Move to Jagran APP

उत्तराखंड में 1500 घटिया पीपीई किट की जांच पर डाला पर्दा, जानिए पूरा मामला

उत्तराखंड में जिन सप्लायरों ने घटिया किट की आपूर्ति की तैयारी कर दी थी उन पर कार्रवाई के नाम पर अब तक सिर्फ लीपापोती ही की जा रही है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sun, 24 May 2020 01:18 PM (IST)Updated: Sun, 24 May 2020 01:18 PM (IST)
उत्तराखंड में 1500 घटिया पीपीई किट की जांच पर डाला पर्दा, जानिए पूरा मामला
उत्तराखंड में 1500 घटिया पीपीई किट की जांच पर डाला पर्दा, जानिए पूरा मामला

देहरादून, जेनएनएन। कोरोना संक्रमित मरीजों का उपचार कर रहे प्रदेश के मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने अपनी सूझबूझ से घटिया पीपीई किट का खतरा तो टाल दिया, लेकिन जिन सप्लायरों ने घटिया किट की आपूर्ति की तैयारी कर दी थी, उन पर कार्रवाई के नाम पर अब तक सिर्फ लीपापोती ही की जा रही है। घटिया पीपीई किट को लेकर अधिकारियों ने सिर्फ इतनी सतर्कता बरती कि इनके ऑर्डर निरस्त कर केंद्र सरकार से किट मंगाना शुरू कर दिया है। फिर भी सवाल अपनी जगह कायम है कि जो किट कोरोना संक्रमण से बचाव नहीं कर सकती, उनके आपूर्तिकर्ताओं पर शिकंजा क्यों नहीं कसा जा रहा है।

loksabha election banner

मार्च माह के अंतिम सप्ताह में घटिया पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्शन इंक्यूपमेंट) किट का मामला तब पकड़ में आया था, जब ड्रग इंस्पेक्टर अनीता भारती ने देहरादून के पटेलनगर क्षेत्र के एक होटल के बाहर खड़ी कार से तीन पीपीई किट पकड़ी थी। किट पर किसी कंपनी का लोगो तक नहीं था। हालांकि, जांच-पड़ताल के बाद पता चला कि मेरठ की एक फर्म ने इन किट को तैयार किया है। 

उसी दौरान इसी फर्म ने हल्द्वानी के सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल को एक हजार किट की खेप भेज दी। अस्पताल प्रशासन की गुणवत्ता जांच कमेटी ने किट को यह कहकर खारिज कर दिया था कि ये हल्की नमी को रोकने में भी सक्षम नहीं हैं। इसके बाद पूरा ऑर्डर निरस्त कर दिया। किट की आपूर्ति 900 रुपये प्रति पीस की दर पर की जा रही थी। दूसरी तरफ श्रीनगर गढ़वाल के राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में नैनीताल की फर्म एसेंट मेडिकल सिस्टम ने 500 किट की आपूर्ति की तो वहां भी गुणवत्ता घटिया पाई गई।

निजी फर्मों की पीपीई किट की गुणवत्ता को लेकर राज्य सरकार सचेत हुई और आदेश दिया कि जिला स्तर पर किट की खरीद नहीं की जाएगी। इसके बाद अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह से केंद्र सरकार से किट मंगाना शुरू कर दिया गया। इस तरह मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के चिकित्सकों की सजगता से उच्च गुणवत्ता की किट तो आने लगी, मगर घटिया पीपीई किट की आपूर्ति करने वाले सप्लायरों पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी। हो सकता है कि ये सप्लायर दूसरे राज्यों में भी किट की आपूर्ति कर रहे हों, मगर इससे राज्य के अधिकारियों को कोई लेना-देना नहीं। कोरोना जैसे संक्रमण पर यह अनदेखी कभी भी भारी पड़ सकती है।

ड्रग विभाग की कार्रवाई पर भी फेरा पानी

पटेलनगर में घटिया पीपीई किट पकड़ने के बाद ड्रग विभाग के अधिकारियों ने दो दिन की मेहनत के बाद प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार की। इसे शासन व स्वास्थ्य विभाग को भी भेजा गया। स्वास्थ्य विभाग ने एक दफा रिपोर्ट लौटा भी दी। फिर दोबारा रिपोर्ट भेजी गई तो पूरे मामला पर ही पर्दा डाल दिया गया। पीपीई किट की जांच को लेकर ड्रग विभाग की कोई विशेषज्ञता नहीं है। यहां के अधिकारियों ने जो प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार की, उस पर स्वास्थ्य विभाग को ही कार्रवाई करनी थी।

यह भी पढ़ें: Coronavirus: रेड जोन से उत्तराखंड आने वाले प्रवासी होंगे संस्थागत क्वारंटाइन

उत्तराखंड में अब तक आ चुकी हैं 70 हजार किट

स्वास्थ्य विभाग के अपर सचिव और चिकित्सा शिक्षा निदेशक युगल किशोर पंत का कहना है कि केंद्र सरकार के माध्यम से अब तक 70 हजार पीपीई किट मंगाई जा चुकी हैं। हालांकि, अपर सचिव पंत ने भी पकड़ी गई व लौटाई गई घटिया किट को लेकर किसी तरह का अपडेट होने से इन्कार किया। वहीं, स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती का कहना है कि किट ड्रग विभाग ने पकड़ी थी और यह मामला चिकित्सा शिक्षा विभाग से संबंधित है। 

यह भी पढ़ें: Coronavirus: उत्तराखंड में अप्रवासियों के आने से 17 दिन में कोरोना डबल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.