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Chhath Puja: व्रती महिलाओं ने उदयीमान सूर्य को दिया अर्घ्‍य, उमड़ा सैलाब

षष्ठी वृत्त के पारायण पर त्रिवेणी घाट गंगा तट में सुबह हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उम्र पड़ी। व्रतियों ने उदयीमान सूर्य देव को अर्ध चढ़ाया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 03 Nov 2019 07:18 AM (IST)Updated: Sun, 03 Nov 2019 08:36 PM (IST)
Chhath Puja: व्रती महिलाओं ने उदयीमान सूर्य को दिया अर्घ्‍य, उमड़ा सैलाब
Chhath Puja: व्रती महिलाओं ने उदयीमान सूर्य को दिया अर्घ्‍य, उमड़ा सैलाब

देहरादून, जेएनएन। षष्ठी वृत्त के पारायण पर त्रिवेणी घाट गंगा तट में सुबह हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उम्र पड़ी। व्रतियों ने उदयीमान सूर्य देव को अर्ध चढ़ाया। व्रती महिलाओं को उनके पति ने जल ग्रहण कराने के साथ व्रत पूर्ण कराया। वहीं, देहरादून में टपकेश्वर की तमसा नदी में सूर्य उदय होने के बाद व्रती महिलाओं ने अर्घ्य दिया।

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शनिवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को आरके चढ़ाने के साथ श्रद्धालुओं ने व्रत प्रारंभ किया था। गंगा तट पर छठ महोत्सव समिति ने पूरी रात भजन व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया। यहां छठ मैया की मूर्ति का विधिवत पूजन भी किया गया।

देवी मइया सुन लो अरजिया हमार...

छठ महोत्सव के तहत शनिवार शाम को सूर्य उपासना को राजधानी देहरादून के विभिन्न घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। इस दौरान छठव्रतियों ने अस्त होते सूर्य भगवान अघ्र्य दिया और सुख-समृद्धि की मन्नत मांगी। शनिवार को दोपहर ढाई बजे के बाद से ही घाट किनारे छठव्रती पूजा सामग्री और परिवार के साथ जुटते लगे थे। जिसके बाद भगवान भास्कर की आराधना शुरू हुई। टपकेश्वर, मालदेवता, रायपुर, नत्थनपुरा, पुलिया नंबर छह, प्रेमनगर, हरबंशवाला, सिंहल मंडी, चंद्रबनी, काठ बंगला घाट पर छठव्रती महिला-पुरुष बहते पानी के अंदर हाथों में अगरबत्ती और दीया लिए सूर्य अस्त का इंतजार करते नजर आए। साढ़े पांच बजे के करीब जैसे ही सूर्य भगवान अस्त हुए।

छठव्रतियों ने सिंघाड़ा, नारियल, फलों के साथ ही सूप, कच्ची हल्दी, मूली, गन्ना आदि पूजन सामग्री को मिट्टी से बनी सुशुभिता पर चढ़ाकर विधि-विधान से पूजा की। इस दौरान घाट पर केरवा फरेला घवद से ओहे पे सुगा मंडराय..., देवी मइया सुन लो अरजिया हमार... जैसे गीत गूंजते रहे। पूजा के बाद छठव्रती सुहागिनों ने एक-दूसरे को सिंदूर लगाया। इस मौके पर टपकेश्वर घाट पर महापौर सुनील उनियाल गामा, मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने शिरकत की। रविवार को अल सुबह सभी छठ व्रती फिर से घाटों पर पहुंचे और उगते सूरज को अर्घ्‍य देकर छठ पर्व का पारण किया।

पर्यावरण संरक्षण का दिया संदेश

पूर्वा सांस्कृतिक मंच की ओर से विभिन्न घाटों पर हजारों श्रद्धालुओं को पर्यावरण सरंक्षण और सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग न करने का संकल्प दिलाया गया। सभी घाटों पर मंच के वालंटियर और घाट प्रभारी, डॉक्टर तैनात नजर आए।

