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धन सिंह बत्र्वाल ने ही लिखी थी बदरीनाथ की आरती

करोड़ों हिदुओं की आस्था के केंद्र बदरीनाथ धाम की आरती रुद्रप्रयाग के धन सिंह बत्र्वाल ने लिखी है। अब तक यह माना जाता था कि करीबन 150 साल पहले इस आरती की रचनाचमोली जिले के नदंप्रयाग के रहने वाले मुस्लिम बदरुद्दीन ने की थी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 May 2019 03:01 AM (IST)Updated: Sat, 18 May 2019 06:29 AM (IST)
धन सिंह बत्र्वाल ने ही लिखी थी बदरीनाथ की आरती
धन सिंह बत्र्वाल ने ही लिखी थी बदरीनाथ की आरती

जागरण संवाददाता, देहरादून : करोड़ों हिदुओं की आस्था के केंद्र बदरीनाथ धाम की आरती रुद्रप्रयाग के धन सिंह बत्र्वाल ने लिखी है। अब तक यह माना जाता था कि करीबन 150 साल पहले इस आरती की रचनाचमोली जिले के नदंप्रयाग के रहने वाले मुस्लिम बदरुद्दीन ने की थी। आरती की पांड़लिपि की कार्बन डेटिंग के परिणाम से साबित हो गया है कि यह वर्ष 1775 के आसपास की है और धन सिंह बत्र्वाल इसी दौर के हैं, जबकि बदरुद्दीन उन्नीसवीं सदी के उत्तरा‌र्द्ध के हैं।

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शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में आयोजित कार्यक्रम में धन सिंह बत्र्वाल के वंशजों ने पांडुलिपि की प्रति मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भेंट की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे यह साबित हुआ है कि हमारे पूर्वज उस समय भी जागरूक थे। स्व. धन सिंह बत्र्वाल के वंशजों ने इतनी पुरातन सम्पदा को संजोकर रखा, यह दूर दृष्टि का परिचायक है।

उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) के निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने बताया कि पिछले साल विजराणा गांव के रहने वाले स्व. धन सिंह बत्र्वाल के परपोते महेंद्र सिंह बत्र्वाल ने सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर को पांडुलिपि सौंपकर दावा किया था कि आरती उनके परदादा ने लिखी है। शासन से यूसैक को कार्बन डेटिंग की जिम्मेदारी सौंपी गई। उन्होंने बताया कि बदरुद्दीन के वंशजों से भी सुबूत पेश करने को कहा गया था, लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए। उन्होंने कहा कि पांडुलिपि को डिजिटिलाइजेशन के जरिये सुरक्षित रख लिया गया है। स्व. बत्र्वाल के परपोते महेंद्र बत्र्वाल ने बताया कि हमारे लिए यह गौरव का पल है।

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आरती में हैं 11 पद

बदरीनाथ धाम में सुबह शाम गुंजने वाली प्रसिद् आरती 'पवन मंद सुगंध शीतल हेम मंदिर शोभितम्। निकट गंगा बहत निर्मल बदरीनाथ विश्वंभरम, श्री बदरीनाथ विश्वंभरम ।।' के रचियता धन सिंह बत्र्वाल की मूल रचना कुछ 11 पद हैं। हालांकि आरती में सात पद ही गाए जाते हैं।


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