कुकर्म के बाद हत्या के दोषी को सजा-ए-मौत की सजा
विशेष न्यायाधीश पोक्सो रमा पांडे की अदालत ने बच्चे की कुकर्म के बाद हत्या करने के दोषी को सजा-ए-मौत की सजा सुनाई है।
देहरादून, जेएनएन। तीन साल के बच्चे की कुकर्म के बाद हत्या करने के दोषी को विशेष न्यायाधीश पोक्सो रमा पांडे की अदालत ने सजा-ए-मौत की सजा सुनाई है। साथ ही दोषी पर डेढ़ लाख का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माने की राशि से 75 हजार रुपये मृतक के परिवार को देने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने पीड़ित राहत कोष से भी परिवार को 50 हजार रुपये दिए जाने के आदेश दिए हैं। मामले में 28 जनवरी को कोर्ट ने आरोपित को दोषी करार दिया था।
घटना नेहरू कॉलोनी थाना क्षेत्र में 12 मई 2016 को हुई थी। विशेष लोक अभियोजक, पोक्सो कोर्ट भरत सिंह नेगी ने बताया कि लखीमपुर खीरी, उप्र निवासी एक व्यक्ति नेहरू कॉलोनी थाना क्षेत्र में अपने दो बच्चों और पत्नी के साथ किराये पर रहता था। उसका एक बच्चा तीन साल का, जबकि दूसरा सात साल का था। घटना के दिन वह एक ठेकेदार के यहां काम कर रहा था।
उसी ठेकेदार के साथ राजेश उर्फ जितेंद्र पुत्र शेर सिंह निवासी ग्राम अमरौली, जिला संभल, उप्र भी काम करता था। जिसे घटना के दो दिन पहले ठेकेदार ने निकाल दिया था। घटना के दिन वादी के दोनों बच्चे खेल रहे थे, जबकि पति-पत्नी मकान में काम कर रहे थे। इसी बीच राजेश वहां पहुंचा और उनके तीन साल के बेटे को बहलाकर पास में झाड़ियों में ले गया।
कुछ देर बाद उनके दूसरे बच्चे ने बताया कि राजेश उसके भाई को झाड़ियों में ले गया है। जिसके बाद ठेकेदार और बच्चे के माता-पिता वहां पहुंचे तो राजेश झाड़ियों से निकल रहा था। माता-पिता ने झाड़ियों में देखा तो उनका बच्चा अचेत पड़ा था। जिसके बाद आसपास मौजूद लोगों ने राजेश को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। परिजन बच्चे को अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बच्चे के साथ कुकर्म की पुष्टि हुई।
मामले की सुनवाई के बाद अदालत ने साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर 28 जनवरी को आरोपित को दोषी करार दिया था। गुरुवार को सजा पर फैसला देते हुए विशेष न्यायाधीश पोक्सो रमा पांडे की अदालत ने मासूम के साथ कुकर्म कर हत्या को घृणित अपराध मानते हुए दोषी को पोक्सो एक्ट में आजीवन कारावास व 50 हजार जुर्माना, जबकि हत्या के मामले में मृत्यु दंड व 75 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई।
दोनों जुर्माने से 75 हजार और पीड़ित राहत कोष से 50 हजार रुपये पीड़ित परिवार को दिए जाने के निर्देश दिए। मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से मामले में 12 गवाह पेश किए गए, जबकि बचाव पक्ष से तीन लोगों ने गवाही दी। मामले में अधिवक्ता भरत सिंह नेगी ने मामले को रेयर ऑफ रेयरेस्ट बताते हुए दोषी को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की थी। विशेष लोक अभियोजक पोक्सो भरत सिंह नेगी ने इसे ऐतिहासिक फैसला करार देते हुए कहा कि समाज के विकृत मानसिकता वाले लोगों के लिए एक सबक होगा।
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