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देहरादून: 22 लाख ठगने वाला निलंबित सिपाही मेरठ से गिरफ्तार, एक साथ पहले से ही जेल में

डालनवाला कोतवाली पुलिस ने रुपये दोगुने करने का लालच देकर दून के तीन व्यक्तियों से 22 लाख रुपये की ठगी करने वाले उत्तर प्रदेश के निलंबित सिपाही को मेरठ से गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले में उसका एक साथी पहले से जेल में है।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Wed, 20 Jan 2021 12:05 PM (IST)Updated: Wed, 20 Jan 2021 12:05 PM (IST)
देहरादून: 22 लाख ठगने वाला निलंबित सिपाही मेरठ से गिरफ्तार, एक साथ पहले से ही जेल में
देहरादून: 22 लाख ठगने वाला निलंबित सिपाही मेरठ से गिरफ्तार।

जागरण संवाददाता, देहरादून। दून की डालनवाला कोतवाली पुलिस ने रुपये दोगुने करने का लालच देकर दून के तीन व्यक्तियों से 22 लाख रुपये की ठगी करने वाले उत्तर प्रदेश के निलंबित सिपाही को मेरठ से गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले में उसका एक साथी पहले से जेल में है। दोनों के खिलाफ गत वर्ष दिसंबर में धोखाधड़ी के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। 

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इंस्पेक्टर मणिभूषण श्रीवास्तव ने बताया कि गत वर्ष 27 दिसंबर को ओल्ड डालनवाला निवासी अर्जुन सिंह ने धोखाधड़ी की तहरीर दी थी। अर्जुन ने तहरीर में बताया था कि सुनील प्रसाद और राम सिंह पंवार उसके परिचित हैं। वर्ष 2018 में अर्जुन, सुनील और राम सिंह की मुलाकात राधेश्याम से हुई थी। उसने खुद को फ्यूचर मेकर लाइफ केयर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का निदेशक बताते हुए उन्हें प्रस्ताव दिया कि अगर कंपनी में निवेश करेंगे तो काफी लाभ होगा। राधेश्याम के झांसे में आकर तीनों ने आठ जून से चार सितंबर 2018 के बीच कंपनी में 22 लाख निवेश कर दिए।

इसके बाद आरोपित ने उनसे संपर्क करना बंद कर दिया। बीते दिनों पीड़ितों ने राधेश्याम की खोजबीन की तो पता चला कि वह जेल में है। इसके बाद पुलिस की जांच में सामने आया कि धोखाधड़ी में सुशील कुमार निवासी ग्राम गगसोना, मेरठ भी शामिल था। सोमवार को उसे मेरठ से गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में सुशील ने बताया वह वर्ष 2011 में बतौर कांस्टेबल उत्तर प्रदेश पुलिस में भर्ती हुआ था। दो साल पहले वह सहारनपुर पुलिस लाइन में तैनात था।

अवकाश लेने के बाद तैनाती पर वापस नहीं जाने के कारण पुलिस विभाग से उसे निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद सुशील फ्यूचर मेकर और राघव-माधव नाम की कंपनियों से जुड़ गया। कंपनियों के प्रचार-प्रसार के लिए वह अक्सर देहरादून आता रहता था। इसी दौरान उसकी मुलाकात अर्जुन से हुई। सुशील ने भी अर्जुन को कंपनी में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया था। कुछ समय पहले दोनों कंपनियों पर धोखाधड़ी के मुकदमे दर्ज हुए और कंपनियां बंद हो गईं। 

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