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उत्तराखंड में coronavirus संक्रमण रोकने को लगातार बढ़ रहीं चुनौतियां, बढ़ाना होगा जांच का दायरा

कोरोना के संक्रमण की रोकथाम को लेकर उत्तराखंड में भी चुनौतियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। संक्रमण को कम्युनिटी ट्रांसमिशन तक पहुंचने से रोकने के लिए सैंपलिंग का दायरा भी बढ़ाना होगा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Wed, 08 Apr 2020 06:25 PM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2020 06:25 PM (IST)
उत्तराखंड में coronavirus संक्रमण रोकने को लगातार बढ़ रहीं चुनौतियां, बढ़ाना होगा जांच का दायरा
उत्तराखंड में coronavirus संक्रमण रोकने को लगातार बढ़ रहीं चुनौतियां, बढ़ाना होगा जांच का दायरा

देहरादून, जेएनएन। कोरोना के संक्रमण की रोकथाम को लेकर उत्तराखंड में भी चुनौतियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। जिस तरह से दिन-प्रतिदिन कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, उसे देखते हुए संक्रमण को कम्युनिटी ट्रांसमिशन तक पहुंचने से रोकने के लिए सैंपलिंग का दायरा भी बढ़ाना होगा। पर उत्तराखंड में सैंपलों की जांच का काम अभी भी बेहद सुस्त गति से चल रहा है, जबकि प्रदेश में कई जगह नए हॉट स्पॉट विकसित हो चुके हैं।

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प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 33 हो गई है। देहरादून हो या फिर नैनीताल, ऊधमसिंहनगर, पौड़ी, अल्मोड़ा और हरिद्वार सभी जगह से कोरोना के मरीज सामने आ चुके हैं। वहीं, अस्पतालों के आइसोलेशन वार्ड भर्ती और  संस्थागत क्वारंटाइन संदिग्ध मरीजों की संख्या भी कम नहीं है। अस्पताल या क्वारंटाइन में रह रहे इन संदिग्ध मरीजों में लगातार किसी न किसी की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। 

वहीं, कई ऐसे मरीज भी हैं, जिनकी पहचान करना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में हाल-फिलहाल संकट के इस दौर से उबरा जा सके, यह होता नहीं दिख रहा है। इतना जरूर है कि सरकार, शासन-प्रशासन और पुलिस अपने-अपने स्तर से कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य कर रहे हैं। कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग पर भी खास फोकस किया जा रहा है। पर इन सबके बीच मरीजों की पहचान के लिए सैंपलिंग का दायरा बढ़ाने की चुनौती अब भी बनी हुई है।

मार्च से अब तक प्रदेशभर से 1289 सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। 

वर्तमान में हल्द्वानी मेडिकल कालेज और ऋषिकेश स्थित एम्स की लैब में ही कोरोना के सैंपलों की जांच हो रही है, जबकि आइआइपी की लैब ने अभी काम करना शुरू नहीं किया है। इसके अलावा दून में एक निजी लैब को भी जांच की अनुमति मिली है, मगर इस लैब ने भी अभी तक काम शुरू नहीं किया है। बता दें, शुरुआत में जहां प्रतिदिन छह-सात सैंपलों की जांच ही लैब में हो रही थी, वह अब बढ़कर सौ के पार पहुंच गई है। पर दिक्कत ये है कि कोरोना का पहला मरीज सामने आने के बाद जांच की रफ्तार थोड़ी बढ़ी, लेकिन उस अनुपात में नहीं, जितने कि कोरोना के संक्रमित और संदिग्ध मरीज रोजाना सामने आ रहे हैं।

हॉट स्पॉट से रैंडम सैंपलिंग की आवश्यकता 

मौजूदा समय में विदेश से आने वाले और किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों की ही जांच की जा रही है, क्योंकि ज्यादातर मामले इन्हीं से जुड़े हैं। पर अब जमातियों में कोरोना पॉजिटिव केस आने के बाद स्थानीय स्तर पर भी संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। वहीं, इस बीमारी की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि काफी रोगियों में लक्षण ही नजर नहीं आते।

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स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती का कहना है कि सैंपलिंग बढ़ाने की लगातार कोशिश की जा रही है। वर्तमान में हल्द्वानी मेडिकल कालेज और एम्स ऋषिकेश से सैंपलों की जांच रिपोर्ट मिल रही है। एम्स की लैब में वर्तमान में जितनी जांच की जा रही है, उसे दोगुना किया जा रहा है। अगर आइआइपी की लैब जल्द कार्य करना शुरू कर देगी तो सैंपलिंग की रफ्तार और बढ़ेगी। 

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