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कार्यशाला की जमीन पर बढ़ा विवाद, कोर्ट में जाने की तैयारी Dehradun News

हरिद्वार रोड स्थित कार्यशाला की जमीन को स्मार्ट सिटी को देने का मामला हाईकोर्ट ले जाने की तैयारी कर्मचारी यूनियन ने शुरू कर दी है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 17 Dec 2019 05:31 PM (IST)Updated: Tue, 17 Dec 2019 05:31 PM (IST)
कार्यशाला की जमीन पर बढ़ा विवाद, कोर्ट में जाने की तैयारी Dehradun News
कार्यशाला की जमीन पर बढ़ा विवाद, कोर्ट में जाने की तैयारी Dehradun News

देहरादून, जेएनएन। रोडवेज की हरिद्वार रोड स्थित कार्यशाला की जमीन को स्मार्ट सिटी को देने का मामला हाईकोर्ट ले जाने की तैयारी कर्मचारी यूनियन ने शुरू कर दी है। दरअसल, यूनियन इस जमीन के बदले आइएसबीटी का स्वामित्व देने समेत पचास करोड़ रुपये की डिमांड कर रही है। दूसरे कर्मचारी संगठन भी सरकार के विरोध में आंदोलनरत हैं। सरकार इसे नजर-अंदाज कर रोडवेज को सिर्फ सर्किल रेट पर जमीन का मूल्य देने की तैयारी कर रही है। जिससे कर्मचारी संगठन भड़क गए हैं। 

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स्मार्ट सिटी के लिए रोडवेज की हरिद्वार रोड स्थित कार्यशाला की जमीन को शहरी विकास विभाग को देने के बदले देहरादून आइएसबीटी का स्वामित्व मांग रहे रोडवेज के कर्मचारियों ने सरकार के नए फैसले की भनक लगते ही कमर कस ली है। सरकार की योजना के तहत कार्यशाला की लगभग 25 एकड़ जमीन पर जिले के सभी सरकारी दफ्तरों की ग्रीन बिल्डिंग का निर्माण कराया जाना है। इसके लिए सरकार ने रोडवेज को यह जमीन शहरी विकास को ट्रांसफर करने के आदेश दिए हैं। रोडवेज कर्मचारी संगठन कार्यशाला की जमीन ट्रांसफर करने से पूर्व देहरादून आइएसबीटी का स्वामित्व रोडवेज के नाम करने और नई कार्यशाला बनाने एवं शिफ्टिंग के खर्च में 50 से 100 करोड़ तक की मांग कर रहे। रोडवेज कर्मचारी यूनियन ने आइएसबीटी के स्वामित्व संग 50 करोड़ रुपये की डिमांड की हुई, जबकि कर्मचारी संयुक्त परिषद आइएसबीटी संग 100 करोड़ रुपये की डिमांड कर रही। आइएसबीटी का स्वामित्व न मिलने पर बाजारी रेट पर 300 करोड़ की डिमांड की जा रही। कर्मचारियों ने मामले को लेकर आंदोलन छेड़ा हुआ है और 20 दिसंबर को सचिवालय घेराव की चेतावनी दी हुई है। 

सरकार की ओर से जमीन की प्रतिपूर्ति के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी कमेटी की नौ दिसंबर को हुई बैठक में यह मांगें नकार दी गईं। बैठक में सर्किल-रेट के हिसाब से रोडवेज को 58 करोड़ रुपये देने पर विचार किया गया। आइएसबीटी रोडवेज को देने में तकनीकी अड़चन आड़े आ गई। सरकार ने रैमकी कंपनी के संग 2023 तक का अनुबंध किया हुआ है। वहीं, उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महामंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि अगर सरकार ने जमीन के बदले आइएसबीटी नहीं दिया तो कार्यशाला की जमीन का बाजारी भाव तीन सौ करोड़ रुपये दिया जाए। ऐसा न होने पर यूनियन हर आंदोलन के लिए तैयार है और जरूरत पर यूनियन हाईकोर्ट भी जाने को तैयार है।   

20 को सचिवालय कूच व  बसों का करेंगे चक्का जाम 

मांगों का समाधान न होने पर लेकर रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद ने 20 दिसंबर को सचिवालय कूच का एलान किया है। रोडवेजकर्मियों से जुड़ी मांगों को लेकर सोमवार दोपहर निगम कर्मचारी अधिकारी महासंघ ने सचिवालय में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात कर पांच सूत्री ज्ञापन भी दिया। मांगें न माने जाने पर 20 से बसों का चक्का जाम करने की चेतावनी भी दी गई। 

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महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गोसाईं व सचिव बीएस रावत के साथ प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात में रोडवेजकर्मियों की समस्याएं गिनाईं। कर्मचारियों ने सरकार से तत्काल वार्ता बुलाने का आग्रह किया व बताया कि अगर सरकार उनकी नहीं सुनेगी तो वह 20 दिसंबर को सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेंगे। ज्ञापन में यह भी चेतावनी दी गई कि रैली के दौरान ही उत्तराखंड में बसों का चक्का जाम कर दिया जाएगा। निगम की भूमि से छेड़छाड़ न करने और कार्यशाला की जमीन के बदले आईएसबीटी का स्वामित्व और नई कार्यशाला बनाने को सौ करोड़ का भुगतान करने की मांग की गई। महासंघ की ओर से कहा गया कि जिस तरह से सरकार निगम की जमीनों पर आदेश कर रही, उस स्थिति में निगम का राजकीयकरण कर देना चाहिए। 

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कर्मचारियों के वेतन भत्तों के बजट की व्यवस्था समेत सरकार द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाओं का कोर्ट के आदेश के अनुसार 70 करोड़ रुपये देने की मांग की गई। टाटा की नई बसों की वजह से रोडवेज को हुए नुकसान की भरपाई भी टाटा कंपनी से करने की मांग की गई। 

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