Coronavirus: एक और प्रशिक्षु आइएफएस ने जीती कोरोना से जंग, पढ़िए पूरी खबर
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती प्रशिक्षु आइएफएस दर्शन गट्टानी ने कोरोना से जंग जीत ली है। दर्शन की लगातार दूसरी रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया।
देहरादून, जेएनएन। लगभग दस दिन से दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के प्रशिक्षु आइएफएस दर्शन गट्टानी ने कोरोना से जंग जीत ली है। दर्शन की लगातार दूसरी रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। उन्होंने दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय के डॉक्टरों, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ व तमाम रेडियोलॉजी विभागका आभार जताया है।
बता दें, इससे पहले एक अन्य प्रशिक्षु आइएफएस स्वरूप दीक्षित भी पूर्णत: स्वस्थ हो चुके हैं। मूल रूप से उदयपुर राजस्थान के रहने वाले दर्शन 2018 बैच के आइएफएस हैं। दर्शन बताते हैं कि वह अस्पताल में भर्ती भी पहली दफा हुए। इससे पहले कभी इतने दिन अस्पताल में रहने की नौबत नहीं आई और वह भी आइसोलेशन में। उनका कहना है कि कोरोना खतरनाक बीमारी है, पर ऐसा नहीं है कि इससे पार नहीं पाया जा सकता। इससे लड़ने के लिए आपको मानसिक रूप से भी मजबूत होना होगा।
दर्शन ने बताया कि बीती 15 मार्च को उनके साथी शैलेंद्र की रिपोर्ट पॉजीटिव आई थी। उन्हें तभी इस बात का आभास हो गया था कि वह भी संक्रमण से बच नहीं पाएंगे। क्योंकि शैक्षिक टूर में वह शैलेंद्र के रूममेट थे। इस बात से वह थोड़ा चिंतित जरूर थे, लेकिन घबराए नहीं। उन्होंने तभी खानपान आदि को लेकर एहतियात बरतनी शुरू कर दी थी। दर्शन बताते हैं कि उनके गले में हल्की खराश थी। अन्य किसी भी तरह के लक्षण नहीं थे।
वह कहते हैं कि आप मानसिक रूप से तैयार हैं तो समझिए कि कोरोना के खिलाफ आधी जंग जीत ली। बाकि कुशल डॉक्टरों की टीम आपको ठीक कर ही देगी। उनकी दुआ है कि उनका साथी शैलेंद्र भी अब जल्द स्वस्थ होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हो। उनकी भी एक रिपोर्ट निगेटिव आई है और अब दूसरी रिपोर्ट का इंतजार है।
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बहुत ज्यादा पैनिक हो गए थे माता-पिता
दर्शन बताते हैं कि वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। कोरोना की रिपोर्ट पॉजीटिव आई तो वह घर वालों को यह बताना नहीं चाहते थे। क्योंकि घर पर केवल उनके माता-पिता ही हैं और वह नहीं चाहते थे कि उन्हें किसी चिंता में डाला जाए। पर अन्य माध्यमों से उनको इसकी जानकारी मिल गई। राजस्थान में कोरोना का बहुत ज्यादा प्रभाव है। इसके बाद देशभर में लॉकडाउन हो गया। ऐसे में वह लोग बहुत ज्यादा पैनिक हो गए थे। वह फोन पर ही रोने लगे। पर वह लगातार उन्हें इस बात की तसल्ली देते रहे कि वह ठीक हैं और जल्द कोरोना से पार पा लेंगे। उनकी पहली रिपोर्ट निगेटिव आई, तो सबसे पहले उन्होंने माता-पिता को ही फोन किया। अब वे उन्हें लेकर आश्वस्त हैं।
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