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दो बहनों को मौत के घाट उतारने वाले दरिंदे को अदालत ने सुनाई सजा-ए-मौत

देहरादून में पोक्सो कोर्ट ने सगी बहनों की हत्या और दुष्‍कर्म के मामले में एक व्‍यक्ति को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 23 Aug 2018 05:01 PM (IST)Updated: Fri, 24 Aug 2018 10:13 AM (IST)
दो बहनों को मौत के घाट उतारने वाले दरिंदे को अदालत ने सुनाई सजा-ए-मौत
दो बहनों को मौत के घाट उतारने वाले दरिंदे को अदालत ने सुनाई सजा-ए-मौत

देहरादून, [जेएनएन]: छोटी बहन की दुष्कर्म के बाद और बड़ी बहन को दुष्कर्म का विरोध करने के चलते मौत के घाट उतारने वाले दरिंदे को अदालत ने सजा-ए-मौत सुनाई है। उस पर 60 हजार रुपये जुर्माना भी ठोंका है। इसमें से 30 हजार रुपये पीड़ि‍त परिवार को दिए जाएंगे। अदालत ने राहत कोष से भी इस परिवार को एक लाख रुपये देने के आदेश दिए हैं। मासूम बच्ची की मुट्ठी से मिले दोषी के दाढ़ी के बाल उसे सजा दिलाने में अहम सुबूत बने। पोक्सो की विशेष न्यायाधीश रमा पांडे की अदालत ने करीब सालभर के भीतर मामले की सुनवाई पूरी कर फैसला सुनाया। दोषी दरिंदा तब ऋषिकेश के एक धार्मिक स्थल में सेवादार था।

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पिछले साल 15 जून, 2017 को ऋषिकेश के निकटवर्ती क्षेत्र श्यामपुर में यह घटना सामने आई थी। अभियोजन पक्ष के मुताबिक परवान सिंह यहां एक धार्मिक स्थल में सेवादार था। वह परिसर में ही रहता था। इसी धर्मस्थल के पिछले हिस्से में बने कमरे में एक महिला अपने तीन बच्चों के साथ किराये पर रहती थी। वह आसपास के घरों में साफ-सफाई कर परिवार का गुजर बसर करती थी। 15 जून की सुबह महिला रोज की तरह अपने काम पर चली गई। घर पर उसकी 13 और तीन साल की बेटियां अकेली थी। उसका आठ साल का बेटा रिश्तेदार के घर गया हुआ था। इसी दौरान सेवादार परवान सिंह उनके कमरे में गया और बड़ी बेटी के साथ दुष्कर्म की कोशिश करने लगा। लेकिन विरोध के चलते वह नाकाम रहा। इस पर उसने उसकी गला दबाकर हत्या कर दी। इसके बाद उसने उसकी तीन साल की छोटी बहन के साथ पहले दुष्कर्म किया और फिर उसे भी गला घोंटकर मौत के घाट उतार दिया।

कुछ देर बाद पुलिस ने आरोपित सेवादार को गिरफ्तार कर लिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में तीन वर्षीय मासूम के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई। इसके बाद फॉरेंसिक जांच में आरोपित के सीमेन और दाढ़ी के बालों के नमूने की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई। दुष्कर्म के दौरान बचाव में छटपटाहट के वक्त आरोपित की दाढ़ी के कुछ बाल बच्ची की मुट्ठी में फंस गए थे। इन्हें ही फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया था।

पोक्सो की विशेष न्यायाधीश रमा पांडे की अदालत में मामले की सुनवाई चली। अभियोजन पक्ष की तरफ से 14 गवाह पेश किए गए। अदालत ने तीन रोज पहले सेवादार परवान सिंह को दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार दिया था। वीरवार को अदालत ने उसे हत्या में सजा-ए-मौत और पोक्सो एक्ट में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। दोनों ही अपराधों पर उस पर तीस-तीस हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है। विशेष लोक अभियोजक भरत सिंह नेगी ने बताया कि अदालत ने इसे रेयर ऑफ द रेयरेस्ट माना। अभियुक्त मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बिजनौर जिले के समीरपुर का रहने वाला है।

काश! उस दिन भी बेटियों को ताई के घर भेज देती

दरिंदे के हाथों मौत के घाट उतारी गई बेटियों की मां को पछतावा है कि काश, उस दिन वह बेटियों को ताई के घर भेज देती। ऐसा करती तो आज दोनों बच्चियां उसके पास होतीं। वीरवार को कोर्ट का फैसला आने के बाद इन बच्चियों की मां फफक-फफक पर रो पड़ी। कहा, कि हत्यारे को फांसी मिलने के बाद उसकी बेटियों की आत्मा को शांति मिलेगी।

