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उत्तराखंड में ई-गवर्नेंस मुहिम को विभाग लगा रहे पलीता, जानिए

सरकार ई-गवर्नेंस की दिशा में ई-कैबिनेट के जरिए कदम आगे बढ़ा रही है तो वहीं विभाग विभागीय वेबसाइट को अपडेट करने तक की जहमत नहीं उठा रहे हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 05:46 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 08:46 PM (IST)
उत्तराखंड में ई-गवर्नेंस मुहिम को विभाग लगा रहे पलीता, जानिए
उत्तराखंड में ई-गवर्नेंस मुहिम को विभाग लगा रहे पलीता, जानिए

देहरादून, विकास गुसाईं। उत्तराखंड सरकार ई-गवर्नेंस की दिशा में ई-कैबिनेट के जरिए कदम आगे बढ़ा रही है तो वहीं विभाग विभागीय वेबसाइट को अपडेट करने तक की जहमत नहीं उठा रहे हैं। स्थिति यह है कि गत 11 अक्टूबर के बाद उत्तराखंड की सरकारी वेबसाइट डब्लूडब्लूडब्लू जीओवी डॉट यूके डॉट इन पर एक भी शासनादेश नहीं डाला गया है। वहीं,  स्वास्थ्य विभाग ने वर्ष 2016 और सूचना प्रौद्योगिकी और नियोजन विभाग ने वर्ष 2017 के बाद सरकारी वेबसाइट में शासनादेशों के अपडेट करने की जहमत नहीं उठाई है। 

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प्रदेश सरकार इस समय ई-गवर्नेंस पर जोर दे रही है। इतना ही नहीं अब मंत्रियों को भी पेपरलैस कैबिनेट की दिशा में आगे बढ़ाते हुए ई-कैबिनेट का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सीएम डैश बोर्ड का गठन कर सभी विभागों को इससे जोड़ा जा रहा है ताकि सभी सूचनाएं ऑनलाइन मुख्यमंत्री तक पहुंचाई जा सकें। सरकार और शासन द्वारा समय-समय पर सभी विभागों से जारी होने वाले शासनादेशों की एक प्रति सरकारी वेबसाइट पर पर भी अपलोड करने के निर्देश दिए जाते रहे हैं।

इसका मकसद यह है कि आमजन भी सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी रख सके। इसके लिए सरकारी वेब पोर्टल में बाकायदा गवर्नमेंट ऑर्डर नाम से से एक आइकन भी बनाया गया है। इस पर क्लिक करने से सारे विभागों की सूची सामने आ जाती है। विभाग के नाम के पर क्लिक करने से उस विभाग द्वारा जारी किए जा रहे शासनादेश नजर आ जाते हैं। 

जब तक इस वेब पोर्टल पर एनआइसी के बाद शासनादेशों को अपलोड करना का जिम्मा था तब तक यह व्यवस्था फिर भी ठीक थी। कुछ समय पहले एनआइसी ने यह स्पष्ट कर दिया कि अब वह यह काम नहीं करेगा। विभागों को लॉग इन व पासवर्ड दिए जा चुके हैं, इसलिए वे स्वयं ही शासनादेशों को इस पर अपलोड करें। तब से स्थिति यह है कि विभाग शासनादेशों को आमजन के लिए सुलभ बनाने को कोई कदम नहीं उठा रहे हैं।

इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अंतिम शासनादेश 11 अक्टूबर को संस्कृत शिक्षा द्वारा अपलोड किया गया था। वहीं कई महकमों ने तो वर्षों से इस वेबसाइट पर शासनादेश अपलोड करने की जहमत तक नहीं उठाई है। 

मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह का कहना है कि सरकारी वेबसाइट को अपडेट करने के निर्देश दिए जाते रहे हैं। अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो सभी विभागों को इस संबंध में निर्देश जारी किए जाएंगे। 

84 विभाग, 34222 शासनादेश 

इस वेबसाइट में 84 विभागों की सूची डाली गई है, जिनके वर्ष 2000 से वर्ष अक्टूबर 2019 तक के 34222 शासनादेश देखे जा सकते हैं। इसमें विभागों की सूची भी सही प्रकार नहीं दी गई है। मसलन इसमें हेल्थ व मेडिकल नामक दो विभाग दर्शाए गए हैं जबकि दोनों एक ही हैं। इसी प्रकार सुराज और भ्रष्टाचार अलग-अलग विभाग दिखाए गए हैं। यही स्थिति सोल्जर बोर्ड व सैनिक कल्याण की भी है। 

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सरकारी वेबसाइट में विभागों द्वारा डाले गए अंतिम शासनादेश 

-इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट - अगस्त 2015 

- सूचना प्रौद्योगिकी - सितंबर - 2017 

- स्वास्थ्य- मार्च 2016 

- नियोजन - जून 2017 

- गोपन - अक्टूबर 2017 

- श्रम एवं प्रशिक्षण - जनवरी 2018 

- लोक निर्माण विभाग - जनवरी 2018 

- सचिवालय प्रशासन - मई 2018 

- परिवहन - जनवरी 2018 

- महिला सशक्तिकरण - फरवरी 2018 

- शहरी विकास - जनवरी 2018 

- समाज कल्याण - फरवरी 2018 

- पर्यटन - जनवरी 2018 

- वित्त - अक्टूबर 2018 

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