र का विकास चुनौती क्यों 

स्मार्ट सिटी में दून का महज 21 फीसद क्षेत्र (875 एकड़) शामिल किया गया है। जिसमें सात वार्ड पूरे और चार वार्ड आंशिक रूप से शामिल हैं। बावजूद इसके अब तक धरातलीय काम शुरू नहीं हो पाए हैं। ऐसे में सवाल उठते हैं कि जब 21 फीसद भाग पर विकास कार्यों में इतना विलंब हो रहा है तो समूचे दून को सुंदर बनाने में कितना वक्त लगेगा या वह दिन कभी आ भी पाएगा या नहीं। क्योंकि देहरादून नगर निगम अब 60 वार्डों से 100 वार्डों में तब्दील हो चुका है। 

स्मार्ट सिटी में ये वार्ड शामिल 

पूर्ण- 18, 19, 20, 21, 23, 24 

आंशिक- 11,12, 15, 17 

इन कार्यों पर इंतजार कब तक? 

चौराहों का चौड़ीकरण 

स्मार्ट सिटी के प्रारंभिक प्लान में घंटाघर, प्रिंस चौक, क्वालिटी चौक, ग्लोब चौक व कनक चौक को शामिल किया गया। ताकि यहां तक वाहनों के साथ ही पैदल यात्री भी सुगम तरीके से आवागमन कर सकें। इसके अलावा सभी आधुनिक सेवाओं को संचालित करने के लिए सेंट्रल कमांड सिस्टम, रोड सेप्टी साइनेज, सोलर लाइट्स और सोलर ट्रैफिक सिग्नल्स की स्थापना, डक्ट निर्माण, स्पीड गन, फुटपाथ आदि की दिशा में भी काम करने की योजना बनाई गई है। 

गांधी पार्क की सुंदरता में चार चांद लगाना 

इसके तहत योग और ध्यान केंद्र की स्थापना, फूड कोर्ट का निर्माण, पॉली हाउस, ओपन थियेटर, फ्लावर बेड, बच्चों के लिए बोटिंग की व्यवस्था, साइकिल ट्रैक, जॉगिंग ट्रैक आदि की दिशा में काम किए जाने थे। इस दिशा में कुछ काम किए गए हैं, मगर यह पहले से संचालित योजना का हिस्सा हैं। 

यह काम भी अधर में 

नगर निगम को ग्रीन बिल्डिंग बनाना, स्मार्ट टॉयलेट, वाट एटीएम, ऐतिहासिक भवनों पर संरक्षण-सुदृढ़ीकरण, डीएवी व डीबीएस पीजी कॉलेज रोड को व्यवस्थित स्वरूप देना, बच्चों व यात्रियों के लिए मॉडल थीम पार्क का निर्माण, पुरानी तहसील की जगह का आधुनिक स्वरूप में विकास, मल्टीस्टोरी पार्किंग बनाना, ईसी रोड को स्मार्ट स्वरूप देना आदि। 

शहर बढ़ रहा, संसाधन सिमट रहे 

स्मार्ट सिटी की प्रोजेक्ट रिपोर्ट पर गौर करने पर पता चलता है कि वर्ष 1998 से 2003 के बीच दून शहर 746 हेक्टेयर पर सिमटा था, जो वर्ष 2003 से 2008 के बीच 1463 हेक्टेयर हो गया। जबकि वर्ष 2011 में शहर का आकार 7162 हेक्टेयर दर्ज किया गया। हालांकि तब दून 60 वार्डों तक सिमटा था, जो अब 100 वार्डों तक बढ़ गया है। यह बात और है कि बढ़ते शहर के आकार के बीच स्मार्ट दून का सपना महज सपना ही बनकर रह गया। 

एक कदम आगे बढ़कर दिखाया था ख्वाब 

जब दून का चयन स्मार्ट सिटी में किया गया था, तब सरकार ने एक कदम आगे बढ़कर स्मार्ट दून का ख्वाब दिखाया था। वर्ष 2022 तक पूरी होने वाली इस योजना में केंद्र व राज्य के 500-500 करोड़ रुपये मिलाकर एक हजार करोड़ रुपये दिए जाने हैं। जबकि सरकार ने इससे भी अधिक 1405.5 करोड़ रुपये का प्लान तैयार कर दिया। तय किया गया कि शेष राशि ऋण या पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) के माध्यम से जुटाई जाएगी। यह कदम वाकई सराहनीय था, लेकिन इसके अनुरूप अब तक ठोस प्रयास नहीं किए गए। 

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