उत्तराखंड में दस और व्यक्तियों में Dengue की पुष्टि, अब तक 300 के पार पहुंच चुका है मरीजों का आंकड़ा
प्रदेश में अब तक डेंगू के 308 मामले आए हैं। जिनमें सबसे ज्यादा 120 मामले देहरादून में मिले हैं। इसके अलावा हरिद्वार में 116 पौड़ी गढ़वाल में 46 टिहरी गढ़वाल में 20 और नैनीताल में छह लोग में डेंगू की पुष्टि हुई है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: प्रदेश में डेंगू का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले कुछ समय से रोजाना डेंगू के मामले सामने आ रहे हैं, उससे चिंता और बढ़ गई है। रविवार को प्रदेश में दस व्यक्तियों में डेंगू की पुष्टि हुई।
देहरादून में सबसे ज्यादा 120 मामले
इनमें देहरादून में नौ और टिहरी में एक मामला आया है। प्रदेश में अब तक डेंगू के 308 मामले आए हैं। जिनमें सबसे ज्यादा 120 मामले देहरादून में मिले हैं। इसके अलावा हरिद्वार में 116, पौड़ी गढ़वाल में 46, टिहरी गढ़वाल में 20 और नैनीताल में छह लोग में डेंगू की पुष्टि हुई है।
अधिकांश मरीज हो चुके हैं स्वस्थ
राहत इस बात की है कि अब तक आए मामले ज्यादा गंभीर प्रकृति के नहीं हैं। अधिकांश मरीज स्वस्थ हो चुके हैं।इधर, देहरादून जिले में जिन नौ व्यक्तियों में डेंगू की पुष्टि हुई है, उनमें दो महिलाएं व सात पुरुष शामिल हैं। डिफेंस कालोनी, बल्लूपुर, राजीवनगर, तिलक रोड आदि क्षेत्रों में यह मामले आए हैं। इनमें दो मरीज अस्पताल में भर्ती हैं। बाकी अपने घर पर ही स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं।
जन सामान्य को किया जा रहा जागरूक
सभी रोगियों की स्थिति सामान्य है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण अधिकारी सुभाष जोशी ने बताया कि डेंगू प्रभावित व संभावित क्षेत्रों में डेंगू निरोधात्मक कार्रवाई एवं जन सामान्य को जागरूक किया जा रहा है। नगर निगम नगर, नगर पालिका, कैंट बोर्ड नियमित रूप से फागिंग, कीटनाशक दवा का छिड़काव आदि कर रहे हैं। वहीं, आशाएं डेंगू की रोकथाम के लिए वृहद स्तर लार्वा सर्वे, व प्रचार-प्रसार कर रही हैं।
डेंगू के लक्षण
तेज बुखार। सिर में तेज दर्द। आंखों के पीछे दर्द। मांसपेशियों (बदन) और जोड़ों में दर्द। स्वाद का पता न चलना। भूख न लगना। छाती पर खसरे जैसे दाने। चक्कर आना। जी घबराना और उल्टी आना।
इन बातों का रखें ध्यान
- बिना चिकित्सकीय सलाह के दवाएं नहीं लेनी चाहिए।
- झोलाझाप से इलाज नहीं कराना चाहिए।
- सरकारी या अच्छे अस्पताल में इलाज कराएं।
डेंगू से बचाव
- कूलर, बाल्टी, घड़े और टंकियों का पानी समय-समय पर बदलते रहें।
- घर के आसपास किसी भी जगह पानी को एकत्रित नहीं होने दें।
- जमा पानी में केरोसिन या जला हुआ मोबिल आयल डालें।
- शरीर पर मच्छर से बचाव वाली क्रीम लगा सकते हैं।
- घर में नीम की पत्ती या उपलों का धुआं कर सकते हैं।
- पूरे बांह की शर्ट और पैंट पहनें।
- बुखार एक दिन से ज्यादा रहे तो चिकित्सक को दिखाएं।
- घर में मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी लगाएं, क्वाइल और लिक्विडेटर का प्रयोग करें।
- पक्षियों और पशुओं के पानी का बर्तन, फूलदान, नारियल का खोल, टूटे हुए बर्तन, टायर, डिस्पोजल बर्तन गिलास आदि में पानी न रहने दें। टंकियों को ढक कर रखें।