Move to Jagran APP

coronavirus संक्रमण के चलते सील हुई भगत सिंह कॉलोनी के सात दिन के बच्चे की मौत

भगत सिंह कॉलोनी के सात दिन के एक बच्चे की मौत हो गई है। तबीयत खराब होने पर बच्चे को दून मेडिकल कॉलेज के स्त्री और प्रसूति रोग विभाग (महिला अस्पताल) में भर्ती कराया गया था।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 20 Apr 2020 06:24 PM (IST)Updated: Mon, 20 Apr 2020 06:24 PM (IST)
coronavirus संक्रमण के चलते सील हुई भगत सिंह कॉलोनी के सात दिन के बच्चे की मौत
coronavirus संक्रमण के चलते सील हुई भगत सिंह कॉलोनी के सात दिन के बच्चे की मौत

देहरादून, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के कारण पाबंद की गई भगत सिंह कॉलोनी के सात दिन के एक बच्चे की मौत हो गई है। तबीयत खराब होने पर बच्चे को दून मेडिकल कॉलेज के स्त्री और प्रसूति रोग विभाग (महिला अस्पताल) में भर्ती कराया गया था। बच्चे की मौत की वजह सीवियर सेप्टिक शॉक बताई गई है। एहतियात के तौर पर बच्चे का सैंपल कोरोना जांच के लिए भेजा गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही शव परिजनों के सुपुर्द किया जाएगा। वहीं, अस्पताल प्रशासन ने इस पूरे मामले में विभागाध्यक्ष और बच्चे का उपचार कर रहे डॉक्टरों से रिपोर्ट तलब की है। 

loksabha election banner

जानकारी के अनुसार भगत सिंह कॉलोनी की एक गर्भवती को बीती 13 अप्रैल को महिला अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां पर उसने एक बच्चे को जन्म दिया। महिला हॉटस्पॉट क्षेत्र की रहने वाली थी, लिहाजा एहतियात के तौर पर उसकी कोरोना जांच भी कराई गई, जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई थी। चार दिन अस्पताल में रहने के बाद मां-बच्चे को 17 अप्रैल को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। 

घर पहुंचने पर बच्चे को फीडिंग में दिक्कत आ रही थी और वह लगातार उल्टियां कर रहा था। बताया गया कि बच्चे का पेट भी फूल रहा था। ऐसे में स्वजन 18 अप्रैल को उसे लेकर अस्पताल पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने उसे देखा वह दवा दे दी। रविवार को उसे पुन: गंभीर स्थिति में अस्पताल लाया गया। जहां उसे वेंटीलेटर पर रखा गया। चिकित्सकों ने बताया कि बच्चे के फेफड़ों में इंफेक्शन था। काफी कोशिश के बाद भी उसको बचाया नहीं जा सका। उसकी मौत का कारण सीवियर सेप्टिक शॉक रहा है।

यह भी पढ़ें: Lockdown: देहरादून के हॉटस्‍पॉट क्षेत्र में बच्‍ची की मौत, पुलिस-मेडिकल पर उठे सवाल तो DM ने दिया ये जवाब

यह वह अवस्था है जब शरीर में इंफेक्शन बढ़ जाता है और ऑर्गन काम करना बंद कर देते हैं। अस्पताल के डिप्टी डॉ. एनएस खत्री के अनुसार पहली बार जब बच्चे को अस्पताल लाया गया उसे उल्टी की दिक्कत थी। फीडिंग के बाद वह रो रहा था। पर रविवार को परिजन उसे अस्पताल लाए तो स्थिति गंभीर थी, जिस पर उसे निक्कू वार्ड में भर्ती कर पांच डॉक्टरों की टीम ने उपचार शुरू किया। लेकिन इंफेक्शन ज्यादा होने के कारण उसे बचाया नहीं जा सका।

यह भी पढ़ें: coronavirus: उत्तराखंड में पूल टेस्टिंग से रोका जाएगा कोरोना का सामुदायिक फैलाव, जानिए क्या है पूल टेस्टिंग


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.