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देहरादून के खिलाड़ि‍यों की 'रेंज' में आया रेंजर्स मैदान, पढ़िए पूरी खबर

दून का एतिहासिक और प्रतिष्ठित रेंजर मैदान अब दून का अपना मैदान हो गया है। केंद्र की ओर से इस मैदान का स्वामित्व उत्तराखंड सरकार को दे दिया गया है। इससे दून के खिलाड़ी और खेल प्रेमियों को खासा लाभ मिलने की उम्मीद है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 16 Jun 2021 11:48 AM (IST)Updated: Wed, 16 Jun 2021 11:24 PM (IST)
देहरादून के खिलाड़ि‍यों की 'रेंज' में आया रेंजर्स मैदान, पढ़िए पूरी खबर
दून का एतिहासिक और प्रतिष्ठित रेंजर मैदान अब दून का अपना मैदान हो गया है।

जागरण संवाददाता, देहरादून। दून का एतिहासिक और प्रतिष्ठित रेंजर मैदान अब दून का अपना मैदान हो गया है। केंद्र की ओर से इस मैदान का स्वामित्व उत्तराखंड सरकार को दे दिया गया है। इससे दून के खिलाड़ी और खेल प्रेमियों को खासा लाभ मिलने की उम्मीद है। शहर के बीचोंबीच स्थित इस मैदान में अब खेल आयोजन करना पहले से आसान होगा। हालांकि, राज्य सरकार के संचालन में इसके रख-रखाव को लेकर शंका भी उत्पन्न होने लगी है।

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उत्तर भारत के प्रतिष्ठित गोल्ड कप क्रिकेट टूर्नामेंट का घर माने जाने वाले रेंजर्स मैदान का स्वॢणम इतिहास रहा है। इस मैदान पर महेंद्र सिंह धोनी, वीरेंद्र सहवाग जैसे दिग्गजों ने अपने शुरुआती दिनों में हुनर से रूबरू कराया था। क्रिकेट के बड़े आयोजनों के लिए शहर में उपलब्ध यह एकमात्र मैदान है। गोल्ड कप का आयोजन लगभग 35 से अधिक वर्षों से इस मैदान पर किया जा रहा है। हालांकि, यहां कई स्थानीय स्तर के टूर्नामेंट भी होते रहे हैं, लेकिन मैदान में आयोजन की अनुमति मिल पाना काफी मुश्किल रहा है। कई माह पूर्व से मैदान उपलब्ध कराने के लिए एफआरआइ के क्षेत्रीय कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते थे। अब राज्य सरकार को इसका अधिग्रहण मिलने के बाद उम्मीद है यहां खेलों के आयोजन को आसानी से अनुमति मिल सकेगी।

महत्वपूर्ण है रेंजर्स मैदान

रेंजर्स मैदान शहर के एकमात्र ऐसा मैदान है, जो शहर के बीच क्रिकेट की बड़ी प्रतियोगिता के लिए उपयुक्त है। इसके अलावा पवेलियन मैदान में सिर्फ फुटबाल के आयोजन होते हैं। अन्य खेलों के लिए यहां अनुमति नहीं है। वहीं परेड ग्राउंड का अधिकांश हिस्सा स्मार्ट सिटी में चला गया है। जिससे परेड ग्राउंड में खेल आयोजन अब संभव नहीं है। ऐसे में रेंजर्स मैदान ही शहर में एक ऐसा मैदान है, जहां क्रिकेट, फुटबाल आदि खेल कराए जा सकते है। इसलिए इस मैदान का मिलना खेल व खिलाड़ि‍यों के लिए किसी प्रतियोगिता के जीतने से कम सुखद नहीं है।

रख-रखाव को गंभीर रहे सरकार

रेंजर्स मैदान राज्य सरकार के अधीन तो आ गया है, लेकिन इसका रखरखाव सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। दरअसल, सरकारी मैदानों का दुरुपयोग भी आम बात है। राजनीतिक सभाएं समेत सरकार के विभिन्न महोत्सव इन मैदानों पर किए जाते हैं। जिस कारण मैदान को काफी नुकसान पहुंचता है। एक दिन के आयोजन के बाद कई महीनों तक मैदान खेलने लायक नहीं रह जाता है। रेंजर्स मैदान को पूर्व में भी कई आयोजनों के लिए पार्किंग स्थल बनाया गया है।

क्रिकेट व फुटबाल के लिए उपयुक्त यह मैदान

रेंजर्स मैदान क्रिकेट व फुटबाल के लिए मुफीद माना जाता है। यहां सर्वाधिक क्रिकेट के ही आयोजन होते हैं। इसमें आल इंडिया उत्तराखंड गोल्ड कप, जिला क्रिकेट लीग समेत अन्य प्रतियोगिताएं आयोजित होती है। इस मैदान की लंबाई करीब 140 मीटर है। जबकि चौड़ाई 100 मीटर है।

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