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फर्जी कॉल सेंटर खोलकर की करोड़ों की ठगी

देहरादून में कॉल सेंटर खोलकर बेरोजगारों से नौकरी के नाम पर करोंड़ों की ठगी का मामला सामने आया है। पुलिस ने गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 13 Nov 2017 08:39 PM (IST)Updated: Tue, 14 Nov 2017 02:38 AM (IST)
फर्जी कॉल सेंटर खोलकर की करोड़ों की ठगी
फर्जी कॉल सेंटर खोलकर की करोड़ों की ठगी

देहरादून, [जेएनएन]: कॉल सेंटर खोलकर बेरोजगारों से नौकरी के नाम पर ऑनलाइन ठगी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। गिरोह देहरादून में बैठकर महाराष्ट्र, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों के बेरोजगारों से करोड़ों रुपये की ठगी कर चुका है। इस सिलसिले में गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया है। 

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तीनों कॉल सेंटर में साझीदार थे। ठगी करने वाले हाईटेक गिरोह का एसटीएफ ने सोमवार को भंडाफोड़ किया। गिरोह के तीन सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया गया है। गिरोह पिछले एक साल से क्लेमेनेटाउन के बिजनेस पार्क में कॉल सेंटर संचालित कर रहा था। आरोपियों के चार बैंक खातों का भी पता चला है। इनमें पिछले कुछ महीनों में मोटा लेन-देन हुआ। 

सोमवार को एसटीएफ की एसएसपी रिद्धिम अग्रवाल ने बताया कि कुछ दिन पहले एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उससे नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी की गई है। इस पर देहरादून के क्लेमेनटाउन के बिजनेस पार्क स्थित फर्जी कॉल सेंटर की निगरानी शुरू की गई। सोमवार को एएसपी अजय सिंह के नेतृत्व में टीम ने सेंटर पर छापा मारा। यहां 25 कंप्यूटर, 14 लैपटॉप में हजारों बेरोजगार युवकों के बायोडाटा मिले। इनमें से अधिकांश युवक पश्चिम और दक्षिण के राज्यों के रहने वाले हैं। मौके से एसटीएफ ने तीन संचालकों को गिरफ्तार किया।

तीनों की पहचान राहुल कुमार पुत्र दयाराम सिंह निवासी सीमला पोस्ट मुराहाट बिजनौर, रचित कुमार पुत्र सुभाष चंद्र निवासी बिचौली अलीगढ़ व सुनील कुमार पुत्र यशवंत कुमार निवासी बड़कोट उत्तरकाशी के रूप में हुई है। पूछताछ में पता चला कि तीनों ही मिलकर कॉल सेंटर संचालित कर रहे थे। दस्तावेजों की पड़ताल में एक महिला समेत चार बैंक अकाउंट की भी जानकारी मिली है।

एसटीएफ एसएसपी के अनुसार सेंटर के संचालक बेरोजगारों से नौकरी दिलाने के नाम पर वसूली जाने वाली फीस इन्हीं बैंक खातों में जमा कराते थे। आरोपी विजडम ग्लोब डॉटकॉम व शाइन डॉटकॉम के जरिये युवाओं को निशाना बनाते थे। आरोप है कि गिरोह लगभग 50 हजार रुपये में तीन महीने के लिए बेरोजगारों का बायोडाटा इन्हीं वेबसाइट से खरीदता था। एसएसपी ने बताया कि वेबसाइट से संपर्क किया जा रहा है। साथ ही, जिन बैंकों में आरोपियों के खाते हैं, उन बैंकों को भी पत्र भेजकर जानकारी मांगी जा रही है। सेंटर में 20 से 25 युवक-युवतियां काम करती मिलीं, जिनकी संलिप्तता की भी जांच की जा रही है। 

नहीं सुरक्षित वेबसाइट पर डाटा

नौकरी दिलाने के नाम पर इन दिनों दर्जनों की संख्या में वेबसाइट मौजूद हैं, जिन पर बेरोजगार पंजीकरण के बाद अपना बायोडाटा अपलोड कर देते हैं। मगर बीते तीन माह में सामने आए दो मामलों से सवाल उठने लगे हैं कि वेबसाइट बेरोजगारों के बायोडाटा का भी धंधा कर रही हैं। नेहरू कॉलोनी में पकड़े गए कॉल सेंटर भी कुछ वेबसाइट से बेरोजगारों का डाटा खरीदने का दावा किया था, लेकिन जांच में सामने आया था कि वेबसाइट ने किसी तरह का डाटा सेंटर को नहीं बेचा था। एसएसपी एसटीएफ ने बताया कि इस बार सामने आए वेबसाइट के मुख्यालयों से भी जानकारी मांगी जा रही है। 

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