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गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने का संकल्प पारित

गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा देने की देवभूमि उत्तराखंड से उठी माग पर राज्य विधानसभा ने मानसून सत्र के दौरान बुधवार को अपनी मुहर लगा दी। इस सिलसिले में सरकार की ओर से प्रस्तुत संकल्प को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Sep 2018 08:46 PM (IST)Updated: Wed, 19 Sep 2018 08:46 PM (IST)
गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने का संकल्प पारित
गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने का संकल्प पारित

राज्य ब्यूरो, देहरादून

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गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा देने की देवभूमि उत्तराखंड से उठी माग पर राज्य विधानसभा ने मानसून सत्र के दौरान बुधवार को अपनी मुहर लगा दी। इस सिलसिले में सरकार की ओर से प्रस्तुत संकल्प को सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। इसे अब केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। इसकेसाथ ही गाय को यह सम्मान देने का संकल्प पारित करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है। वहीं, गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने की मांग को लेकर उत्तराखंड के संत गोपालमणि महाराज की मुहिम को राज्य विधानसभा से संबल मिला है। उन्होंने इसके लिए सरकार के साथ ही सत्ता पक्ष व विपक्ष के सभी विधायकों के प्रति आभार जताया है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एजेंडे में शामिल 'गाय व गंगा' पर सरकार का खास फोकस है। इसे देखते हुए सरकार ने अब गाय को सम्मान देने की दिशा में अहम कदम उठाया है। पशुपालन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रेखा आर्य ने बुधवार को सदन में संकल्प पेश किया कि 'यह सदन भारत सरकार से आग्रह करता है कि गाय को राष्ट्रमाता घोषित किया जाए'। उन्होंने गाय के धार्मिक, आर्थिक, वैज्ञानिक, सामाजिक व आध्यात्मिक महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि ¨हदू धर्म में गाय को माता का दर्जा है और गाय का दूध मां के दूध का विकल्प भी है। वैज्ञानिक शोधों में यह प्रमाणित भी हुआ है। उन्होंने कहा कि गोवंश संरक्षण के लिए राज्य में अधिनियम लागू है। गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा मिलने पर इस कानून को भी बल मिलेगा।

विपक्ष ने इस संकल्प का स्वागत करने के साथ ही गोवंश की दशा को लेकर सरकार को आइना भी दिखाया। नेता प्रतिपक्ष डॉ.इंदिरा हृदयेश ने कहा कि गाय को हम माता मानते हैं, लेकिन सरकार यह भी स्पष्ट करे कि गाय को राष्ट्रमाता बनाकर सरकार क्या संदेश देना चाहती है। गोवंश की दुर्दशा रोकने के लिए क्या प्रबंध किए गए हैं।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं चकराता से विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि सभी गोमाता में आस्था रखते हैं। गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने का हम स्वागत करते हैं। साथ ही सरकार यह भी बताए कि गोवंश संरक्षण के लिए कितनी ईमानदारी से कार्य हुए हैं। गोवंश संरक्षण कानून प्रदेश में दिखाई पड़ना चाहिए।

विधायक प्रीतम पंवार ने भी संकल्प को स्वागतयोग्य बताते हुए कहा कि गाय का महत्व हमारे जीवन से लेकर मृत्यु तक है। भाजपा विधायक विनोद चमोली, देशराज कर्णवाल, संजय गुप्ता आदि ने भी चर्चा में भाग लिया। इसके बाद यह संकल्प सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया। इसके साथ ही गाय को यह सम्मान देने की मांग करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है।

गौरतलब है कि उत्तराखंड के संत गोपालमणि महाराज गाय को राष्ट्रमाता का दर्जा देने की मुहिम छेड़े हुए हैं। इस सिलसिले में वह देश के सभी जिलों के साथ ही राजधानी दिल्ली में कई बड़े आयोजन कर चुके हैं। सत्र से ठीक पहले दून में हुई संत गोपालमणि महाराज की गोकथा के दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत समेत सरकार के मंत्रियों के अलावा सत्तापक्ष व विपक्ष के विधायकों ने गाय को सम्मान दिलाने की मुहिम में उनके साथ खड़ा होने का भरोसा दिलाया था।

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'गाय व गंगा देवभूमि उत्तराख्ाड की पहचान हैं और इनके संरक्षण के लिए राज्य सरकार कृत संकल्प है। गाय को राष्ट्रीय सम्मान दिलाने की कड़ी में विधानसभा ने उसे राष्ट्रमाता का दर्जा देने का संकल्प पारित किया है। इससे गोसंरक्षण की मुहिम और अधिक बल मिलेगा।'

-त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड।


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