देहरादून से सुकून गायब, बसने लायक माहौल बीती बात
ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स में 111 शहरों में से दून का 80वां स्थान हासिल करना यह बताने के लिए काफी है कि बीते 18 सालों में सिर्फ आबादी बढ़ी है।
देहरादून, [जेएनएन]: दून को आज हमने किस मुकाम पर ला खड़ा कर दिया है, जिस दून की पहचान कभी रिटायर्ड लोगों के पसंदीदा शहर के रूप में थी, वह आज बसने योग्य शहरों की सूची में अंतिम पायदान की तरफ सरक गया है। ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स में 111 शहरों में से दून का 80वां स्थान हासिल करना यह बताने के लिए काफी है कि बीते 18 सालों में सिर्फ आबादी बढ़ी है, जबकि सुविधाएं निरंतर सिमटती चली गई हैं। क्योंकि दून की 40 फीसद तक बढ़ी आबादी के मुताबिक पर्यावरण, कूड़ा प्रबंधन, परिवहन, पेयजल आपूर्ति, आवास जैसे मोर्चे पर अपेक्षित सुधार नहीं किया जा सका।
ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स की प्रतिस्पर्धा के प्रमुख चार सेक्टर (संस्थागत, सामाजिक, आर्थिक व बुनियादी सुविधाएं) को देखें तो हर मोर्चे पर पिछड़ता चला गया। इन सुविधाओं के 15 उपवगरें पर आकलन करने पर स्थिति और स्पष्ट हो जाती है कि हमने सिर्फ खोया है और हासिल ना के बराबर ही हुआ। सुधार के प्रयास व प्रदर्शन के अवसर की बात करें तो स्मार्ट सिटी परियोजना में दून को बमुश्किल तीसरे प्रयास के बाद जगह मिल पाई। वहीं, स्वच्छ सर्वेक्षण में तमाम प्रयास के बाद भी दून खुद को पिछड़ेपन से बाहर नहीं निकाल पा रहा।
प्रमुख चार पैरामीटर पर दून
- संस्थागत: सरकारी स्तर पर दून को बेहतर बनाने के लिए जितने प्रयास किए जाने चाहिए था, उनका अभाव रहा। कूड़ा प्रबंधन की बात करें तो यहां रोजाना 295 मीटिक टन कूड़ा निकलता है, जबकि उठान महज 200 मीटिक टन का ही हो पाता है। सुनियोजित निर्माण की जगह दून में 25 हजार से अधिक अवैध निर्माण अस्तित्व में आ गए। शहरीकरण के नाम पर 30 हजार से अधिक पेड़ काट डाले गए और वायु प्रदूषण में दून देश के सबसे प्रदूषित शहरों में छठे स्थान पर आ गया है। परिवहन सुविधाओं के नाम पर मेट्रो व स्मार्ट ट्रांसपोर्ट आज भी दूर की कौड़ी बना है।
- बुनियादी सुविधाएं: शहर के भीतर यातायात के दबाव को कम करने के लिए रिंग रोड तक नहीं बन पाई हैं और ढांचागत विकास के नाम पर अभी तीन फ्लाईओवर ही अस्तित्व में हैं। सड़क चौड़ीकरण की विभिन्न परियोजनाएं सिर्फ अनियमितता का उदाहरण बनकर रह गई हैं। पेयजल व्यवस्था की बात करें तो निर्भरता सिर्फ भूजल पर बनी है और रीचार्ज तक के इंतजाम नहीं किए जा रहे। वर्तमान में करीब तीन लाख लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है। बिजली आपूर्ति में भले मांग के अनुरूप अंतर न हो, लेकिन संसाधनों के अभाव में लोगों को पावर कट ङोलना पड़ता है।
- आर्थिक स्थिति: एक बड़ा वर्ग आर्थिक मोर्चे पर पिछड़ा है और इसका बड़ा कारण है रोजगार का अभाव। सेवायोजन कार्यालय में दून में 1.76 लाख से अधिक अभ्यर्थी पंजीकरण हो चुके हैं। इनमें 56 हजार से अधिक बेरोजगार अभ्यर्थी स्नातक हैं, जबकि 28 हजार से अधिक की संख्या स्नातकोत्तर की है। उच्च शिक्षित 50 फीसद लोगों को भी रोजगार के साधन मुहैया नहीं हो पा रहे।
- सामाजिक स्तर: इस मोर्चे पर आवास एक सबसे बड़ी चुनौती है। आम आदमी के लिए दून में घर का सपना किसी चुनौती से कम नहीं। सबके लिए आवास योजना की भी बात करें तो 15 हजार आवास के लक्ष्य के सापेक्ष अब तक 2000 पर ही तस्वीर साफ हो पाई है।
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