काठ बंगला में भी हुआ पूजन

मिथिला पूर्वा देवभूमि महासभा समिति ने राजपुर के काठ बंगला घाट पर छठ पूजा का आयोजन किया। जिसमें मसूरी विधायक गणेश जोशी ने शिरकत की। उन्होंने कहा कि लोक आस्था के इस पर्व में शामिल होकर उन्हें बेहद सुकून मिला है। इस मौके पर समिति के अध्यक्ष विनोद झा, कोषाध्यक्ष हरेराम झा, महासचिव त्रिवेणी राय, अरुण चौधरी, अमोद राय, दीपक पंडित मौजूद रहे।

छठ पार्क के निर्माण का टेंडर एक माह में होगा जारी

छठ पूजा आयोजन समिति ब्रह्मपुरी देहरादून की ओर से ब्रह्मपुरी कला ग्राउंड में आयोजित छठ पूजा में धर्मपुर विधायक विनोद चमोली मौजूद रहे। इस मौके पर उनके साथ महापौर सुनील उनियाल गामा भी मौजूद रहे। विधायक विनोद चमोली ने कहा कि उनके प्रयासों से ही यहां पर पांच बीघा जमीन पूर्व में दी गई थी। वहां छठ पार्क के निर्माण के लिए 50 लाख रुपये स्वीकृत हैं। वहीं महापौर ने घोषणा की कि छठ पार्क के लिए टेंडर जल्द से जल्द जारी किया जाएगा।

दंडवत करती पहुंची छठव्रती

इस मौके पर कई छठव्रती घाट पर दंडवत करती हुई पहुंची। उन्होंने बताया कि उनकी मन्नत पूरी हो गई है, इसलिए वह दंडवत करके घाट पर आई हैं। वहीं सुमन नगर निवासी एक ही परिवार से व्रत रखने वाले सात सदस्यों ने पूजा के बाद बताया कि छठ मैया ने बिन मांगे ही उनकी सारी इच्छाएं पूरी की हैं, वह परिवार की सुख समृद्धि के लिए व्रत रख रही हैं।

सेल्फी ने बनाया छठ को यादगार

छठ पूजा के दौरान कई लोग बहते पानी में खड़े होकर सेल्फी लेते नजर आए। उन्होंने छठ पूजा के पलों को कैमरे में कैद किया और यादों की संदूक में संजो लिया।

शुर्भ मुहूर्त

षष्ठी तिथि दो नवंबर की रात 12 बजकर 52 मिनट से शुरू होकर तीन नवंबर को रात एक बजकर 30 मिनट तक रहेगी।

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इसलिए की जाती है छठ पूजा

छठ पूजा के लिए अलग-अलग कथाएं प्रचलित हैं। इनमें एक राजा प्रियवद की है, जो काफी लोकप्रिय है। माना जाता है कि राजा प्रियवद निसंतान थे। उन्होंने अपनी पीड़ा महर्षि कश्यप से साझा की। उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ करने को कहा। यज्ञ में आहुति के लिए बनाई गई खीर खाने से उनकी पत्नी रानी मालिनी को पुत्र की प्राप्ति हुई, लेकिन पुत्र मृत पैदा हुआ। राजा प्रियवद पुत्र को लेकर श्मशान पहुंचे और पुत्र वियोग में अपने प्राण त्यागने लगे। तभी ब्रह्माजी की पुत्री देवसेना प्रकट हुईं। उन्होंने कहा कि वह मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हैं, इसलिए उनका नाम षष्ठी रखा गया है। जो कोई विधि विधान से उनकी पूजा करता है वह उनकी मांगें पूरी करती हैं। राजा प्रियवद ने उनके कहे अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को माता का व्रत रखा और उन्हें पुत्र प्राप्ति हुई।

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कई लोगों का हुआ सामान चोरी

छठपूजा के दौरान भले ही पुलिस प्रशासन और समितियों की ओर से सैकड़ों कर्मी तैनात किए गए हो। लेकिन फिर भी चोर बाज नहीं आए। विभिन्न छठ घाटों में चोरी की घटनाएं नजर आईं। कहीं चोरों ने किसी के जूते चुराए तो कहीं किसी का हेलमेट।

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