World earth day: लॉकडाउन में पृथ्वी कर रही है खुद की मरम्मत, आप भी करें सहयोग
लॉकडाउन में जब तमाम गतिविधियों पर अंकुश लगा है तो पृथ्वी की सांस लेने लगी है। दून में ही हवा की गुणवत्ता 76 फीसद तक सुधरी है तो गंगा का पानी 47 फीसद तक साफ हो गया है।
देहरादून, जेएनएन। लॉकडाउन में जब तमाम गतिविधियों पर अंकुश लगा है तो पृथ्वी की सांस लेने लगी है। दून में ही हवा की गुणवत्ता 76 फीसद तक सुधरी है तो गंगा का पानी 47 फीसद तक साफ हो गया है। जाहिर है हमारी ही अनियंत्रित शैली पृथ्वी को नुकसान पहुंचा रही है। कोरोना वायरस के संक्रमण की रोकथाम के लिए किए गए लॉकडाउन में धरती अपनी सेहत सुधारने लगी है। जल्द हालात भी सामान्य होंगे, मगर अब हमें यह समझना होगा कि पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाकर ही मानव जाति को सुरक्षित रखा जा सकता है। क्योंकि पर्यावरण जितना प्रदूषित होगा, उसका खामियाजा हमें ही उठाना पड़ेगा।
लॉकडाउन के चलते इन दिनों दून में मानवीय गतिविधियों पर काफी हद तक अंकुश लग गया है। वाहनों की भागदौड़ भी पहले की तुलना में कई गुना कम हो गई है। दोपहर बाद सभी सड़कों और बाजार में सन्नाटा पसर जाता है। दून की आबोहवा पर इसका सकारात्मक असर नजर आ रहा है। बुधवार को नेहरू कॉलोनी रोड पर हरियाली के साथ आसमान साफ नजर आ रहा था, जबकि आम दिनों में यहां धुंध नजर आती थी।
पूर्व प्रमुख मुख्य वन संरक्षक आरबीएस रावत ने कहा, कोरोना महामारी ने पूरी मानवता के लिए संकट खड़ा कर दिया है। विश्व के तमाम देश आज संकट के दौर से गुजर रहे हैं। इन सब के बीच कोरोना ने पृथ्वी संरक्षण के महत्व को भी समझा दिया है। धरती मां है। संसाधनों का दोहन हमें सोच-समझ कर करना होगा। इस महामारी से आने वाले समय में नए अवसर भी सामने आएंगे। जिसमें भारत नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ेगा।
यूपीसीएल के एमडी बीसीके मिश्रा का कहना है कि कोरोना ने हमें समझा दिया कि पृथ्वी के संरक्षण को लेकर हमें गंभीर होना होगा। हमारा प्रयास होगा कि आने वाले दिनों में सौर ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाए, जिससे प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कम से कम हो। इसके लिए सोलर रूफ टॉप में उत्तराखंड में बेहतर काम हुआ है और आने वाले दिनों में इसका ही भविष्य है। इस दिशा में अब सामान्य नागरिकों को भी गंभीर होकर विचार करना होगा कि प्रकृति के संरक्षण के लिए वह क्या कर रहें हैं। क्योंकि यह संकल्प किसी अकेले का नहीं बल्कि हर व्यक्ति का होना चाहिए।
पूर्व मिस इंडिया ग्रैंड इंटरनेशनल अनुकृति गुसाईं कहती हैं कि हमें इतनी खूबसूरत प्रकृति मिली है। इसका संरक्षण करना जरूरी है। यदि हम प्रकृति का संरक्षण करेंगे तो हमें इसके बदले में प्रकृति से भी सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी। मैं तो लोगों से यही अपील करना चाहूंगी कि अपने आसपास पेड़-पौधे लगाएं और हरियाली बनाए रखें। हमारे आसपास जितने अधिक पौधे होंगे, हम उतना ही ज्यादा स्वस्थ्य होंगे। पेड़-पौधे लगाने के साथ ही उनकी देखभाल करना भी जरूरी है। हमें इस दिन विशेष को एक दिन का बनाकर नहीं रखना है, बल्कि हमारे लिए हर दिन पृथ्वी दिवस होना चाहिए।
अभिनेत्री रूप दुर्गापाल कहती हैं कि पृथ्वी मां का स्वरूप है। जिस तरह हम अपनी मां की देखभाल करते हैं, उसे प्यार करते हैं। उसी प्रकार हमें पृथ्वी की देखभाल करते हुए संतान होने का कर्तव्य निभाना चाहिए। मैं सबसे पृथ्वी को साफ-सुथरा और हरा-भरा बनाए रखने की अपील करती हूं। पृथ्वी स्वस्थ होगी तो हमारा आज और कल स्वस्थ होगा। हम सब पर जब-जब विपदा की घड़ी आई है। पृथ्वी ने तब तब हमें अपने आंचल में सुरक्षित रखा है। इस विपदा की घड़ी में भी मां का आंचल हमें सुरक्षित रखेगा। अपने आसपास अधिक से अधिक पौधे लगाएं, ताकि पृथ्वी और पर्यावरण सुरक्षित रह सके।
वाडिया हिमालय भूविज्ञान के वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. पीएस नेगी का कहना है कि लॉकडाउन में पृथ्वी अपनी मरम्मत तो कर ही रही है, इससे कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने में भी मदद मिल रही है। कोरोना वायरस किसी भी सूक्ष्म कणों के जरिये हवा के माध्यम से भी फैल सकता है। इस समय प्रदूषण का ग्राफ कम है तो यह फैलाव भी कम होगा। इसके अलावा आमतौर पर भी हम सभी को वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने में सहयोग करना चाहिए।
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प्रमुख मुख्य वन संरक्षक जयराज का कहना है कि पृथ्वी बेहद नाजुक है और इसे हमें ही संभालकर रखना है। वन, जल और पर्यावरण पृथ्वी के महत्वपूर्ण अंग हैं। इन्हीं से पृथ्वी की जीवनधारा बहती है। इस पृथ्वी दिवस पर मैं संकल्प लेता हूं कि मैं प्रदूषण बढ़ाने वाले यंत्रों व साधनों का प्रयोग कम से कम करूंगा और वनों के संरक्षण के लिए वृहद स्तर पर प्रयास करूंगा। यह सभी की जिम्मेदारी है कि पर्यावरण बचाने को अपने स्तर पर प्रयास करे।