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देहरादून: अचानक कोरोनेशन अस्पताल पहुंचे DM,अव्यवस्थाओं पर भड़के; बेंच पर पड़े मरीज पर गई नजर

जिलाधिकारी डा. आर राजेश कुमार कार्यभार ग्रहण करने के बाद से स्वयं दून की व्यवस्था का जायजा ले रहे हैं। इस क्रम में मंगलवार देर शाम वह अचानक कोरोनेशन अस्पताल पहुंचे। यहां आते ही उनकी नजर इमरजेंसी सेंटर के बाहर बेंच पर लेटे एक मरीज पर पड़ गई।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 11:10 AM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 11:10 AM (IST)
देहरादून: अचानक कोरोनेशन अस्पताल पहुंचे DM,अव्यवस्थाओं पर भड़के; बेंच पर पड़े मरीज पर गई नजर
देहरादून: अचानक कोरोनेशन अस्पताल पहुंचे DM,अव्यवस्थाओं पर भड़के।

जागरण संवाददाता, देहरादून। जिलाधिकारी डा. आर राजेश कुमार कार्यभार ग्रहण करने के बाद से स्वयं दून की व्यवस्था का जायजा ले रहे हैं। इस क्रम में मंगलवार देर शाम वह अचानक कोरोनेशन अस्पताल पहुंचे। यहां आते ही उनकी नजर इमरजेंसी सेंटर के बाहर बेंच पर लेटे एक मरीज पर पड़ गई। पूछा तो पता चला कि वह बीमार है। अल्ट्रासाउंड के लिए पैसे न होने पर जांच नहीं की जा रही। इस पर जिलाधिकारी ने नाराजगी जताते हुए मरीजों के साथ संवेदनशील व्यवहार अपनाने के निर्देश दिए। साथ ही प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक को निर्देश दिए कि संबंधित मरीज की जांच कर उपचार किया जाए।

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कोरोनेशन अस्पताल व गांधी शताब्दी अस्पताल को मिलाकर जिला अस्पताल बनाया गया है। इसका कितना लाभ मरीजों को मिल रहा है, इसी बात का परीक्षण करने जिलाधिकारी औचक निरीक्षण पर निकल पड़े। अस्पताल परिसर में बनाए गए 100 बेड के भवन की छतों के बारिश में टपकने की स्थिति को देखते हुए जिलाधिकारी ने गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए। प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डा. शिखा जंगपांगी व कार्यदायी संस्था पेयजल निगम के अधिकारियों से पूछा कि हस्तांतरण को लेकर क्या प्लान है और विलंब क्यों हो रहा है। अधिकारियों ने भरोसा दिलाया गया कि 15 दिन के भीतर इस प्रक्रिया को पूरा कर दिया जाएगा।

अस्पताल को विश्व बैंक के सहयोग से 64 स्लाइस की सीटी स्कैन मशीन मिली है। यह मशीन अभी चल नहीं रही है। अस्पताल प्रशासन अभी इसके संचालन की औपचारिकताएं ही पूरी नहीं कर पाया है। जिलाधिकारी ने इस पर हैरानी व्यक्त की और कहा कि चिकित्सा संसाधनों का सदुपयोग न किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

नए भवन की बिजली-पानी भगवान भरोसे

100 बेड के नए भवन का लोकार्पण बीते नौ अप्रैल को किया जा चुका है। इसके बाद भी भवन का हस्तांतरण न किया जाना बताता है कि काम अभी अधूरा है। यह स्थिति तब है, जब यहां आधुनिक पैथोलाजी लैब, डायग्नोस्टिक सेंटर, आइसीयू, मॉड्यूलर ओटी, बर्न यूनिट आदि के साधन जुटाए गए हैं। आलम यह है कि भवन में बिजली-पानी की व्यवस्था तक अस्थायी है और ठेकेदार के रहम पर चल रही है। ठेकेदार जब-तब बिजली काट देता है। जिलाधिकारी ने औपचारिकताओं को शीघ्र पूरा करते हुए एक सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।

इमरजेंसी में नहीं मिले चिकित्सक

इमरजेंसी सेंटर (आपातकाल केंद्र) के निरीक्षण में जिलाधिकारी ने पाया कि वहां कोई भी चिकित्सक ड्यूटी पर नहीं था। इस पर उन्होंने प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक को फटकार लगाते हुए कहा कि सेंटर पर 24 घंटे चिकित्सकों की ड्यूटी होनी चाहिए।

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