Ganesh Visarjan 2020: अनंत चतुर्दशी पर गणपति बप्पा को दी विदाई, अगले बरसे आने की कामना
गणपति बप्पा को अनंत चतुर्दशी पर विदाई दी गई। दस दिन से घरों में स्थापित गणपति बप्पा की आराधना पूरी होने के बाद श्रद्धालुओं ने उनकी मूर्ति को जल में विसर्जित किया।
देहरादून, जेएनएन। दुख हरता और सुख करता गणपति बप्पा को अनंत चतुर्दशी पर विदाई दी गई। दस दिन से घरों में स्थापित गणपति बप्पा की आराधना पूरी होने के बाद श्रद्धालुओं ने उनकी मूर्ति को जल में विसर्जित किया। जिस उत्साह के साथ गणेश चतुर्दशी पर बप्पा को घर लाया गया, ठीक उसी तरह विघ्नहर्ता गणेश भगवान को विदा किया गया। साथ ही उनसे फिर अगले वर्ष आने की प्रार्थना की, जिससे वे हमारे सभी कष्टों और संकटों का नाश कर सकें।
हर साल दून में गणेश उत्सव के लिए पंडाल सजते हैं और अंतिम दिन शहरभर में शोभायात्रा निकालने के बाद गणपति की मूर्ति को हरिद्वार में गंगा नदी और टपकेश्वर में तमसा नदी में विसर्जित किया जाता है। हालांकि, कोरोनाकाल के चलते नहीं सजाए गए। इस बार श्रद्धालुओं ने सादगी के साथ ही गणपति की मूर्ति स्थापित कर पूजा की और फिर बप्पा को विदाई भी सादगी के साथ दी गई।
मंगलवार को विभिन्न संगठन विधिविधान के साथ गणपति विसर्जन किया। वहीं, घरों में स्थापित गणेश जी को भी विदा किया गया। मसूरी में श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर लाईब्रेरी के तत्वावधान में भगवान गणपति की विदाई शोभा यात्रा सीमित संख्या में निकाली गई। गांधी चौक से यमुना पुल मूर्ति विसर्जन के लिए रवाना हुए। इसके बाद मसूरी चकराता रोड पर यमुना नदी में मूर्ति विसर्जन किया गया।
पंडित अमित थपलियाल ने बताया कि गणपति उत्सव के दौरान लोग अपनी इच्छा गणपति के कानों में कहते हैं। स्थापना के बाद से 10 दिन तक गणपति के कान मनुष्य की इच्छाएं सुनकर इतना गर्म हो जाते हैं कि चतुर्दशी को बहते जल में विसर्जित कर उन्हें शीतल किया जाता है।
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गणेश चतुदर्शी पर हर्षोउल्लास के साथ घर लाते हैं बप्पा को
गणेश चतुर्दशी पर बप्पा को हर्षोल्लास के साथ घर लाया जाता है। दस दिनों तक विधि-विधान से बप्पा की पूजा की जाती है। हालांकि, इस साल कोरोना महामारी के कारण इसबार भव्य कार्यक्रमों का आयोजन नहीं किया जा सका। सीमित संख्या में ही लोगों ने कार्यक्रम किए या फिर घरों में ही पूजा की।