नशे में फंसे युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने को बनी रणनीति
देहरादून को नशा मुक्त करने के लिए शुक्रवार को डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने मनोचिकित्सकों के साथ मंत्रणा की।
जागरण संवाददाता, देहरादून: देहरादून को नशा मुक्त करने के लिए शुक्रवार को डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने मनोचिकित्सकों के साथ मंत्रणा की। डीआइजी ने कहा कि देहरादून में नशा किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। प्रयास यह है कि जो युवा नशे के दलदल में फंसे हैं, उन्हें समाज की मुख्यधारा में वापस लाया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि नशे के सौदागरों पर शिकंजा कसने का अभियान जारी रहेगा। बैठक के बाद डीआइजी ने उन अभिभावकों से भी मुलाकात की, जिनके बच्चे नशे के चंगुल में फंस चुके हैं।
देहरादून को नशा मुक्त करने के लिए पुलिस ने एक माह का विशेष अभियान 'ऑपरेशन सत्य' चलाया है। इसके तहत नशे का अवैध कारोबार करने वालों पर जहां कार्रवाई की जा रही है, वहीं नशे की गिरफ्त में आए व्यक्तियों की थाना स्तर पर काउंसिलिंग कर उन्हें नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। काउंसिलिंग के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों, मनोचिकित्सकों और स्वयंसेवी संस्थाओं के संचालकों ने पुलिस के साथ जुड़ने की इच्छा जाहिर की थी। इसके बाद एक टीम बनाई गई, जो प्रोफेशनल तरीके से नशे की गिरफ्त में आए युवाओं की काउंसिलिग करेगी और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास करेगी। काउंसिलिग में ऐसे युवाओं के स्वजनों को भी शामिल किया जाएगा। उन्हें बताया जाएगा कि नशे की गिरफ्त से बाहर आने की प्रक्रिया के दौरान स्वजनों को क्या करना चाहिए।
इसी उद्देश्य के साथ शुक्रवार को डीआइजी ने बैठक आयोजित की। इसमें कई महत्वपूर्ण सुझाव मिले, जिनके आधार पर अभियान को आगे बढ़ाने की रूपरेखा तैयार की गई। वहीं, विशेषज्ञों की टीम ने पुलिस लाइन में नशे के आदी 16 व्यक्तियों की काउंसिलिग भी की। बैठक में मनोवैज्ञानिक कोरोनेशन अस्पताल डॉ. अनुराधा, मनोवैज्ञानिक दून चिकित्सालय डॉ. निधि काला, काउंसलर एवं मनोवैज्ञानिक डॉ. अखिल चोपड़ा, डॉ. मुकुल देव शर्मा, जर्मनी से नारकोटिक्स एनोमिनश के सहायक संस्थापक डॉ. सौरभ मल्होत्रा, डॉ. वंदना चोपड़ा, मनोवैज्ञानिक, कुलदीप सिंह असवाल, डॉ. सोना कौशल गुप्ता, मनोवैज्ञानिक डॉ. पी. प्रतिभा शर्मा मौजूद रहीं। बैठक में बनी यह रणनीति
-नशे के कारोबार में लिप्त व्यक्तियों के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई।
-नशे की गिरफ्त में आए युवकों, छात्रों व अन्य व्यक्तियों को काउंसिलिग के माध्यम से नशे से दूर रहने के लिए प्रेरित करना और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ना।
-नशे की गिरफ्त में आए ऐसे व्यक्ति, जिन्हें उपचार की आवश्यकता है, उनको नशा मुक्ति केंद्र में निश्शुल्क उपचार प्रदान करवाना।