आबादी से प्रभावित हुआ जंगली जानवरों का कॉरीडोर, अब आए दिन घुस जाते हैं गांवों में
तिमली वन रेंज से सटे इलाकों में इन दिनों हाथियों और हिरन प्रजाति के जानवरों के अलावा और भी कई जंगली जीव आबादी में पहुंचकर लोगों की परेशानी का कारण बन रहे हैं।
विकासनगर, कुंवर जावेद। तिमली वन रेंज के जंगल से सटे इलाकों से आए दिन जंगली जानवरों के आबादी में आ जाने की खबरें मिलती रहती हैं। इन दिनों हाथियों और हिरन प्रजाति के जानवरों के अलावा और भी कई जंगली जीव आबादी में पहुंचकर लोगों की परेशानी का कारण बन रहे हैं। जानकारों की मानें तो आबादी बढ़ने से जंगली जानवरों की चहलकदमी का दायरा घटा है, इसके चलते इस तरह के हालात पैदा हो रहे हैं।
कालसी वन प्रभाग की तिमली रेंज के जंगल से निकलकर आबादी में जानवरों के आ जाने की घटनाएं यहां आमतौर पर देखने और सुनने को मिलती रहती हैं। मौजूदा दिनों में भी रेंज के जंगल से सटे कुंजाग्रांट, मटकमाजरी और कुल्हाल गांवों में प्रतिदिन हाथी आबादी की तरफ अपना मूवमेंट कर रहे हैं। यही नहीं, हिरन प्रजाति के कई जानवर भी गांव में आकर लोगों की फसलों को नुकसान पंहुचा रहे हैं।
तिमली वन रेंज का दायरा 9930 हेक्टेयर में फैला हुआ है। इसके अतिरिक्त वन क्षेत्र आशारोड़ी क्षेत्र से होते हुए राजाजी नेशनल पार्क में मिल जाता है। इसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि जंगली जानवरों के मूवमेंट के लिए यह दायरा कम नहीं है। बावजूद इसके जानवर बार-बार क्षेत्र की आबादी में आते रहते हैं। गांवों में रहने वाले लोग बताते हैं कि राज्य बनने से पहले पूरा क्षेत्र जंगल का हिस्सा रहा है। इस कारण जंगल से लेकर आसन बैराज तक और मटकमाजरी, कुल्हाल आदि क्षेत्रों में जानवर यमुना नदी तक चहलकदमी करते थे। हालांकि राज्य गठन के बाद अस्तित्व में आए शिमला बाईपास रोड से जंगल और आबादी अलग तो हो गया, लेकिन जानवरों की चहलकदमी आज भी बदस्तूर जारी है।
कुल्हाल-कुंजाग्रांट में दो दशक पूर्व आसन और यमुना तक होती थी जानवरों की चहलकदमी
तिमली वन रेंज की रेंजर पूजा रावल बताती हैं कि जंगली जानवर जिन रास्तों का इस्तेमाल करते हैं वह पुश्त दर पुश्त उनपर चलते रहते हैं, कभी यह पूरा क्षेत्र जानवरों का कॉरीडोर रहा। हालांकि जंगली जानवर वन क्षेत्र से बाहर न आ सकें इसके लिए विभाग की ओर से पीने के पानी से लेकर तमाम तरह के इंतजाम किए गए हैं।
पूर्व ग्राम प्रधान मोहम्मद आरिफ का कहना है कि साठ के दशक में शक्तिनहर आसन बैराज के बनने के बाद यहां हालात कुछ बदले, अन्यथा इसके पहले जानवर आसन व यमुना नदी तक खूब विचरण करते थे। शिमला रोड का निर्माण हुआ आबादी भी बढ़ी, लेकिन जानवर अभी भी आसन नदी तक आ ही जाते हैं।
यह भी पढ़ें: सैलानियों के आकर्षण का केंद्र हैं उत्तराखंड में संरक्षित क्षेत्र, जानिए इसकी खासियत