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रिपोर्ट कार्ड: शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा दून

देहरादून में स्कूली शिक्षा के लिए यह शहर कई दशकों से जाना जाता है। पर अब उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी दून तेजी से उभरा है। इसी के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र का भी दायरा बढ़ा है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 06 Apr 2019 01:55 PM (IST)Updated: Mon, 08 Apr 2019 08:50 AM (IST)
रिपोर्ट कार्ड: शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा दून
रिपोर्ट कार्ड: शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा दून

देहरादून, जेएनएन। दून की पहचान मेडिकल हब के रूप में रही है। स्कूली शिक्षा के लिए यह शहर कई दशकों से जाना जाता है। पर अब उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी दून तेजी से उभरा है। इसी के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र का भी दायरा बढ़ा है। यह बात अलग है कि बदलते वक्त के साथ तालमेल बैठाना और भविष्य की चुनौतियों से भी हमें पार पाना होगा। ज्यादा वक्त नहीं गुजरा, जब उत्तराखंड के अन्य क्षेत्रों की भांति दूनवासियों को भी बेहतर उपचार के लिए दिल्ली अथवा चंडीगढ़ का रुख करना पड़ता था। लेकिन, अब गंभीर रोगों का उपचार दून में ही मुमकिन है। 

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स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में दून मेडिकल हब बनने की दिशा में अग्रसर है। राज्य गठन के बाद सरकारी क्षेत्र का दून अस्पताल, मेडिकल कॉलेज में तब्दील हुआ तो निजी क्षेत्र का बड़ा मेडिकल कॉलेज भी यहां है। यही नहीं, एक दशक के दरम्यान शहर में कई नामचीन मल्टी स्पेशिलिटी हॉस्पिटल खुले हैं। इससे स्वास्थ्य के क्षेत्र में आधुनिक सुविधाओं में इजाफा हुआ है। शहर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. विपुल कंडवाल सरकारी व निजी क्षेत्र, दोनों में सेवा दे चुके हैं। 

वह कहते हैं कि पिछले एक दशक में स्वास्थ्य सेवाओं का दायरा निसंदेह बढ़ा है। निजी अस्पतालों की बहुलता के बीच शहर में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति भी कुछ हद तक ठीक कही जा सकती है। अलबत्ता, कुछ चुनौतियां हैं, जिनसे हमें पार पाना होगा। सरकारी और निजी क्षेत्र की जुगलबंदी होगी तभी होगा कारगर इलाज होगा। 

इधर, शिक्षा के क्षेत्र में भी दून उत्तरोत्तर प्रगति के सोपान छू रहा है। प्रतिष्ठित स्कूल-कॉलेजों के बाद उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी दून तेजी से उभरा है। बावजूद इसके चुनौतियां कम नहीं हैं। शिक्षाविद् डॉ. ओपी कुलश्रेष्ठ के अनुसार सरकारी से लेकर निजी क्षेत्र के उच्च शिक्षा संस्थानों में तकनीकी आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देना होगा।

साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा कि शिक्षा की गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय स्तर की हो, ताकि हमारी युवा पीढ़ी वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए योग्य बन सकें।  उच्च शिक्षा में स्थानीय संसाधनों के उपयोग, शोध कार्यों को बढ़ावा देना होगा। सरकार और निजी क्षेत्र में सेवा के बेहतर संभावनाएं पैदा करनी होगी, ताकि हमारी होनहार युवा पीढ़ी को बेहतर करियर के लिए पलायन करने को मजबूर न हो। 

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