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सल्ट उपचुनाव में मतदान से पहले कांग्रेस में अंतर्कलह, पढ़िए पूरी खबर

सल्ट उपचुनाव में मतदान से ऐन पहले कांग्रेस का अंतर्कलह सतह पर आ गया। सल्ट के पूर्व विधायक और प्रदेश कांग्रेस कमेटी उपाध्यक्ष रणजीत सिंह रावत ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ जिसतरह मोर्चा खोला है उसका असर उपचुनाव में भी दिख सकता है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 16 Apr 2021 08:18 PM (IST)Updated: Fri, 16 Apr 2021 09:39 PM (IST)
सल्ट उपचुनाव में मतदान से पहले कांग्रेस में अंतर्कलह, पढ़िए पूरी खबर
सल्ट उपचुनाव में मतदान से ऐन पहले कांग्रेस का अंतर्कलह सतह पर आ गया।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। आखिर वही हुआ, जिसका अंदेशा जताया जा रहा था। सल्ट उपचुनाव में मतदान से ऐन पहले कांग्रेस का अंतर्कलह सतह पर आ गया। सल्ट के पूर्व विधायक और प्रदेश कांग्रेस कमेटी उपाध्यक्ष रणजीत सिंह रावत ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ जिसतरह मोर्चा खोला है, उसका असर उपचुनाव में भी दिखाई पड़ सकता है।

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सल्ट उपचुनाव में शनिवार को मतदान होना है। 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इस उपचुनाव को रिहर्सल मानकर कांग्रेस ने जमकर पसीना बहाया है। प्रदेश संगठन से लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने चुनाव प्रचार में अंतिम क्षणों तक डटे रहे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह, प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव, उपनेता प्रतिपक्ष करन माहरा, राज्यसभा सदस्य प्रदीप टम्टा समेत पार्टी के कई दिग्गजों ने तकरीबन एक पखवाड़े तक चुनाव प्रचार में शिरकत की। पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत यानी हरदा स्टार प्रचारक रहे। उन्होंने कोरोना संक्रमण से उबरने के तुरंत बाद आखिरी क्षणों में चुनाव प्रचार की कमान संभाली।

चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक चुकी पार्टी को बड़ा झटका तब लगा, जब पूर्व विधायक रणजीत सिंह रावत ने हरीश रावत के खिलाफ खुलकर मैदान में आ डटे। दोनों के बीच लंबे समय से चल रही खींचतान सल्ट उपचुनाव के दौरान नए मुकाम पर पहुंच गई है। रणजीत सिंह रावत के पुत्र और सल्ट ब्लाक प्रमुख विक्रम सिंह रावत उपचुनाव में पार्टी टिकट के प्रबल दावेदार रहे हैं। खास बात ये है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से बनाए गए पैनल ने भी विक्रम सिंह रावत को टिकट का मजबूत दावेदार माना था।

मगर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जिसतरह गंगा पंचोली के समर्थन में खुलकर आए, उससे दोनों खेमों के बीच तलवारें खिंच गई हैं। इससे पहले प्रदेश युवक कांग्रेस अध्यक्ष पद से विक्रम सिंह रावत को हटाने के पीछे भी दोनों खेमों के बीच सियासी रंजिश को अहम वजह माना जाता है। कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती दोनों खेमों में संतुलन साधने की है, ताकि चुनाव के नतीजों पर इसका असर पड़ने से रोका जा सके।

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