अब डॉक्टर एमबीबीएस में पढ़ेंगे मरीजों के साथ सही व्यवहार का पाठ, जानिए
अब 2019-20 से एमबीबीएस के पाठ्यक्रम में नैतिकता और संचार पर भी एक कोर्स शामिल किया जाएगा। जिससे डॉक्टर एमबीबीएस में मरीजों से किस तरह से व्यवहार करना है इसका पाठ पढ़ेंगे।
देहरादून, [जेएनएन]: अब डाक्टरों को एमबीएसएस में ही मरीजों के साथ सही व्यवहार की सीख दी जाएगी। यह सीख उनके एमबीबीएस के पाठ्यक्रम का हिस्सा होगी। सभी डॉक्टरों को इसे पढ़ना और सीखना अनिवार्य होगा।एमबीबीएस के नए पाठ्यक्रम में अगले शैक्षिक सत्र से ही इसे पढ़ाया जाना शुरू हो जाएगा।
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के नए बोर्ड ऑफ गवर्नर ने एमबीबीएस के नए पाठ्यक्रम को मंजूरी दी है। 2019-20 से एमबीबीएस के पाठ्यक्रम में नैतिकता और संचार पर भी एक कोर्स शामिल किया जाएगा। जिसकी स्टडी मेडिकल के अंडर ग्रेजुएट छात्रों को करनी होगी। एथिक्स और कम्युनिकेशन जैसे विषय डॉक्टरों के अंदर दया और सहानुभूति की भावना पैदा करने और सही ढंग से संवाद योग्य बनाने के मकसद से पढ़ाए जाएंगे।
प्रशिक्षण के चरण से ही वह सीख पाएंगे कि मरीजों का इलाज करने के अलावा उनसे कैसे प्रभावी ढंग से बातचीत की जाए। एमबीबीएस के पहले साल से छात्रों को थ्योरी के साथ प्रैक्टिकल भी कराया जाएगा। साथ ही क्लीनिकल काम भी कराए जाएंगे ताकि पांच वर्ष की पढ़ाई पूरी करने के बाद एमबीबीएस एक डॉक्टर के रूप में पूरी तरह से तैयार हो सकें। एमबीबीएस छात्रों को हर स्पेशियलिटी की थोड़ी-थोड़ी पढ़ाई कराई जाएगी, जिससे एमबीबीएस डॉक्टर का महत्व बढ़े और बिना पीजी किए भी वह शुरुआती दौर में हर बीमारी से पीड़ित मरीजों का इलाज कर सकें।
फैकल्टी की योग्यता में छूट देशभर के मेडिकल कॉलेजों में मेडिकल फैकल्टी की कमी है। जिसे देखते हुए बोर्ड ने फैकल्टी की योग्यता में कुछ छूट दी है। डीएनबी (डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड) डिग्री वालों के लिए शर्तो को आसान करने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। दरअसल कुछ प्राइवेट हॉस्पिटल का अपना मेडिकल कॉलेज नहीं होता है।
अभी वहांं के डीएनबी डॉक्टरों को पोस्टग्रेजुएशन नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन (एनबीई) से करना होता है। लेकिन नए प्रस्ताव के मुताबिक अगर कोई डीएनबी डिग्री धारक अगर 100 बिस्तरों वाले और सुपर स्पेशलिटी प्राइवेट हॉस्पटिल में काम कर रहा है तो वह एमसीआइ से मान्यता प्राप्त किसी संस्थान में सीनियर रेजिडेंट के तौर पर एक साल और पूरा करने के बाद फैकल्टी के तौर पर पढ़ा सकेगा।
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