सीआ ने जिलों में उपखनिज की सर्वे रिपोर्ट लौटाई, जानिए वजह
सीआ की बैठक में विभाग की ओर से जिलेवार मुहैया कराई जिला सर्वे रिपोर्ट का परीक्षण किया। पता चला कि कहां कितनी मात्रा में चुगान हो सकता है इस बारे में विभाग को ज्यादा जानकारी नहीं।
By Edited By: Published: Sat, 12 Oct 2019 08:10 PM (IST)Updated: Sun, 13 Oct 2019 03:14 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। प्रदेशभर की नदियों में कितना उपखनिज है और इसमें से कहां-कहां कितनी मात्रा में चुगान हो सकता है, इस बारे में खनन विभाग को सरसरी जानकारी ही है। इसका खुलासा तब हुआ, जब राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (सीआ) की बैठक में विभाग की ओर से जिलेवार मुहैया कराई जिला सर्वे रिपोर्ट (डीएसआर) का परीक्षण किया। बात सामने आई कि सभी रिपोर्ट अपूर्ण हैं। सीआ ने डीएसआर लौटाते हुए खनन विभाग को 15 दिन के भीतर पूरी जानकारी के साथ इन्हें दुरुस्त कर प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किए। साथ ही सुझाव दिया कि इसके लिए सैटेलाइट मैपिंग की मदद ली जाए।
केंद्रीय खनन नियमावली-2016 के तहत हर जिले में उपखनिज के सिलसिले में जिला सर्वे रिपोर्ट तैयार करनी अनिवार्य हैं। इसके बाद ही खनन के मामलों में सीआ की ओर से पर्यावरणीय स्वीकृति जारी करने का प्रावधान है। इसे देखते हुए सीआ ने खनन विभाग को डीएसआर मुहैया कराने के निर्देश दिए थे। हाल में विभाग ने सीआ को सभी जिलों की नदियों में उपखनिज को लेकर रिपोर्ट सीआ को सौंपी। बीते रोज हुई सीआ की बैठक में रिपोर्ट खोली गई तो बात सामने आई कि सभी जिलों की रिपोर्ट सरसरी और आधी-अधूरी हैं।
सीआ के अध्यक्ष डॉ.एसएस नेगी के अनुसार डीएसआर में यह जानकारी नहीं थी कि जिले की किस नदी में और कहां-कहां कितना उपखनिज है। जहां उपखनिज यथा रेत, बजरी, पत्थर हैं, उसमें से अगले पांच साल तक इनका कितनी मात्रा में चुगान किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि खनन विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि वह 15 दिन में सभी डीएसआर दुरुस्त कर प्रस्तुत करे। डॉ. नेगी के मुताबिक खनन विभाग को सुझाव दिया गया कि समग्र डीएसआर तैयार करने के लिए सैटेलाइट मैपिंग सबसे बेहतर विकल्प है।
राज्य में यूसैक समेत अन्य संस्थाएं हैं, जिनके जरिये यह मैपिंग कराई जा सकती है। इसमें ज्यादा वक्त भी नहीं लगेगा। उन्होंने बताया कि डीएसआर तैयार होने के बाद खनन विभाग को उपखनिज चुगान की कार्ययोजना भी बनाकर देनी है। उन्होंने बताया कि विस्तृत डीएसआर के साथ ही कार्ययोजना मिलने के बाद खनन से संबंधित मामलों में पर्यावरणीय स्वीकृति जारी की जाएगी।
राजस्व बढ़ेगा, चोरी पर लगेगा अंकुश
वर्तमान में खनन विभाग के पास यह डेटा उपलब्ध नहीं है कि राज्यभर में किस नदी में कहां-कहां उपखनिज है। डीएसआर तैयार होने पर ही इसका डेटा मिलेगा। जाहिर है कि सही जानकारी होने के बाद नदियों से उपखनिज की चोरी पर लगाम कसेगी। साथ ही वैद्य खनन होने की मंजूरी मिलने से राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी।
खनन पट्टों के 65 प्रस्ताव लटके
खनन विभाग ने राज्यभर में खनन पट्टों के 65 प्रस्ताव सीआ को दिए हैं, जिनके लिए पर्यावरणीय स्वीकृति जारी होनी है। डीएसआर के अभाव में अब कुछ समय के लिए प्रस्ताव भी लटक गए हैं। इनमें 23 खड़िया और शेष नदियों में रेत-बजरी चुगान के हैं।
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