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चकराता और कालसी ब्लाक के टमाटर में झुलसा रोग

जागरण संवाददाता, विकासनगर: जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर के कालसी व चकराता ब्लाक के गांवों में

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Jun 2018 09:47 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jun 2018 09:47 PM (IST)
चकराता और कालसी ब्लाक के टमाटर में झुलसा रोग
चकराता और कालसी ब्लाक के टमाटर में झुलसा रोग

जागरण संवाददाता, विकासनगर: जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर के कालसी व चकराता ब्लाक के गांवों में टमाटर उत्पादक किसान झुलसा रोग से परेशान हैं। आर्थिकी मजबूत करने वाली टमाटर की खेती इस बार किसानों को दगा दे रही है। अगेती व पछेती झुलसा बीमारी के कारण टमाटर उत्पादन प्रभावित हो रहा है। किसानों के समस्या बताने पर कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एसएस ¨सह ने दोनों ब्लाक के बीस गांवों का दौरा कर टमाटर की फसल में बीमारी का प्रकोप पाया। वैज्ञानिक ने किसानों को फसल प्रबंधन के गुर बताने के साथ ही रोग की रोकथाम के बारे में जानकारी दी।

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जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर के कालसी व चकराता ब्लाक में बड़े पैमाने पर टमाटर की खेती की जाती है। नगदी फसल के रूप में की जाने वाली खेती से अन्य फसलों के मुकाबले बेहतर रेट मिलने पर किसानों की आर्थिकी सुधरती है। लेकिन इस बार टमाटर की खेती में झुलसा रोग का प्रकोप शुरू होने पर उत्पादन प्रभावित हो रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एसएस ¨सह ने बीस गांवों का भ्रमण कर पाया कि टमाटर की फसल में झुलसा रोग शुरू हो गया है। अगेती झुलसा बीमारी के कारण टमाटर की निचली सतह की पत्तियां पीली होकर सूख रही हैं, जबकि पछेती झुलसा बीमारी के चलते पत्तियां, तने व फलों पर भूरा व काला धब्बा विकसित हो रहा है। यह बीमारियों की प्रारंभिक अवस्था है। वरिष्ठ वैज्ञानिक ने किसानों को रोग की वजह बताई कि जून में जब बारिश होती है तो वातावरण में गर्मी के साथ ही नमी प्रतिशत बढ़ जाता है। जानकारी के अभाव में किसान बीमारी की रोकथाम को फफूंदनाशक का छिड़काव नहीं करते और नुकसान उठाते हैं। जिस कारण जून में शुरू झुलसा रोग जुलाई माह में महामारी का रूप ले लेता है, जिससे टमाटर उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित होता है। भ्रमण के दौरान वैज्ञानिक डॉ. एसएस ¨सह ने पाया कि टमाटर की लगभग सभी संकर प्रजातियों में बीमारी का प्रकोप अधिक है। वर्तमान में बीस से तीस प्रतिशत तक बीमारियों का प्रकोप है। वैज्ञानिक ने किसानों को फसल साहित्य उपलब्ध कराया। साथ ही यह भी पाया गया कि जिन जागरूक किसानों ने समय रहते फफूंदनाशक का इस्तेमाल किया, उनकी फसल में रोग का प्रकोप नाममात्र का है। झुलसा रोग की वजह

विकासनगर: किसानों द्वारा टमाटर के पौधों की रोपाई बहुत कम दूरी पर की जाती है, दो तीन माह बाद जब फसल की बढ़वार होती है तो बीच में दूरी कम होने की वजह से फसल बहुत घनी हो जाती है, जिस कारण फसल में सूर्य की किरण जमीन तक नहीं पहुंच पाती, साथ ही हवा का भी पौधे के निचले हिस्से में अभाव शुरू हो जाता है। बारिश होते ही नमी बढ़ने के कारण टमाटर में अगेती व पछेती झुलसा बीमारी का प्रकोप शुरू हो जाता है। प्रबंधन के बताए उपाय

विकासनगर: कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. ¨सह ने रोग की रोकथाम के उपाय बताए कि कैब्रियोटाप फफूंदनाशक की दो ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में स्टीकर के साथ घोलकर सात आठ दिन के अंतराल पर कम से कम तीन छिड़काव करें। छिड़काव मौसम साफ होने पर ही करें। यदि रोपाई के वक्त पौधे के बीच की दूरी डेढ फीट के करीब व लाइन से लाइन के बीच की दूरी एक मीटर तक रखी जाए तो सूर्य की रोशनी व हवा पौधे में नीचे तक जाएगी और नमी प्रतिशत न बढ़ने से रोग का प्रकोप भी कम होगा। वरिष्ठ वैज्ञानिक ने किसानों को बताया कि टमाटर की फसल में रोगग्रस्त पत्तियों को काटकर खेत से दूर फेंककर फफूंदनाशक का इस्तेमाल किया जाए। तो बीमारियों पर काफी हद तक अंकुश लग सकता है।


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