अगर जेईई एडवांस में आए हैं कम अंक तो निराश मत हों; इस खबर को पढ़ें
जेईई एडवांस में कम नंबर मिलें हैं तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। कम अंक मिलने पर भी आपको आइआइटी से इंजीनियरिंग करने का मौका मिलेगा।
देहरादून, जेएनएन। अगर आप आरक्षित वर्ग से हैं, इंजीनियरिंग करना चाहते हैं और जेईई एडवांस में कम नंबर मिलें हैं तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। कम अंक मिलने पर भी आपको आइआइटी से इंजीनियरिंग करने का मौका मिलेगा। ऐसे विद्यार्थी आइआइटी के प्रीपेरेटरी कोर्स के जरिये इंजीनियरिंग कर सकते हैं। एक वर्षीय प्रीपेरेटरी कोर्स पूरा करने के बाद उन्हें बीटेक के चार वर्षीय कोर्स में दाखिला मिलेगा।
आइआइटी में दाखिले के लिए एससी, एसटी, दिव्यांग और अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों के पास एक विकल्प और खुला है। जेईई एडवांस में लो स्कोरिंग के बावजूद उन्हें आइआइटी में दाखिला मिल सकता है। इसके लिए प्रिपेटरी कोर्स का विकल्प है। जिसमें उन्हें 8.75 प्रतिशत अंक पर भी दाखिला मिलेगा। दरअसल जेईई मेंस के बाद जेईई एडवांस का सफर पार करना आसान नहीं होता।
पर एक पहलू यह भी है कि आरक्षित वर्ग की कई सीटें हर साल खाली रह जाती हैं। इन सीटों को भरने के लिए ही प्रीपेरेटरी कोर्स चलाया जाता है। बलूनी क्लासेज के प्रबंध निदेशक विपिन बलूनी के अनुसार इसके लिए अलग से मेरिट जारी की जाती है। हालांकि इनके लिए इंजीनियरिंग ब्रांच का निर्धारण आइआइटी ही करता है। इसमें एक साल तक बेसिक जानकारी के बाद ही बीटेक में दाखिला मिलता है।
372 में से 127-142 अंक पर खुलेगी राह
इंजीनियरिंग की प्रतिष्ठित प्रवेश परीक्षा जेईई एडवांस में 127-142 अंक पर दाखिले की राह खुलेगी। इसके अलावा जो छात्र 50 प्रतिशत या अधिक अंक ले आएगा, उसके लिए अच्छे आइआइटी में अच्छी ब्रांच की राहत आसान होगी।
जेईई एडवांस में सामान्य अभ्यर्थी को प्रत्येक विषय में कम से कम 10 प्रतिशत अंक लाने होंगे और कुल योग 35 प्रतिशत अनिवार्य है। अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए प्रत्येक विषय में कम से कम 9 प्रतिशत और कुल योग 31.5 प्रतिशत जरूरी है। एससी, एसटी अभ्यर्थियों को प्रत्येक विषय में 5 प्रतिशत और कुल योग 17.5 प्रतिशत लाना अनिवार्य है। तीनों श्रेणियों के दिव्यांग अभ्यर्थियों को प्रत्येक विषय में 5 प्रतिशत और कुल 17.5 प्रतिशत अंक लाने होंगे। इसके आधार पर आइआइटी की ओर से कॉमन मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी। मेरिट में आने वाले छात्रों को ही आइआइटी में दाखिले का मौका मिलेगा। अविरल क्लासेज के निदेशक डीके मिश्रा के अनुसार, आइआइटी में ब्रांच को लेकर भी खासी मारामारी रहती है। 372 अंकों की इस परीक्षा में जो छात्र 185 या ज्यादा अंक ले आएगा, उसके लिए अच्छे आइआइटी की राह खुल जाएगी। संभव है कि उसे मन मुताबिक अच्छी ब्रांच भी मिल जाए। इसके अलावा एक खास पहलू और भी है। गत वर्षों में आइआइटी के लिए कटऑफ घटानी पड़ी थी। ऐसा होने से ज्यादा से ज्यादा छात्रों को इसका फायदा मिलेगा।
जेईई एडवांस ने इस बार भी चौंकाया
