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कोरोना से घरों का बजट भी हुआ बीमार, 2500 रुपये बढ़ा खर्चा; जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ

कोरोना से जहां अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ गई है वहीं घरों का हर महीने का 2500 रुपये अतिरिक्त खर्चा बढ़ गया है। इसमें मास्क सैनिटाइजर हैंडवॉश नहाने का साबुन कपड़े धोने का साबुन सर्फ आदि शामिल हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 03:21 PM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 03:21 PM (IST)
कोरोना से घरों का बजट भी हुआ बीमार, 2500 रुपये बढ़ा खर्चा; जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ
कोरोना से घरों का बजट भी हुआ बीमा।

देहरादून, सोबन सिंह। कोरोना से जहां अर्थव्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ गई है। वहीं घरों का हर महीने का 2500 रुपये अतिरिक्त खर्चा बढ़ गया है। इसमें मास्क, सैनिटाइजर, हैंडवॉश, नहाने का साबुन, कपड़े धोने का साबुन, सर्फ आदि शामिल हैं। इसके अलावा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए फल और इम्युनिटी बूस्टर अलग हैं। काढ़ा और हैंड ग्लव्स भी बजट में शामिल हो गए हैं। इससे मध्यमवर्गीय परिवार का बजट गड़बड़ा गया है। 

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मार्च से शुरू हुए लॉकडाउन के बाद महंगाई आसमान छूने लगी। इसके बाद आइसीएमआर की गाइडलाइन के अनुसार सैनिटाइजर और मास्क अनिवार्य कर दिया गया, जिसके कारण बाजार में इनकी कालाबाजारी शुरू हो गई। स्कूल कॉलेज बंद होने पर ऑनलाइन पढ़ाई शुरू हो गई, तो ऑनलाइन क्लास के लिए डाटा में बढ़ोतरी करनी पड़ी। जिस परिवार में ऑनलाइन पढ़ाने करने वाले दो बच्चे हैं, वहां पर एक नया मोबाइल खरीदने की जरूरत भी पड़ गई। कोरोना संक्रमण के चलते पिछले एक महीने से सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं, जिसके कारण हर घर का बजट गड़बड़ाने लगा है।

ऑनलाइन क्लास के लिए खरीदा स्मार्ट फोन

पढ़ाई ऑनलाइन होने के कारण घर के खर्चे में और बढ़ोतरी हुई है। पहले डाटा लेने में ही पैसे खर्च करने पड़ते थे, लेकिन अब जिस घर में स्कूल पढ़ाने वाले दो बच्चे हैं और दोनों की ऑनलाइन क्लॉस एक ही समय चलती है। तो उस घर में एक और स्मार्टफोन खरीदने की जरूरत पड़ गई। कई परिवारों में पैसे बचाने के लिए बटन वाले फोन का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन मजबूरन उन्हें 10 से 15 हजार रुपये का नया स्मार्ट फोन खरीदना पड़ा।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

एसजीआरआर पीजी कॉलेज में अर्थशास्त्र के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राज बहादुर ने बताया कि घरों में रहकर सिर्फ खर्चे ही बढ़े हैं, जबकि आमदनी कम हो गई है। खासकर रूटीन के खर्चों में बढ़ोतरी होने से बजट गड़बड़ाया है। काम धंधे नहीं हैं। डिमांड कम हो गई है। लोग बीमारियों के प्रति भी सजग हुए हैं, जिससे इलाज का खर्चा भी बढ़ा है। व्यवसायी भी अपने काम से खुश नहीं है। व्यवसायी पहले सामान बेचने पर थोड़ा मार्जिन लेता था, लेकिन सेल अधिक होने से उन्हें फायदा होता था। अब डिमांड कम हो गई है, इसका सीधा असर बाजार पर पड़ रहा है।

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प्रति परिवार कोरोना का मासिक बजट

सैनिटाइजर  एक लीटर    400 रुपये

हैंडवाश    आधा लीटर   150 रुपये

नहाने का साबुन- तीन पीस(120 रुपये)

वाशिंग पाउडर-दो किलो(120 से 150 रुपये) 

सोडियम हाइपोक्लाराइट- दो लीटर(150 से 180 रुपये)

मास्क- पांच से 10 पीस (150 से 200 रुपये)

काढ़ा की सामग्री(200 से 300 रुपये)

हैंड ग्लव्स-एक पैकेट(300 से 400 रुपये)   

सब्जियां और फल की बढ़ी कीमतें(400 रुपये)  

ऑनलाइन पढ़ाई के लिए डाटा(600 रुपये)

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