जागरण संवाददाता, देहरादून: बीएएमएस की फर्जी डिग्री का भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड में पंजीकरण करने के मामले में एसआइटी ने परिषद के तीन कर्मचारियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपितों में कनिष्ठ सहायक विमल बिजल्वाण, वैयक्तिक सहायक विवेक रावत व अंकुर महेश्वरी शामिल हैं। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दलीप सिंह कुंवर ने बताया कि बीएएमस की फर्जी डिग्री तैयार करने के मामले में एसआइटी जांच कर रही है। एसआइटी के प्रभारी आइपीएस सर्वेश पंवार ने भारतीय चिकित्सा परिषद के उक्त तीनों कर्मचारियों से पूछताछ की थी।

गिरोह के सरगना के साथ मिलकर बांटी फर्जी डिग्रियां

पूछताछ करने पर आरोपितों ने बताया कि उन्होंने गिरोह के सरगना इमलाख के साथ मिलकर फर्जी डिग्रियां बांटी और फर्जी रजिस्ट्रेशन किए। इमलाख किसी को बीएएमएस की डिग्री देने के बाद चिकित्सा परिषद में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करता था और संबंधित इंस्टीट्यूट के प्रमाणपत्र, लिफाफे में हमें सीधे उपलब्ध कराता था, जिस पर वह खुद ही पत्राचार करते थे। इसके बाद रजिस्ट्रेशन की प्रति स्वयं ही इमलाख को उपलब्ध करा देते थे। परिषद में कनिष्ठ सहायक विमल बिजल्वाण, वैयक्तिक सहायक विवेक रावत व अंकुर महेश्वरी के माध्यम से सारे कागज जमा होते थे।

इस तरह करवाते थे फर्जी रेजिस्ट्रेशन

इसके बाद तीनों वेरिफिकेशन फाइल तैयार कर जिस यूनिवर्सिटी की डिग्री होती थी, उस यूनिवर्सिटी के लिए व जिस राज्य की डिग्री होती थी, उस बोर्ड में भी वैरिफिकेशन के लिए फाइल डाक से भेजते थे। फाइल में हम लोग कुछ न कुछ कमी रखते थे, जिससे यूनिवर्सिटी वाले उक्त फाइल को वापस नहीं करते थे। डाक से भेजने के कुछ दिन बाद इमलाख कर्नाटक, बिहार और राजस्थान आदि स्थानों पर जाता था और फिर इमलाख फर्जी एनओसी तैयार करवाता था, जिसे वह उसी यूनिवर्सिटी के बाहर तथा उसी राज्य से वापस चिकित्सा परिषद के लिए डाक से पोस्ट करता था।

आरोपित मिलने वाले पैसों को आपस में बांट लेते थे

जब यही फाइल चिकित्सा परिषद देहरादून में पहुंचती थी तो उस फर्जी एनओसी के आधार पर ही वह उनका रजिस्ट्रेशन चिकित्सा परिषद में करवा देते थे। तीनों को प्रति वैरिफिकेश व एनओसी के हिसाब से 60 हजार रुपये मिलते थे। इस काम में जो भी रुपये उन्हें मिलते थे, उसे वह लोग आपस में बांट लेते थे। आरोपितों से कुछ फर्जी दस्तावेज भी मिले हैं।

Edited By: Nirmal Pareek