आइआइटी में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा जेईई एडवांस इस साल भी छात्रों के लिए सरप्राइज लेकर आई। परीक्षा में अंकों की गणित फिर बदल गई। बलूनी क्लासेज के प्रबंध निदेशक विपिन बलूनी ने बताया कि वर्ष 2014 में जेईई एडवांस 360 अंकों की हुई थी। वर्ष 2015 में इसे बढ़ाकर 504 अंक का कर दिया गया। वर्ष 2016 में जेईई एडवांस की परीक्षा 372 अंक, जबकि 2017 में 366 अंक की हुई। गत वर्ष पेपर 360 अंकों का था। इस बार परीक्षा फिर 372 अंक की थी।
निगेटिव मार्किंग से भी राहत
जेईई एडवांस परीक्षा में निगेेटिव मार्किंग में भी कुछ हद तक राहत रही। दरअसल, पेपर 1 व पेपर 2 में आइआइटी ने 14 प्रश्न मल्टीपल च्वाइस वाले दिए थे। गत वर्ष तक इनमें 2 अंक की निगेटिव मार्किंग होती थी। जबकि इस बार इसे एक अंक कर दिया गया। इस स्थिति में छात्रों को फायदा होगा और उनके दाखिले की राह प्रबल हो सकती है।
पैटर्न में भी दिखा बदलाव
जेईई एडवांस के परीक्षा पैटर्न में भी आंशिक बदलाव दिखा। परीक्षा में अमूमन पैसेज आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं। छात्रों ने भी इस तरह के प्रश्नों की तैयारी खूब की। पर परीक्षा में इस तरह के प्रश्न इस बार नदारद रहे। अभ्यर्थियों का कहना था कि यह भी एक तरह का सरप्राइज था।
इंटीजर टाइप इस बार भी नहीं
अभ्यर्थियों की काबिलियत परखने के लिए ऐसे प्रश्न पूछे गए जिनका उत्तर दशमलव के बाद के दो अंकों तक सही था। गत वर्षों में आइआइटी ऐसे सवाल पूछता था जिनमें इंटीजर टाइप उत्तर सही होता था। इस बार अगर उत्तर 7.95 आया है तो आइआइटी यह जानना चाहता है कि कितने छात्रों ने सटीक व डेसिमल में जवाब दिया है।
फिजिक्स और गणित में उलझे छात्र
जेईई एडवांस का आयोजन सोमवार को कड़ी सुरक्षा के बीच किया गया। अभ्यर्थियों को कई स्तर की जांच के बाद परीक्षा कक्ष में प्रवेश कराया गया। पेपर देने वाले अभ्यर्थियों ने पेपर-1 को पेपर-2 की तुलना में मुश्किल बताया है। परीक्षा में फिजिक्स व गणित ने छात्रों को खूब उलझाया।
अभ्यर्थियों के मुताबिक फिजिक्स का सेक्शन ठीक-ठाक लेकिन थोड़ा मुश्किल था। जबकि गणित के सवाल काफी लंबे और उलझाऊ थे। सबसे आसान सेक्शन कैमिस्ट्री का रहा है। उनका कहना है कि फिजिक्स के ज्यादा प्रश्न कॉन्सेप्ट पर आधारित थे। गणित में कैलकुल, अलजेब्रा आदि से ज्यादा सवाल पूछे गए थे। कैमिस्ट्री में अधिकांश चैप्टर से प्रश्न पूछे गए थे। वीआर क्लासेज के प्रबंध निदेशक वैभव राय के अनुसार प्रश्न पत्र औसत रहा है। जिस किसी भी छात्र ने गहराई से अध्ययन किया है उसे किसी भी तरह की दिक्कत नहीं आई होगी। इस बार तुलनात्मक रूप से कम छात्रों ने जेईई एडवांस भरा है। इसका भी कहीं न कहीं असर दिखाई देगा।
छात्र बोले
आकृति सैनी कहती हैं कि पेपर औसत रहा है। गणित के सवालों ने जरूर कुछ वक्त लिया। फिजिक्स में कुछ सवालों ने परेशान किया।
वहीं, छात्र दिव्यव्रत दास ने बताया कि परीक्षा में कुछ बदलाव दिखा है। पैसेज आधारित सवाल इस बार नहीं आए। इस बार परीक्षा कुल पूर्णांक में भी बदलाव था।
शिवांशू सिंह का कहना था कि फिजिक्स और गणित औसत रहा। जबकि कैमिस्ट्री आसान था। अब रिजल्ट का इंतजार रहेगा।
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