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अब पीपीपी मोड पर नहीं चलेगी 'खुशियों की सवारी'

प्रदेश में खुशियों की सवारी का संचालन अब पीपीपी मोड पर नहीं होगा। बल्कि सरकार ही इस योजना का संचालन करेगी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 02:59 AM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 06:47 AM (IST)
अब पीपीपी मोड पर नहीं चलेगी 'खुशियों की सवारी'
अब पीपीपी मोड पर नहीं चलेगी 'खुशियों की सवारी'

जागरण संवाददाता, देहरादून: प्रदेश में खुशियों की सवारी का संचालन अब पीपीपी मोड पर नहीं होगा। बल्कि स्वास्थ्य महकमा खुद यह जिम्मेदारी संभालने जा रहा है। यह योजना सीएमओ कार्यालय के स्तर पर संचालित की जाएगी।

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बता दें, खुशियों की सवारी योजना के माध्यम से राज्य में सरकारी अस्पतालों में प्रसव के उपरात जच्चा-बच्चा को सुरक्षित एवं निश्शुल्क घर तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाती है। इसके अतिरिक्त इस सेवा से राष्ट्रीय स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत आवश्यकतानुसार विद्यार्थियों को लाभ प्रदान किया जाता है। राज्य में इस सेवा की शुरुआत 19 सितंबर 2011 को की गई थी। उस वक्त योजना किराये के वाहनों के माध्यम से संचालित की जा रही थी। जिससे संचालन में कठिनाइया हो रही थीं। 30 मार्च 2013 को खुशियों की सवारी योजना में 90 नए एंबुलेंस शामिल की गई। बाद में इसमें सात वाहन और जुड़े। वर्तमान समय में प्रदेशभर में 97 खुशियों की सवारी संचालित की जा रही हैं। 108 आपातकालीन सेवा का संचालन कर रही कंपनी जीवीके ईएमआरआइ ही इस योजना को भी संचालित कर रही है। अब जबकि 108 का जिम्मा नई कंपनी कैंप को मिल गया है, माना जा रहा था कि खुशियों की सवारी भी यही कंपनी संचालित करेगी। पर संचालन अब विभागीय स्तर पर किया जाएगा। योजना में वित्तीय सहयोग देने वाले राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) ने इसकी कार्ययोजना तैयार कर ली है।

विभागीय सूत्रों के अनुसार जनपदों में अब मुख्य चिकित्साधिकारी खुशियों की सवारी के नोडल अधिकारी होंगे। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 500 रुपये प्रति केस भुगतान किया जाएगा। अधिकारियों का मानना है कि विभागीय स्तर पर यह योजना बेहतर ढंग से संचालित हो पाएगी। अभी तक आपातकालीन सेवा 108 व खुशियों की सवारी का संचालन एक ही कंपनी कर रही थी। यह देखने में आया है कि खुशियों की सवारी के लिए आवंटित बजट कंपनी ने 108 पर खर्च कर दिया। बजट की कमी होने पर खुशियों की सवारी के पहिये भी थम गए। जिस कारण लाभार्थियों को योजना से वंचित होना पड़ा। एकल प्रणाली होने से इस तरह की कठिनाई नहीं आएगी। इधर, एनएचएम के मिशन निदेशक युगल किशोर पंत ने आचार संहिता के कारण इस पर कोई टिप्पणी तो नहीं की, पर इसकी पुष्टि उन्होंने की है। उनका कहना है कि अगले कुछ दिन में इसके आदेश हो जाएंगे।


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