रुड़की-देवबंद रेल लाइन में भूमि अधिग्रहण की बाधा
रुड़की-देवबंद नई रेल लाइन परियोजना को पूरा करने में गांवों में भूमि अधिग्रहण के लंबित मामले बाधक बन गए हैं।
राज्य ब्यूरो, देहरादून
रुड़की-देवबंद नई रेल लाइन परियोजना को पूरा करने में गांवों में भूमि अधिग्रहण के लंबित मामले बाधक बन गए हैं। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के 14 में से 12 गावों में भूमि अधिग्रहण नहीं हो पाया। मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने देवबंद के 14 गांवों की भूमि के अधिग्रहण में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।
सचिवालय सभागार में गुरुवार को मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने 27.45 किमी लंबी नई रुड़की-देवबंद रेल परियोजना की प्रगति की समीक्षा की। वर्तमान में रेल लाइन देवबंद से सहारनपुर होकर रुड़की तक है। इस दूरी को कम करने के लिए उक्त नई रेल लाइन बनाई जा रही है। केंद्र सरकार ने 50-50 फीसद लागत हिस्सेदारी के आधार पर इस परियोजना के लिए रजामंदी दी। परियोजना की लागत 791 करोड़ है।
मुख्य सचिव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के माध्यम से रेलवे के अधिकारी व हरिद्वार के जिलाधिकारी के साथ बैठक की। उन्होंने राज्यांश की 50 फीसद राशि रेलवे को तुरंत जारी करने के निर्देश दिए। हरिद्वार के जिलाधिकारी ने बताया कि राज्य के परियोजना क्षेत्र में आने वाले चार गांवों साल्हापुर, वहस्तीपुर, रहमपुर व पनियाला चंदापुर में भूमि अधिग्रहण किया जा चुका है। शेष चार गांवों में ग्रामीण अधिग्रहीत की जाने वाली भूमि का मुआवजा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
मुख्य सचिव ने मामले को निस्तारित करने को किसी सेवानिवृत्त आइएएस को आर्बिट्रेटर के रूप में नियुक्त करने के निर्देश जिलाधिकारी को दिए। रेलवे अधिकारियों को न्यायालयों में वादों से संबंधित प्रकरण जिलाधिकारी को भेजने के निर्देश दिए गए। बैठक में परिवहन सचिव शैलेश बगोली व अपर सचिव नियोजन मेजर योगेंद्र सिंह उपस्थित थे। मुख्य सचिव 17 अगस्त को इस संबंध में दोबारा बैठक करेंगे।