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अगर आप नदी भूमि के फ्लैट पर कर रहे हैं निवेश, तो पहले पढ़ लें ये खबर

दून में कई आवासीय परियोजनाओं का निर्माण नदी श्रेणी की भूमि पर किया गया है और हाई कोर्ट ऐसी भूमि के आवंटन को निरस्त करने का आदेश दे चुका है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 05 Nov 2018 07:25 PM (IST)Updated: Tue, 06 Nov 2018 08:16 AM (IST)
अगर आप नदी भूमि के फ्लैट पर कर रहे हैं निवेश, तो पहले पढ़ लें ये खबर
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देहरादून, [जेएनएन]: दून में तमाम बिल्डर दीपावली पर सपनों का आशियाना बुक कराने के लिए लुभावने ऑफर दे रहे हैं। इसमें कोई बुराई भी नहीं है, मगर फ्लैट बुक कराने को अपनी जीवनभर की कमाई लगाने से पहले संबंधित आवासीय परियोजना की भली-भांति पड़ताल जरूर कर लें। कहीं ऐसा न हो कि बिल्डर के लुभावने ऑफर में फंसकर आप खून-पसीने की कमाई लुटा बैठें। क्योंकि दून में कई आवासीय परियोजनाओं का निर्माण नदी श्रेणी की भूमि पर किया गया है और हाई कोर्ट ऐसी भूमि के आवंटन को निरस्त करने का आदेश दे चुका है। 

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हाई कोर्ट के 10 अगस्त 2018 को जारी में स्पष्ट किया गया है कि नदी श्रेणी की भूमि का आवंटन किसी भी दशा में नहीं किया जा सकता है। यदि ऐसी भूमि पर भूमिधरी अधिकार सरकार ने दे भी दिए हैं, तो उन्हें खारिज करने के लिए कहा गया है। जिसके क्रम में प्रदेशभर में ऐसी भूमि का सर्वे भी चल रहा है। 

दून में ऐसी भूमि की भरमार है और इनपर बिल्डरों ने फ्लैट भी खड़े कर दिए हैं। खासकर दून क्षेत्र की आसन नदी खाते की भूमि पर एक बड़ी आवासीय परियोजना में फ्लैट खड़े कर दिए गए हैं। इन दिनों बिल्डर यहां जोर-शोर से प्लैट की बुकिंग भी कर रहे हैं। लिहाजा, ऐसी किसी भी परियोजना में निवेश करने से पहले उसके खसरा नंबर की पड़ताल संबंधित तहसील कार्यालय से अवश्य कर लें। 

राजस्व सचिव विनोद रतूड़ी ने बताया कि हाई कोर्ट ने नदी श्रेणी की सभी भूमि के आवंटन को निरस्त करने के दिए हैं नदी श्रेणी की कोई भी भूमि चाहे वह जलमग्न हो या न हो, उस पर किया गया आवंटन निरस्त किया जाएगा। इस श्रेणी में बरसाती नदी को भी माना जाएगा और तालाब, जोहड़, नाले-खाले भी इसके दायरे में आएंगे।

बिल्डरों के आगे ठिठके प्रशासन के कदम 

हाई कोर्ट के आदेश के क्रम में सचिव राजस्व विनोद रतूड़ी ने जिलाधिकारियों को नदी श्रेणी की भूमि पर किए गए आवंटन व कब्जों पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। ताकि ऐसे आवंटन को निरस्त कर अवैध कब्जों को हटाया जा सके। ऐसे आवंटन बिल्डरों के पक्ष में ही अधिक देखते हुए शुरू से ही अधिकारियों की चाल धीमी हो गई। जिसपर जिलाधिकारी एसए मुरुगेशन ने 15 सितंबर को उप जिलाधिकारियों को रिमाइंडर भेजा था और 15 दिन के भीतर कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए थे। 

गंभीर यह है कि अधिकारियों ने इसके बाद भी सर्वे की गति नहीं बढ़ाई। सुस्त रफ्तार को देखते हुए अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) अरविंद कुमार पांडेय ने 10 अक्टूबर को रिमाइंडर भेजा। उन्होंने भी 15 दिन के भीतर कार्रवाई पूरी करने के आदेश जारी किए थे। यह अवधि भी अब बीत चुकी है, लेकिन अब तक नदी श्रेणी की भूमि पर किए गए आवंटन निरस्त करने को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। 

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