सुबह से फैसला आने तक पोक्सो मामलों के विशेष अभियोजक भरत सिंह नेगी के कोर्ट परिसर स्थित केबिन में बेटे के साथ बैठी बच्चियों की मां ने बताया कि वह काम पर चली जाती थी और शाम को ही वापस लौटती थी। इसलिए तीनों बच्चे अक्सर स्कूल से आकर ताई के घर चले जाते थे। उस दिन बेटा तो ताई के घर चला गया, लेकिन उसने ने ही दोनों बेटियों को कमरे पर साथ रहने को कहा था। वह खुद को कोसती हुए कहती हैं कि काश उस दिन भी वह उन्हें ताई के घर भेज देती।

कोर्ट के फैसले पर संतोष जाहिर करते हुए कहती हैं कि वह यही चाहती थी कि उसकी बेटियों के हत्यारों को फांसी की सजा मिले, ताकि मासूमों के साथ इस प्रकार की हरकत करने वाले लोगों को कड़ा सबक मिले।

मुकदमा वापस लेने के लिए दिया था लालच, धमकियां भी दी

दरिंदे के हाथों मारी गईं बच्चियों की मां बताती है कि आरोपित की गिरफ्तारी के कुछ महीनों बाद उसे 20 लाख रुपये का लालच देकर मुकदमा वापस लेने को कहा गया। जब उसने मुकदमा वापस लेने से मना कर दिया तो उसे डराया धमकाया गया। लेकिन, उसकी एक ही इच्छा थी कि दोषी को कड़ी सजा मिले। इसलिए वह न तो लालच में फंसी और न ही धमकियों से डरी।

हाईकोर्ट में देंगे चुनौती

अभियुक्त के परिजन भी सुबह से ही कोर्ट परिसर में डटे हुए थे। कोर्ट का फैसला आने के बाद अभियुक्त के परिजनों ने कहा कि वह इसे हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।

फैसले से पहले प्रार्थना करता दिखा दोषी

सजा-ए-मौत का फैसला आने पर दोषी के चेहरे पर शिकन तो नहीं दिखी, लेकिन फैसले से पहले वह हाथ जोड़कर प्रार्थना करता दिखा। कोर्ट रूम से बाहर आने के बाद वह खुद को निर्दोष बताते हुए मामले की सीबीआइ जांच की मांग कर रहा था।

दाढ़ी के बाल बने सजा दिलाने में अहम सुबूत

ऋषिकेश में 14 माह पूर्व दो मासूम बहनों की हत्या से तीर्थनगरी सिहर उठी थी। हत्या के बाद मौके पर सहानुभूति जताने वाला एक धार्मिक स्थल का सेवादार कानून के हत्थे नहीं चढ़ता, अगर मासूम की मुट्ठी और बिस्तर पर आरोपित की दाढ़ी के बाल न छूटते। इन्हीं बालों ने हत्यारे परवान सिंह को सलाखों के पीछे पहुंचाया था। इसी तरह के ठोस सुबूतों के मद्देनजर अब न्यायालय ने हत्यारे को सजा-ए-मौत सुनाई।

श्यामपुर पुलिस चौकी क्षेत्र में दो सगी बहनों की गला घोंटकर हत्या को मामला सामने आने के बाद क्षेत्रवासी सन्न थे। पुलिस ने आसपास की सीसीटीवी फुटेज खंगाली, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा। फारेंसिक टीम को बच्चों के बिस्तर पर और मौत के घाट उतारी गई बहनों में से छोटी वाली की मुट्ठी कुछ बाल मिले थे। इसी सबूत ने पुलिस को हत्यारे तक पहुंचाने में मदद की। बच्चियों की मां से जानकारी लेने के बाद पुलिस का शक यकीन में बदल गया और वह इसकी कड़ियां जोड़ती आगे बढ़ी। संदेह के आधार पर पुलिस ने सेवादार परवान सिंह को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया तो वह पहले भ्रमित करने का प्रयास करने लगा, लेकिन बाद में उसने सब कुछ उगल दिया। इस तरह आरोपित सलाखों के पीछे पहुंचा।

राज खुलने से पूर्व हमदर्द बना रहा हत्यारा 

हादसे के कुछ देर बाद ताई के घर से कमरे पर आए बच्चियों के भाई ने परवान सिंह को इस बारे में सूचना दी तो वह हमदर्दी जताने लगा। उसने अपने मोबाइल से बच्चियों की मां को फोन लगाया, हालांकि उसका फोन स्विच आफ मिला। इसके बाद भी वह लगातार हमदर्दी जताता रहा।

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