डिलिवरी का भार अकेले ढो रहा महिला अस्पताल
जागरण संवाददाता, देहरादून: ऐसा लगता है कि सरकार अनुभवों से भी सीख नहीं लेना चाहती। एक के बाद
जागरण संवाददाता, देहरादून: ऐसा लगता है कि सरकार अनुभवों से भी सीख नहीं लेना चाहती। एक के बाद एक घटनाएं स्वास्थ्य सेवाओं को आइना दिखा रही हैं। पर हुक्मरान इसमें झांकने को तैयार नहीं। सुरक्षित मातृत्व का डंका जरूर पीटा जाता है, पर अस्पतालों का हाल बुरा है। दून महिला अस्पताल में जच्चा-बच्चा की मौत ने एक बार फिर सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को लेकर बहस छेड़ दी है। सवाल इसलिए भी बड़ा है क्योंकि यह सब किसी दूरस्थ क्षेत्र में नहीं बल्कि राजधानी दून में हुआ है।
प्रदेश में हरेक अंतराल बाद किसी गर्भवती या नवजात की मौत की खबर आती है। कारण समय पर या सही उपचार न मिलना। पर सरकारों का हाल देखिए कि वह करीब 18 साल से स्वास्थ्य सेवाएं सुदृढ़ करने का प्रयास ही कर रही हैं। इन दावों की हकीकत जाननी है तो जरा दून महिला अस्पताल का एक चक्कर मार आइए। यहां न सिर्फ दून बल्कि प्रदेश के दुरुह क्षेत्र की महिलाएं भी भर्ती मिलेंगी। यानी पहाड़ के अस्पताल इस लायक भी नहीं बन सके हैं कि सुरक्षित प्रसव करा सकें। उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी और तमाम क्षेत्रों से मरीज बस दून ठेले जा रहे हैं। उस पर शहर का हाल देखिए। यहां रायपुर से लेकर प्रेमनगर अस्पताल में प्रसव की सुविधा है। हाल में गांधी नेत्र चिकित्सालय को मैटरनिटी केयर यूनिट के तौर पर विकसित किया गया है। पर दबाव फिर भी अकेले दून महिला अस्पताल पर है। प्रदेश की छोड़िए, यहां यूपी व हिमाचल से भी मरीज आ रहे हैं। सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी अस्पतालों के बीच कितना तालमेल है। विकल्प मौजूद हैं पर संसाधनों का सही ढंग से इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। एक तरफ जहां मरीजों की भरमार है, वहीं दूसरी तरफ गिनती की ही डिलिवरी हो रही हैं।
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दून महिला अस्पताल
कुल बेड:111
भर्ती मरीज:160-165
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ: आठ कोरोनेशन अस्पताल
कुल बेड:70
डिलिवरी का सुविधा नहीं प्रेमनगर अस्पताल
कुल बेड:30
16-18 महिलाओं को भर्ती की सुविधा
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ: चार गांधी नेत्र चिकित्सालय
कुल बेड: 170
30 बेड महिला एवं प्रसूति रोग
11 प्राइवेट रूम
16 प्री और पोस्ट ऑपरेटिव केयर
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ:छह
रायपुर अस्पताल
कुल बेड: 25
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ:एक
लेडी मेडिकल ऑफिसर:दो इस मामले में सभी अस्पतालों के अधिकारियों की बैठक ली जाएगी। आपसी तालमेल से इस समस्या से निपटा जा सकता है। यह प्रयास रहेगा कि सामान्य डिलिवरी सब अपने स्तर पर करें और क्रिटिकल केस दून महिला में भेजे जाएं।
युगल किशोर पंत, अपर सचिव स्वास्थ्य