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कुत्ता पालने का रखते हैं शौक और नहीं है लाइसेंस तो इस खबर को जरूर पढ़ें, वरना भरना पड़ सकता है हर्जाना

दूनवासी अपने पालतू कुत्ते का पंजीकरण नहीं करा रहे हैं। यही नहीं जिन्होंने पिछले वर्ष पंजीकरण कराया था वह नवीनीकरण कराने नहीं आ रहे। पिछले वर्ष नगर निगम में लगभग 4000 कुत्तों का पंजीकरण हुआ था जिसमें इस वर्ष अभी तक केवल 800 कुत्तों का पंजीकरण नवीनीकरण कराया गया है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sat, 13 Nov 2021 10:15 AM (IST)Updated: Sat, 13 Nov 2021 10:15 AM (IST)
कुत्ता पालने का रखते हैं शौक और नहीं है लाइसेंस तो इस खबर को जरूर पढ़ें, वरना भरना पड़ सकता है हर्जाना
कुत्ता पालने का रखते हैं शौक और नहीं है लाइसेंस तो इस खबर को जरूर पढ़ें।

जागरण संवाददाता, देहरादून। नगर निगम की बार-बार चेतावनी के बावजूद दूनवासी अपने पालतू कुत्ते का पंजीकरण नहीं करा रहे हैं। यही नहीं, जिन्होंने पिछले वर्ष पंजीकरण कराया था, वह नवीनीकरण कराने नहीं आ रहे। पिछले वर्ष नगर निगम में लगभग 4000 कुत्तों का पंजीकरण हुआ था, जिसमें इस वर्ष अभी तक केवल 800 कुत्तों का पंजीकरण नवीनीकरण कराया गया है। ऐसे में अब निगम ने आने वाले सप्ताह से कुत्ता मालिकों पर जुर्माने की कार्रवाई के लिए चार टीम गठित कर दी हैं। सुबह और शाम को यह टीमें शहरभर में घूमकर पालतू कुत्तों की तलाश करेंगी और पंजीकरण नहीं होने पर संबंधित मालिक का पांच सौ रुपये का चालान किया जाएगा। दूसरी बार पकड़े जाने पर 5000 रुपये का चालान व तीसरी बार मुकदमे की कार्रवाई होगी।

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नगर निगम ने 2014 में पालतू कुत्तों का पंजीकरण शुरू किया था, जिसमें अभी तक महज 65 कुत्तों का ही पंजीकरण हुआ था। बीते एक महीने में निगम के पशु चिकित्सा अनुभाग ने शहर में सर्वे किया और मौजूदा समय में संख्या 4000 पहुंच गई है। शहर में एक अनुमान के अनुसार पालतू कुत्तों की संख्या 30 हजार के आसपास है। निगम के वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी डा. दिनेश चंद्र तिवारी के अनुसार शहर में सुबह-शाम सैर के लिए निकलते हुए लोग अपने साथ गले में चेन-पट्टा डाले हुए पालतू कुत्ते को संग लेकर चलते हैं। ये कुत्ते जगह-जगह गंदगी फैलाते हैं और दूसरे जन पर गुर्राते हैं। नगर निगम पिछले कुछ दिनों से पालतू कुत्तों का पंजीकरण कराने को लेकर गंभीर है। निगम में पंजीकरण कराने पर कुत्ते को मालिक को 200 रुपये सालाना शुल्क देना पड़ता है पर यह मामूली शुल्क देने से बचने को मालिक कुत्तों का पंजीकरण नहीं कराते।

आवारा कुत्तों का भी है आतंक

शहर के अस्पतालों में रोजाना कुत्तों के काटने के औसतन बीस से तीस मामले सामने आ रहे हैं। अकेले दून अस्पताल में ही औसतन 18 मामले रोजाना सामने आते हैं। हर तीन माह में एंटी रेबिज वैक्सीन की तीन हजार डोज मंगाई जाती है। अस्पताल में तो इस बीमारी के इलाज के लिए पर्याप्त सुविधाएं हैं, पर बीमारी की 'जड़Ó आवारा कुत्तों पर लगाम लगाने में नगर निगम अभी तक विफल रहा है। हालांकि, आवारा कुत्तों से निजात दिलाने को चार साल पहले नगर निगम ने एबीसी 'एनिमल बर्थ कंट्रोल' केंद्र केदारपुरम में शुरू किया था। निगम ये दावा कर रहा कि मौजूदा समय में तकरीबन 40 हजार कुत्तों की नसबंदी हो चुकी है।

पंजीकरण के लिए प्रविधान

-पंजीकरण फार्म के साथ पशु चिकित्सक से रैबीज से बचाने को लगने वाले टीके के लगे होने का प्रमाण-पत्र लाना होगा।

-जीवाणुनाशक का प्रमाण पत्र भी साथ लाना होगा।

-पंजीकरण के बाद नगर निगम संबंधित व्यक्ति को उसके नाम और पते वाला एक टोकन देगा।

-पंजीकरण के लिए 200 रुपये शुल्क जमा होगा।

-पालतू कुत्ते के किसी को काटने पर नुकसान की प्रतिपूर्ति उसके मालिक को करनी पड़ेगी।

नगर निगम के वरिष्ठ नगर पशु चिकित्साधिकारी डा. दिनेश तिवारी ने बताया कि नगर निगम ने पालतू कुत्तों के पंजीकरण न कराने वालों पर कार्रवाई की तैयारी कर ली है। इस वित्तीय वर्ष में 800 कुत्तों का पंजीकरण नवीनीकृत किया गया है। अगर अब भी लोग सजग नहीं हुए तो कार्रवाई निश्चित की जाएगी।

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