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ऊर्जा निगम के बिजली दर बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर उपभोक्ताओं को आपत्ति, जानिए उनका कहना

ऊर्जा निगम के बिजली दर बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर उपभोक्ताओं ने आपत्ति जताई है। जनता ने ऊर्जा निगम को खर्च कम करने की नसीहत देते हुए गुणवत्ता सुधार की मांग की है। शनिवार को माजरा स्थित विद्युत नियामक आयोग के कार्यालय में टैरिफ को लेकर जनसुनवाई का आयोजन किया गया।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 10:50 AM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 10:50 AM (IST)
ऊर्जा निगम के बिजली दर बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर उपभोक्ताओं को आपत्ति, जानिए उनका कहना
ऊर्जा निगम के बिजली दर बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर उपभोक्ताओं को आपत्ति।

जागरण संवाददाता, देहरादून। ऊर्जा निगम के बिजली दर बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर उपभोक्ताओं ने आपत्ति जताई है। जनता ने ऊर्जा निगम को खर्च कम करने की नसीहत देते हुए गुणवत्ता सुधार की मांग की है। शनिवार को माजरा स्थित विद्युत नियामक आयोग के कार्यालय में टैरिफ को लेकर जनसुनवाई का आयोजन किया गया। हालांकि, कोरोना संक्रमण के खतरे को देखते हुए यह आयोजन सीमित स्तर पर किया गया। इसमें महज 25 उपभोक्ता पहुंचे। जिन्होंने विभिन्न सुझाव व मांगें रखीं।

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दरअसल, ऊर्जा निगम ने इस बार उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग को बिजली दरों में 4.65 प्रतिशत बढ़ोतरी का का प्रस्ताव भेजा है। हालांकि, यह केवल दिखाने के लिए है, क्योंकि असल में प्रस्ताव 16.5 प्रतिशत का है, आंकड़ों की बाजीगरी से निगम ने 4.65 प्रतिशत का प्रस्ताव दर्शाया है। निगम ने खर्चों और कमाई के बीच 952 करोड़ का अंतर दिखाते हुए प्रस्ताव भेजा था। जिसमें से वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए सिर्फ 323 करोड़ दर्शाए गए हैं। शेष 628 करोड़ अगले दो वर्षों में रेगुलेरटी एसेट के तौर समायोजित करने का प्रस्ताव है। 

ऐसे में आम आदमी पर भार बढ़ाने की ऊर्जा निगम की पूरी तैयारी है। इस पर नियामक आयोग की ओर से अभी विचार-विमर्श किया जा रहा है। जिसके लिए जनता से भी चर्चा की गई है। सुनवाई में उपभोक्ताओं ने ऊर्जा निगम के प्रति नाराजगी जताई। उपभोक्ताओं ने कहा कि ऊर्जा निगम सुविधाएं बढ़ाते नहीं हैं, बस अपने खर्च बढ़ाकर उसे टैरिफ में जोड़ दिया जाता है। सुनवाई में आए उपभोक्ताओं ने कहा कि ऊर्जा निगम विद्युत दरों को बढ़ाने के पीछे घाटे का हवाला देता है, लेकिन घाटा कम करने को कोई प्रयास नहीं किए जाते। 

साथ ही उपभोक्ता सेवा में गुणवत्ता का भी ख्याल नहीं रखा जाता। कहा कि ऊर्जा निगम को समय से बिल कलेक्शन करने, सुविधाओं में इजाफा करने और निजी खर्चों को कम करने पर फोकस करना चाहिए। इस दौरान विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष डीपी गैरोला, सदस्य एमके जैन, वित्त निदेशक दीपक पांडेय, प्रभात डिमरी, ऊर्जा निगम के निदेशक अतुल अग्रवाल आदि उपस्थित रहे।

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