Topper talk: डॉक्टर बनना चाहती हैं देहरादून की टॉपर प्रतिभा मिश्रा
हाईस्कूल में 99 फीसद अंक लाकर दून में पहला स्थान हासिल करने वाली प्रतिभा मिश्र डॉक्टर बनना चाहती हैं। प्रतिभा ने 500 में से 495 अंक प्राप्त किए हैं।
देहरादून, जेएनएन। हाईस्कूल में 99 फीसद अंक लाकर दून में पहला स्थान हासिल करने वाली प्रतिभा मिश्रा डॉक्टर बनना चाहती हैं। जरूरतमंदों का मुफ्त इलाज करना उनका सपना है। प्रतिभा ने 500 में से 495 अंक प्राप्त किए हैं।
मूल रूप से ओडिशा की रहने वाली प्रतिभा दून में अपने परिवार के साथ झाझरा में रहती हैं। उनके पिता प्रशांत कुमार मिश्रा सेलाकुई में एक मल्टीनेशनल कंपनी में मैनेजर हैं और मां बानी गृहिणी। नंदा की चौकी स्थित द टोंसब्रिज स्कूल की छात्र प्रतिभा ने बताया कि मां ने उन्हें डॉक्टर बनने का सपना दिखाया।
प्रतिभा हर दिन लक्ष्य बनाकर पढ़ाई करना पसंद करती हैं। अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिभा की लगन को इस बात से समझा जा सकता है कि वाट्सएप को छोड़कर सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफार्म पर उनका अकाउंट नहीं है। वाट्सएप का इस्तेमाल भी उन्होंने ऑनलाइन पढ़ाई के लिए शुरू किया। प्रतिभा ने अभी से नीट की तैयारी के लिए ऑनलाइन कक्षा लेना शुरू कर दिया है।
डॉक्टर माता-पिता का बेटा बनेगा इंजीनियर
सीबीएसई हाईस्कूल बोर्ड परीक्षा में देहरादून रीजन के टॉपर रिषित अग्रवाल को मुख्यमंत्री ने फोन करके बधाई दी। 498 अंक हासिल करने वाले रिषित ने बताया कि अच्छे अंकों की उम्मीद अवश्य थी, लेकिन राज्य में टॉप करने की बात नहीं सोची थी। पढ़-लिखकर इंजीनियर बनना है।
जिला मुख्यालय के सिविल लाइन डॉक्टर्स कॉलोनी निवासी रिषित के माता-पिता चिकित्सक हैं। सिविल लाइंस में ही अपना अस्पताल संचालित करते हैं। भारतीयम इंटरनेशनल स्कूल, लालपुर के छात्र रिषित ने बताया कि टाइम टेबल बनाकर साल भर पढ़ाई की। इस दौरान सोशल मीडिया व मोबाइल फोन से दूर रहे। बुधवार को परीक्षा परिणाम आने के बाद विद्यालय से लेकर परिजनों तक के फोन आने लगे। सबसे ज्यादा खुशी तब महसूस हुई जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने फोन करके बधाई दी। रिषित इंजीनियरिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री ने पूछा, सिविल सर्विस की तैयारी करेंगे..
मुख्यमंत्री ने रिषित से पूछा कि क्या वह सिविल सर्विसेज की तैयारी करना पसंद करेंगे। इस पर उन्होंने बाद में योजना बनाने की बात कही। अभी उनकी योजना इंजीनियरिंग करने की है।
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बैडमिंटन में आजमाते हैं हाथ
रिषित ने बताया कि उन्हें बैडमिंटन खेलना पसंद है। कभी-कभी चेस पर भी हाथ आजमाते हैं। पढ़ाई के साथ इंडोर और आउटडोर गेम से कभी परहेज नहीं किया। पिता डॉ. अतुल अग्रवाल व मां डॉ. स्वाती अग्रवाल ने बताया कि चिकित्सकीय पेशे में 24 घंटे काम करना पड़ता है। इसलिए बेटे को डॉक्टर नहीं बल्कि इंजीनियर बनाएंगे।
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