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मुख्य सचिव बोले, गंगोत्री से ऋषिकेश तक गंगाजल पीने योग्य

मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने गुरुवार को मीडिया से वार्ता करते हुए बताया कि एनजीटी द्वारा जारी आदेशों के क्रम में प्रत्येक जनपद में पर्यावरण से संबंधित एक समिति गठित की जाएगी। जिन राज्यों में गंगा बहती है उन राज्यों में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक पर्यावरण सेल होगा।

By Sumit KumarEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 06:51 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 06:51 PM (IST)
मुख्य सचिव बोले, गंगोत्री से ऋषिकेश तक गंगाजल पीने योग्य
मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने बताया कि उत्तराखंड में पर्यावरण सेल का गठन किया जा चुका है।

देहरादून, राज्य ब्यूरो। पतित पावनी गंगा को उसके उद्गम स्थल गंगोत्री से लेकर ऋषिकेश तक प्रदूषण से निजात मिल गई है। 29 सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट चालू किए जाने के बाद इस क्षेत्र तक गंगा जल साफ और पीने योग्य हो गया है। कुंभ तक हरिद्वार तक इसे पीने योग्य बनाया जाएगा। प्रदेश सरकार ने एनजीटी के निर्देशों पर अहम फैसला लेते हुए प्रत्येक जिले में पर्यावरण संबंधी समिति गठित करने का फैसला लिया है। 

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प्रदेश सरकार ने गंगा जल को राज्य की सीमा के भीतर पीने योग्य बनाने की मुहिम पर काम तेज कर दिया है। मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने गुरुवार को बताया कि गंगा को निर्मल बनाने के अभियान के तहत कुल बनाए जा रहे 32 सीवरेट ट्रीटमेंट प्लांट में 29 को पूरा कर फंक्शनल किया जा चुका है। शेष तीन में दो का कार्य दिसंबर और एक का कार्य आगामी मार्च माह तक पूरा होगा। गंगा का जल गंगोत्री से ऋषिकेश तक स्वच्छ और पीने योग्य है। 

मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य की सीमा तक यह जल नहाने योग्य है। बरसात की वजह से हरिद्वार तक गंगा जल स्वच्छ है। सरकार प्रयास कर रही है कि हरिद्वार में होने वाले कुंभ मेले तक यह जल शुद्ध बना रहे। केंद्र सरकार ने राज्य में गंगा के तटवर्ती शहरों के लिए ठोस कूड़ा प्रबंधन के 17 प्रोजेक्ट मंजूर किए हैं। इनके लिए धनराशि की पहली किस्त जारी की गई है। इन प्रोजेक्ट के लिए 35 फीसद धनराशि केंद्र देता है। 65 फीसद धनराशि राज्य सरकार वहन करती है। इन प्रोजेक्ट में एक माह के भीतर कार्य शुरू होगा। 

उन्होंने बताया कि एनजीटी के आदेशों पर राज्य में अमल किया जा रहा है। इसके मुताबिक जिन राज्यों में गंगा बहती है, वहां मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्यस्तरीय पर्यावरण सेल गठित किया जाना है। उत्तराखंड में यह सेल गठित किया जा चुका है। जिलों में भी पर्यावरण संबंधी समितियों का गठन होगा। 

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