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व्यासी जल विद्युत परियोजना की झील में अचानक बढ़ रहा यमुना का पानी, इससे बढ़ रहा है खतरा

व्यासी जल विद्युत परियोजना की झील में अचानक यमुना का पानी बढ़ने से खतरा बढ़ रहा है। कुछ समय पहले जलस्तर अचानक बढ़ने से शव समेत चिता बह गई थी। वहीं अधिकारियों का कहना है कि सायरन बजाने के बाद ही यमुना में जल को छोड़ा जाता है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 16 May 2022 05:34 PM (IST)Updated: Mon, 16 May 2022 05:34 PM (IST)
व्यासी जल विद्युत परियोजना की झील में अचानक बढ़ रहा यमुना का पानी, इससे बढ़ रहा है खतरा
व्यासी जल विद्युत परियोजना की झील में अचानक यमुना का पानी बढ़ने से खतरा बढ़ रहा है।

जागरण संवाददाता, विकासनगर (देहरादून)। व्यासी जल विद्युत परियोजना की झील में बारिश से पानी का जलस्तर कुछ सुधरा है, जिसके चलते परियोजना में 60 मेगावाट की टरबाइन करीब नौ घंटे तक चलाई जा रही है।

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टरबाइन को चलाने से पहले परियोजना प्रशासन सायरन बजाता है, ताकि यमुना में या यमुना किनारे बैठे लोग वहां से हट जाएं, लेकिन बाहर से आए व्यक्ति सायरन का मतलब नहीं समझ पा रहे हैं, जिससे यमुना का एकाएक जलस्तर बढ़ने पर खतरा बढ़ जाता है।

जलस्तर बढ़ने से शव समेत बह गई थी चिता

कुछ समय पहले यमुना का जलस्तर अचानक बढ़ने से महिला के शव समेत चिता बह गई थी। महिला के अधजले शव को कोतवाली विकासनगर पुलिस ने नहर से निकाल कर स्वजन को सौंपा था।

एक टरबाइन को करीब नौ घंटे किया जा रहा है संचालित

इसके अलावा यमुना का जलस्तर बढ़ने पर बाड़वाला में एक वाहन फंस गया था, वाहन की धुलाई कर रहे चालक ने किनारे की तरफ भागकर अपनी जान बचाई थी। 120 मेगावाट की व्यासी जल विद्युत परियोजना की वर्तमान में 60 मेगावाट की एक टरबाइन को करीब नौ घंटे संचालित किया जा रहा है।

वैसे परियोजना प्रबंधन ने टरबाइन से बिजली उत्पादन शुरू करने से पहले लोगों को सचेत करने को जुडडो, हथियारी व कटापत्थर में तीन स्थानों पर सायरन लगाए हुए हैं।

सायरन बजाने के बाद ही जल को छोड़ा जाता है यमुना में

परियोजना के अधिशासी निदेशक यांत्रिक हिमांशु अवस्थी का कहना है कि सायरन बजाने के बाद ही यमुना में जल को छोड़ा जाता है, ताकि लोग सचेत होकर दूर चले जाएं। जल स्तर बढ़ने के संबंध में नागरिकों को जागरूक करने के और प्रयास भी किए जाएंगे।

उधर, अधिशासी निदेशक परियोजना राजीव अग्रवाल का कहना है कि बारिश से झील में जल स्तर सुधरा है। बरसात होने पर जल की उपलब्धता बढ़ने पर दोनों मशीनों का संचालन संभव हो सकेगा।

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