तकनीकी सुविधा के साथ बढ़ा साइबर अपराध का ग्राफ
सूचना क्रांति ने लगभग हर क्षेत्र में एक नए तरह के अपराध को जन्म दिया है। एटीएम फ्रॉड, वेबसाइट हैकिंग जैसे अपराध चुनौती खड़ी कर रहे हैं।
देहरादून, [जेएनएन]: सूचना प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया में आई क्रांति ने लगभग हर क्षेत्र में एक नए तरह के अपराध को जन्म दिया है। जहां एटीएम फ्रॉड, वेबसाइट हैकिंग जैसे अपराध चुनौती खड़ी कर रहे हैं तो वहीं महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ा है। वहीं ज्यादातर साइबर अपराध के तार सात समंदर पार जुडऩे से इन वारदातों को वर्कआउट करना पुलिस के लिए आसान नहीं होता। साइबर अपराध से निपटने के लिए पुलिस ने अपने संसाधनों को बढ़ाने के साथ ही उन्हें हाईटेक करते हुए इंटेलीजेंस को भी और शार्प किया है। इससे जुड़े मामलों की तफ्तीश और अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए साइबर थाना खोलने के साथ साइबर लैब की भी स्थापना की गई है।
कंप्यूटर के बाद इंटरनेट के कदम रखते ही सूचना क्रांति ने हर क्षेत्र को प्रभावित किया। इसके उपयोग से जिन दस्तावेजों को एक स्थान से दूसरी जगह भेजने में घंटों का वक्त लगता था अब सेकेंड लगता है। रोजमर्रा के अन्य कामों में भी इंटरनेट उपयोगी साबित हुआ है। अब सब कुछ इंटरनेट पर आसानी से सुलभ है। बीते डेढ़ दशक में किसी व्यक्ति या संस्था की गोपनीय जानकारियां चुराने या बिगाडऩे का माध्यम भी बना लिया गया है। साइबर अटैक के इसी संभावित खतरे को देखते हुए पिछले साल साइबर पुलिस ने कंप्यूटर और इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों के लिए बचाव के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए थे। मगर बीते साल देश में अपनी तरह के सबसे बड़ी एटीएम क्लोनिंग की घटना से लेकर आए दिन फेसबुक, वेबसाइट हैकिंग की आ रही शिकायतों ने चिंता बढ़ा दी है।
विगत तीन वर्ष में साइबर क्राइम
वर्ष-----एटीएम/आनलाइन संबंधी----फेसबुक या ईमेल हैकिंग--धोखाधड़ी--अवांछनीय मैसेज
2015--229-------------------------------------59---------------------24--------------28
2016--435------------------------------------116---------------------52--------------99
2017--580------------------------------------145--------------------88-------------122
तीन साल की हो सकती है सजा
वरिष्ठ अधिवक्ता जेके जोशी ने बताया कि साइबर अपराध के विरुद्ध केंद्र सरकार ने वर्ष 2000 में आइटी एक्ट बनाया तथा दिसंबर 2008 में इसमें संशोधन किए। इसके दायरे में अब साइबर आतंकवाद को भी जोड़ लिया गया है। उन्होंने कहा कि कंप्यूटर हैकिंग के लिए आइटी एक्ट की धारा 65-66 के तहत तीन साल तक की सजा तथा दो लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है।
क्या है साइबर अपराध
यह अपराध कंप्यूटर की मदद से नेटवर्क उपकरणों के माध्यम से किया जाता है। अपराध करने के लिए मौके पर मौजूद रहना जरूरी नहीं है। इस तरह के अपराध या तो किसी एक व्यक्ति या फिर व्यक्तियों के समूह द्वारा किए जाते हैं, जिन्हें तकनीकी का काफी अच्छा ज्ञान होता है।
साइबर अपराध के प्रकार
- साइबर धमकी, जिसमें अपराधी लोगों को डराता और धमकाता है।
- कुछ सॉफ्टवेयर और नेटवर्क की मदद से बड़ी चालाकी से क्रेडिट कार्ड आदि की जानकारी निकाल कर किसी व्यक्ति के अकाउंट से पैसे उड़ा कर किसी दूसरे अकाउंट में ट्रांसफर कर देना।
- फेसबुक या अन्य सोशल मीडिया को हैक कर आपत्तिजनक पोस्ट कर लोगों की छवि को धूमिल करना या फिर ब्लैकमेल करना।
साइबर अपराध से बचने के लिए सावधानी जरूरी
रिधिम अग्रवाल (एसएसपी एसटीएफ) का कहना है कि साइबर अपराध से बचने के लिए तकनीकी का सामान्य ज्ञान होने के साथ इंटरनेट उपयोग के वक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है। इंटरनेट इस्तेमाल करते समय खुद-ब-खुद आने वाली वेबसाइट पर न तो क्लिक करें और न ही अपनी कोई गोपनीय जानकारी किसी से साझा करें। इसके साथ राज्य के सभी थानों के पुलिसकर्मियों को साइबर की विवेचना और रोकथाम का प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि पीड़ित को भटकना न पड़े।
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