चढ़ते पारे के साथ सूख सकते हैं 80 हजार की आबादी के हलक
चढ़ते पारे के साथ राजधानी देहरादून में जल संकट गहरा सकता है। आने वाले वक्त में यहां की अस्सी हजार की आबादी के हलक सूख सकते हैं।
देहरादून, [दीपिका नेगी]: आग उगलते सूरज की तपिश के कारण बीते तीन महीने में तकरीबन एक करोड़ 72 लाख लीटर पानी रसातल में चला गया। इसके कारण रायपुर क्षेत्र से लेकर राजपुर तक की लगभग 80 हजार की आबादी के सामने जल संकट की स्थिति पैदा हो गई है। जल संस्थान की मानें तो गर्मी और चढ़ते पारे के कारण दून को जलापूर्ति करने वाले पांच प्रमुख जलस्रोतों का पानी तेजी से सूख रहा है। सर्दियों के बाद मार्च से अब तक इन सभी स्रोतों का डिस्चार्ज एक करोड़ 72 लाख लीटर पानी कम हुआ है। अकेले बांदल स्रोत में ही पिछले 15 दिन में 60 फीसद डिस्चार्ज कम हो गया। स्थिति नियंत्रित करने को लेकर जल संस्थान ने टैंकर और सप्लाई का शेड्यूल बदलने की तैयारी कर ली है।
बता दें कि शहर में पानी की आपूर्ति के लिए मासी फॉल, ग्लोकी, बांदल, कोल्हूखेत एक और दो जलस्रोत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। सामान्य दिनों में इन स्रोतों से प्रतिदिन तीन करोड़ 73 लाख लीटर पानी उपलब्ध होता है, जिससे शहर की लगभग दो लाख 80 हजार की आबादी को पानी की सप्लाई दी जाती है।
इस साल कम बारिश होने से जलस्रोत रिचार्ज नहीं हो पाए। बढ़ती गर्मी के साथ ही लगातार इन स्रोतों का पानी कम होता गया। जल संस्थान ने जब इन स्रोतों का डिस्चार्ज मापा तो हकीकत सामने आई। अब स्रोतों से पानी की आपूर्ति तीन करोड़ 73 लाख लीटर से घटकर दो करोड़ के करीब पहुंच गई है। इससे शहर के कई इलाकों में पीने के पानी का संकट पैदा हो गया है। स्थिति ये है कि रोजाना 100 से अधिक पेयजल संकट से जुड़ी शिकायतें आ रही हैं। वहीं कम हुए डिस्चार्ज से रोजाना करीब सवा लाख लोगों की प्यास बुझाई जा सकती है।
जरूरी नहीं समझा भूजल संवर्धन
पानी को लेकर पैदा हो रही गंभीर समस्या की ओर जल संस्थान अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे। सूखते जलस्रोतों के संवद्र्धन के बजाय अधिकारी ट्यूबवेल लगाते जा रहे हैं। बीते डेढ़ दशक में आबादी का ग्राफ 40 फीसद तक बढ़ गया और उसके अनुसार धड़ाधड़ 235 नलकूप (ट्यूबवेल) लगा दिए गए। लेकिन, भूजल रिचार्ज की तरफ ध्यान नहीं दिया गया। जिसका नतीजा है कि शहर के 20 नलकूपों के पानी में प्रति मिनट 13255 लीटर डिस्चार्ज की कमी आई है।
जलस्रोतों के डिस्चार्ज की स्थिति
स्रोत, पहले उपलब्धता, अब
बांदल, एक करोड़, 60 लाख
मासी फॉल, एक करोड़ 40 लाख, 75 लाख
कोल्हूखेत एक, तीन लाख, 00
कोल्हूखेत दो, 10.80 लाख, 6.48 लाख
ग्लोकी, एक करोड़ 20 लाख, 60 लाख
कुल, 3.73 करोड़, 2.01 करोड़
(नोट: पानी की मात्रा लीटर प्रतिदिन में)
इन इलाकों में पड़ा असर
सलाण गांव, बमण गांव, मनियारवाला, भगवंतपुर, भंडार गांव, दानियूका डांडा, कुठाल गांव, बगरियाल गांव, कृषाली, अम्मावाला, कुठालगेट से मसूरी डायवर्जन के दोनों तरफ का क्षेत्र, जाखन, राजपुर, राजपुर रोड, शहनशाही आश्रम, दून विहार, अनारवाला, नयागांव, जोहड़ी, गुच्चूपानी, आर्यनगर, कैनाल रोड, चंद्रलोक कॉलोनी, मालदेवता, रायपुर रोड, तपोवन, डीएल रोड, ओल्ड सर्वे रोड, हाथीबड़कला, सालावाला, विजय कॉलोनी, बकरालवाला आदि।
बांदल पर निर्भर 50 हजार की आबादी
दून की 50 हजार से भी ज्यादा आबादी बांदल जलस्रोत पर निर्भर है। स्रोत से राजपुर रोड से लेकर घंटाघर और नजदीक के सभी इलाकों में पेयजल की सप्लाई की जाती है। हालात यह हैं कि पहले जहां इस स्रोत से 17 एमएलडी पानी की सप्लाई हो रही थी, वह आधे से कम यानी छह एमएलडी रह गई है।
अब तक 2500 शिकायतें
मई में जल संस्थान के शिकायत केंद्र में शिकायतों की संख्या भी बढ़ गई है। इन दिनों रोजाना सौ से ज्यादा शिकायतें दर्ज की जा रही हैं। एक मई से अब तक लगभग ढाई हजार शिकायतें मिल चुकी हैं। बताया जा रहा कि ज्यादातर शिकायतें बांदल को लेकर ही हैं।
जल संस्थान के महाप्रबंधक एसके गुप्ता ने बताया कि गर्मी पड़ने से स्रोतों के जलस्तर में कमी आती है। वैकल्पिक व्यवस्थाएं की जा रही हैं। बीजापुर कैनाल से भी पानी लिया जाता है। जहां भी पेयजल का संकट है, वहां टैंकर भेजे जा रहे हैं।
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