प्रशासनिक इकाइयों के परिसीमन पर फैसला 31 दिसंबर तक, पढ़िए पूरी खबर
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य को निर्देश दिए हैं कि निकायों राजस्व ग्रामों जिलों व तहसीलों की सीमाओं में परिवर्तन के प्रस्तावों पर 31 दिसंबर तक हर हाल में अंतिम निर्णय ले लिया ज
देहरादून, केदार दत्त। प्रशासनिक इकाइयों की सीमाएं इस साल के आखिर तक परिवर्तित हो सकती हैं। जनगणना-2021 के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य को निर्देश दिए हैं कि निकायों, राजस्व ग्रामों, जिलों व तहसीलों की सीमाओं में परिवर्तन के प्रस्तावों पर 31 दिसंबर तक हर हाल में अंतिम निर्णय ले लिया जाए। माना जा रहा कि इस अवधि में कुछ प्रशासनिक इकाइयों के परिसीमन में बदलाव के साथ ही नए जिलों का गठन भी कर सकती है। एक जनवरी 2020 से 31 मार्च 2021 तक प्रशासनिक इकाइयों के परिसीमन में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं होगा।
वर्ष 2021 में देशभर में जनगणना होनी है। जनगणना की अवधि में प्रशासनिक इकाइयों की सीमाओं में परिवर्तन होने से गणना कार्य में व्यवधान पड़ सकता है। इसे देखते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने निर्देश जारी किए हैं। इस पर उत्तराखंड में भी कसरत शुरू हो गई है। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने सभी प्रमुख सचिव, सचिव, दोनों मंडलों के आयुक्त और सभी डीएम को निर्देश जारी किए हैं। उन्हें गृह मंत्रालय के निर्देशों के क्रम में कार्रवाई करने को कहा गया है।
इस परिदृश्य के बीच यह तय है कि साल के आखिर तक प्रदेश में प्रशासनिक इकाइयों की सीमाएं घट-बढ़ सकती हैं। माना जा रहा कि केंद्र के दिशा निर्देशों के क्रम में सरकार कुछ नए जिलों का गठन भी कर सकती है। गौरतलब है कि 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने चार जिलों के गठन की घोषणा की थी, मगर यह मुहिम परवान नहीं चढ़ पाई। इसके बाद हरीश रावत के मुख्यमंत्रित्व काल में भी नौ नए जिलों को लेकर कसरत हुई, लेकिन तब भी सरकार इन नई प्रशासनिक इकाइयों का गठन नहीं कर पाई थी।
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अब सरकार इस दिशा में कदम बढ़ा सकती है। इसके अलावा कुछ नए नगर निकायों के गठन भी सरकार ने निश्चय किया है, जो अब अस्तित्व में आ सकते हैं। यही नहीं, परिसीमन में पिथौरागढ़ के किरगांव, हरिद्वार के रामपुर और पाडली गूजर समेत अन्य जिलों में भी कुछेक इलाके शहर या गांव का हिस्सा बन सकते हैं।
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