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आपदा पीड़ि‍तों को झेलनी पड़ी सिस्टम की बेरुखी, डॉक्‍टरों ने बाहर से मंगवाई दवा

दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में एक मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था और अब आपदा पीड़ि‍त से बाहर से दवा मंगवाने का एक प्रकरण और सामने आ गया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 24 Aug 2019 10:46 AM (IST)Updated: Sat, 24 Aug 2019 08:49 PM (IST)
आपदा पीड़ि‍तों को झेलनी पड़ी सिस्टम की बेरुखी, डॉक्‍टरों ने बाहर से मंगवाई दवा
आपदा पीड़ि‍तों को झेलनी पड़ी सिस्टम की बेरुखी, डॉक्‍टरों ने बाहर से मंगवाई दवा

देहरादून, जेएनएन। सिस्टम कितना बेरहम हो सकता है इसकी एक बानगी कुदरत की मार झेल चुके आपदा पीड़ि‍तों के साथ देखने को मिली है। दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में एक मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था और अब आपदा पीड़ि‍त से बाहर से दवा मंगवाने का एक प्रकरण और सामने आ गया। जिस पर चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने मरीज को अपनी जेब से पैसा दिया। पर समस्या ये कि ऐसा करने वाले चिकित्सक पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। अभी कुछ दिन पहले भी इसी तरह के मामले में अस्पताल प्रशासन की फजीहत हुई थी। प्राचार्य ने एमएस से रिपोर्ट तलब कर कार्रवाई की बात कही पर बात आई गई हो गई। जिस कारण चिकित्सकों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। 

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प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय में कुछ दिन पहले आपदा पीड़ि‍त उपेंद्र से 400 रुपये का सामान बाहर से मंगवा लिया गया था। डिप्टी एमएस डॉ. एनएस खत्री ने उन्हें रुपये वापस कर दिये थे। अब एक महिला मरीज निशा से दवा बाहर से मंगवाई गई। जन औषधि केंद्र से उन्होंने यह दवा खरीदी थी। यह स्थिति तब है जब मुख्यमंत्री आपदा पीड़ि‍तों को मुफ्त उपचार देने की बात कई बार कह चुके हैं। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. टम्टा ने बताया कि उ न्हें अस्पताल से जाते समय रुपये वापस कर दिए गए हैं। 

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चिकित्सा अधीक्षक ने मरीज व तीमारदार अपनी गाड़ी से भेजे

आपदा पीड़ि‍तों को लेकर कई स्तर पर बदइंतजामी देखने को मिल रही है। न केवल इलाज बल्कि घर वापस जाने में भी उन्हें खासी फजीहत झेलनी पड़ी है। स्थिति ये कि जिला आपदा प्रबंधन केंद्र से मदद न मिलने पर चिकित्सा अधीक्षक को अपनी गाड़ी भेजनी पड़ी। 

शुक्रवार को आपदा में घायल लोगों को डिस्चार्ज कर घर भेजना था। लेकिन जिला प्रशासन या आपदा प्रबंधन विभाग से गाड़ी की व्यवस्था नहीं हो सकी। आपदा प्रबंधन विभाग ने चिकित्सा अधीक्षक को फोन पर यह कह दिया कि आप गाड़ी की व्यवस्था कर लें। बाद में पेमेंट कर दिया जाएगा। चिकित्सा अधीक्षक अपने स्तर पर व्यवस्था करने लगे, पर इसी बीच एक घायल उपेंद्र को उनके साथी लेकर निकल गए। बाद में एमएस ने अन्य लोगों को अपनी गाड़ी से भेजने का फैसला किया। यहां से त्यूणी निवासी चाचा भतीजे जालम सिंह और राजेंद्र चौहान, आराकोट निवासी सागर को भेजा गया। उपेंद्र को चकराता से चालक ने अपने साथ लिया। अब अस्पताल में तीन मरीज भर्ती हैं। 

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एक गर्भवती भर्ती, दो डिस्चार्ज

आराकोट के मुंडा गांव निवासी आपदा पीडि़त दो गर्भवती महिलाओं को एयर लिफ्ट कर सहस्रधारा हेलीपेड लाया गया। यहां से उन्हें एंबुलेंस से लाकर दून महिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि मुंडा गांव निवासी मनोज की 21 वर्षीय पत्नी प्रतिमा और ओमप्रकाश पत्नी रेखा को यहां लाया गया था। प्रतिमा 34 सप्ताह की गर्भवती है, जबकि रेखा आठ माह की। दोनों की हालत सामान्य है। रेखा अपने रिश्तेदारों के यहां चली गई है। जबकि प्रतिमा को भर्ती किया गया है। उधर, गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय में भर्ती गर्भवती ललिता को भी रिश्तेदार वापस ले गए हैं। सीएमएस डॉ. बीसी रमोला ने बताया कि उसके परिजनों ने वापस जाने की इच्छा जताई थी।

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