Lockdown: स्वजल के कार्मिकों ने सरकार से लगाई गुहार, जानिए क्या हैं उनकी मांगें
स्वजल के कर्मिकों ने सरकार से सेवा विस्तार और लंबित वेतन-भत्तों के भुगतान की मांग की है। कार्मिकों ने आर्थिक संकट से जूझने का हवाला देते हुए जल्द समस्या के निस्तारण की गुहार लगाई ह
देहरादून, जेएनएन। स्वजल के कर्मिकों ने सरकार से सेवा विस्तार और लंबित वेतन-भत्तों के भुगतान की मांग की है। कार्मिकों ने आर्थिक संकट से जूझने का हवाला देते हुए जल्द समस्या के निस्तारण की गुहार लगाई है। इस संबंध में स्वजल कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री को भी पत्र प्रेषित किया है।
संघ के प्रदेश महामंत्री अरविंद पयाल ने बताया कि स्वजल के कार्मिक लॉकडाउन अवधि में भी हर घर को नल से जल और स्वच्छ भारत मिशन के द्वितीय चरण के कार्य में पूरी निष्ठा से जुटे हैं। जबकि, कार्मिकों को विभागीय सेवा विस्तार सितंबर 2019 से शासन स्तर पर लंबित है। जिससे कार्मिकों को नुकसान झेलना पड़ रहा है। वहीं, विगत कई माह से वेतन भत्तों का भी भुगतान नहीं किया गया है, जिससे कार्मिकों के सामने परिवार के भरण पोषण का वित्तीय संकट पैदा हो गया है।
उन्होंने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं में जुटे स्वजल के कार्मिकों को मिशन मोड पर 2024 तक कार्य पूरे करने हैं, जिसके लिए कार्मिक लॉकडाउन में भी मुख्यालय सहित जनपद स्तरों पर युद्ध स्तर पर कार्य कर रहे हैं। यही नहीं कार्मिकों की ओर से शासन-प्रशासन के मार्गदर्शन में विभिन्न जनपदों में स्थापित कंट्रोल रूम में डाटा संकलन, खाद्य आपूर्ति के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में सैनिटाइजर और मास्क वितरण का कार्य किया जा रहा है। ऐसे में उन्होंने शासन से मांग की है कि उन्हें सेवा विस्तार और वेतन भत्तों का भुगतान किया जाए। मुख्यमंत्री को लिए पत्र के क्रम में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सचिव वित्त को निर्देशित किया है।
काउंसलिंग से हो पदोन्नति
उत्तराखंड अनुसूचित जाति-जनजाति शिक्षक एसोसिएशन ने प्रवक्ता पदों पर काउंसलिंग के माध्यम से पदोन्नति देने की मांग की है। इस संबंध में उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और मुख्य सचिव को ज्ञापन भेजा है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष संजय भाटिया और प्रांतीय महामंत्री जितेंद्र सिंह बुटोइया ने कहा कि एसोसिएशन पूर्व से ही काउंसलिंग की पक्षधर रही है, जिससे सरकार और विद्यालय की पारदर्शी नीति न्याय प्रिय साबित होती है। वार्षकि वहीं, एसोसिएशन ने वार्षकि स्थानांतरण सत्र को शून्य घोषित न किए जाने की मांग की है।