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आयुष यूजी में दाखिले पर छिड़ी रार

आयुर्वेद विश्वविद्यालय से जुड़े सरकारी-निजी कॉलेजों में बीएएमएस, बीएचएमएस, बीयूएमएस ऑल में दाखिलों को लेकर विवाद की स्थिति पैदा हो गर्इ हैं।

By Edited By: Published: Tue, 17 Jul 2018 03:01 AM (IST)Updated: Tue, 17 Jul 2018 09:02 PM (IST)
आयुष यूजी में दाखिले पर छिड़ी रार
आयुष यूजी में दाखिले पर छिड़ी रार

देहरादून, [जेएनएन]: आयुष यूजी में दाखिले को लेकर विवाद की स्थिति बनती दिख रही है। मौजूद हालातों पर गौर करें तो एक ओर जहा उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय केंद्रीयकृत काउंसिलिंग कराने का निर्णय ले चुका है। वहीं, निजी संस्थान मैनेजमेंट कोटे की सीटों के लिए अलग प्रवेश परीक्षा कराने पर अड़े हैं। 

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उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय से जुड़े सरकारी व निजी कॉलेजों में बीएएमएस, बीएचएमएस और बीयूएमएस की कुल 675 सीटें राज्य कोटे की हैं। जबकि ऑल इंडिया कोटे की कुल 565 सीटें हैं। इन्हीं सीटों पर दाखिला प्रक्रिया शुरू होनी है। इस बार दाखिला नीट के जरिये होना है। ऐसे में अब आयुर्वेद विश्वविद्यालय भी केंद्रीयकृत काउंसलिंग की तैयारी कर रहा है। जिसके माध्यम से आयुष संस्थानों की न सिर्फ राज्य कोटा, बल्कि ऑल इंडिया सीटों पर भी दाखिला होगा। इसी को लेकर निजी संस्थान एतराज कर रहे हैं। 

उनका कहना है कि दाखिले नीट के माध्यम से हुए तो ज्यादातर सीटें खाली रह जाएंगी। कारण यह कि जिस किसी का भी नीट में अच्छा रैंक है, वह एमबीबीएस का ही विकल्प चुनेगा। औसत रैंक वाले अधिकतर छात्र भी ड्रॉप करते हैं। उस पर बीएएमएस, बीएचएमएस व बीयूएमएस में अच्छे रैंक वाले छात्रों को राज्य कोटा के तहत सीट अलॉट हो जाएगी। ऐसे में संकट मैनेजमेंट कोटा की सीट भरने का होगा। राज्य सरकार सीट खाली न रहने की गारंटी दे तो नीट से दाखिले से कोई परहेज नहीं है। क्योंकि सीट खाली रही तो कॉलेजों को नुकसान उठाना पड़ेगा। 

नियमानुसार, राज्य व मैनेजमेंट कोटा की 50:50 के अनुपात में सीट होती हैं। केंद्र के आदेश के तहत इन्हें नीट के माध्यम से भरना है। जबकि राज्य में मैनेजमेंट कोटा के लिए अभी तक कॉलेज अलग प्रवेश परीक्षा कराते थे। इसे लेकर उन्होंने शासन में अपना पक्ष रखा है। नुकसान का भी डर बता दें कि निजी संस्थानों पर कोई मॉनीटरिंग न होने के चलते मैनेजमेंट की सीटों पर वह भारी भरकम डोनेशन लेते आए हैं। लेकिन अब यह संभव नहीं होगा। नीट की सेंट्रलाइज्ड काउंसिलिंग के कारण निजी संस्थानों को मनमाने दाखिले करने का अधिकार नहीं मिल पाएगा। जिस कारण प्रबंधन को भारी नुकसान होगा। काउंसलिंग को लेकर तैयारिया अंतिम चरण में हैं। 

आयुर्वेद विवि प्रभारी कुलसचिव ने बताया कि शासन के निर्देश हैं कि सभी सीटें केन्द्रीयकृत काउंसलिंग के माध्यम से ही भरी जाएं। इसी अनुसार कार्रवाई की जाएगी। 

वहीं, एसोसिएशन ऑफ कम्बाइंड एंट्रेंस एग्जाम के अध्यक्ष डॉ. अश्वनी काम्बोज ने कहा कि  विवि प्राइवेट कॉलेजों की चिंता सिर्फ इस बात की है कि सीटें न खाली रह जाएं। क्योंकि जिन राज्यों में पिछले साल यह व्यवस्था अपनाई गई, वहा ऐसा ही हुआ है। हमने शासन में अपना पक्ष रखा है। यह प्रकरण अब न्याय विभाग को भेजा गया है। 

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