Uttarakhand Lockdown: दून की सड़कों में भीड़ नियंत्रित, सोशल डिस्टेंसिंग का नहीं ख्याल
पुलिस की सख्ती से लॉकडाउन के दौरान आढ़त बाजार हनुमान चौक व दर्शनी गेट रोड इलाके में भीड़ काबू में दिख रही है। फिजिकल डिस्टेंसिंग का अभी भी लोग ख्याल नहीं रख रहे हैं।
देहरादून, जेएनएन। पुलिस और प्रशासन की सख्ती के बाद लॉकडाउन के दौरान आढ़त बाजार, हनुमान चौक व दर्शनी गेट रोड इलाके में भीड़ काबू में दिख रही है। फिजिकल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था का अभी भी लोग ख्याल नहीं रख रहे हैं। ऐसे में पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।
जिला प्रशासन और आढ़त बाजार मंडी समिति की ओर से फुटकर व थोक के दाम तय होने के बाद खुदरा विक्रेताओं को थोड़ी राहत मिली। हालांकि, कई खुदरा व्यापारी अभी भी इससे संतुष्ट नहीं है। हनुमान चौक और आढ़त बाजार की होलसेल दुकानों के सामने भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। इससे बाजार में अन्य दिनों के मुकाबले भीड़ काबू में दिखी।
हालांकि, खुदरा व्यापारी सामान जल्दी लेने की होड़ में दुकानों के काउंटर पर झुंड में खड़े नजर आए। एक-दूसरे से न्यूनतम दूरी बनाए रखने के लिए दुकानों के आगे चूने से गोले भी बनाए गए हैं। सामान खरीदने पहुंचे लोग इन गोलों में खड़े होने के बजाय सीधा काउंटर पर पहुंच गए। पुलिस बार-बार लोगों को समझाती और उन्हें एक-दूसरे से थोड़ी दूरी पर खड़ा कर देती।
कुछ देर बाद स्थिति फिर पहले जैसी हो जाती। वहीं, राजपुर रोड, ओल्ड राजपुर, सहस्त्रधारा, शहंशाही समेत शहर के अन्य सुदूर इलाकों में फुटकर विक्रेता अब भी मनमाने दाम पर राशन बेच रहे हैं।
मदद के लिए तैयार हो रहे पैकेट
आढ़त बाजार और हनुमान चौक के होलसेल विक्रेता व शहरभर के फुटकर विक्रेता प्रशासन, एनजीओ समेत आम लोगों के लिए राशन के पैकेट तैयार करने में लगे हैं। जरूरतमंद लोगों को राशन उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं ने दुकानदारों को आटा, चावल, दाल, चीनी आदि खाद्य पदाथोर्ं के पैकेट तैयार करने को कहा है। ऐसे में दुकानदार सामान्य उपभोक्ताओं को राशन उपलब्ध कराने में आनाकानी करते भी दिखे।
दुकानें बंद तो स्टॉक का कैसा सत्यापन
पूरे प्रदेश में शराब के ठेके बंद हैं। इसके बावजूद लॉकडाउन के बीच भी आबकारी विभाग कभी लॉटरी तो कभी अवशेष दुकानों के उठान को लेकर अप्रत्याशित रूप से सक्रिय रहा है। अब वित्तीय वर्ष समाप्ति की ओर है तो विभाग ने स्टॉक सत्यापन के नाम पर नया राग छेड़ दिया है। हालांकि, जब शराब की दुकानें ही बंद हैं तो किस बात का स्टॉक सत्यापन।
31 मार्च को वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर बचे स्टॉक का सत्यापन किया जाता है। साथ ही नए ठेकेदारों को दुकानों का आवंटन किया जाता है। नए व पुराने शराब कारोबारियों की उपस्थिति में यह काम आबकारी अधिकारी करते हैं। अब जब शराब की दुकानें ही कई दिनों से बंद हैं और 14 अप्रैल तक उनके खुलने की कोई सूरत भी नहीं है तो विभागीय अधिकारी क्यों लॉकडाउन के नियमों से आगे बढ़कर काम करने पर तुले हैं।
यदि शराब की दुकानों का मसला इतना ही अहम होता तो दुकानें क्यों अब तक बंद रहतीं। इस काम में करीब 1000 लोगों को बाहर निकलने की अनुमति भी जारी करानी होगी। जाहिर है इससे लॉकडाउन में घरों में ही रहने और शारीरिक दूरी बनाए रखने का नियम भी प्रभावित होगा।
शराब ठेके खुलने पर होगा राजस्व का आकलन
शराब की दुकानों से मिलने वाले राजस्व की गणना पहले ही की जा चुकी है। अब इसे हासिल करने में समस्या यह है कि जब शराब की कई दिनों तक बिक्री हुई ही नहीं तो उस समय के राजस्व का क्या होगा। यह राजस्व शराब कारोबारियों की जेब से खींचा जाएगा या सरकार अलग से गणना कर उसका समायोजन करेगी। इसको लेकर कुछ भी तस्वीर साफ नहीं है। आबकारी विभाग के प्रमुख सचिव आनंद बर्धन का कहना है कि शराब की दुकानें खुलने के बाद ही इस पर मंथन किया जाएगा।